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राजनीतिक साजिश का शिकार हुए पूर्व IAS? हाईकोर्ट का फैसला- कोई ठोस सबूत नहीं, बरी किया गया!

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रही ACB कोर्ट की आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है...
03:44 PM Mar 21, 2025 IST | Rajesh Singhal
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Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रही ACB कोर्ट की आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है। यह फैसला न केवल एक वरिष्ठ अधिकारी के लिए न्याय की जीत है, बल्कि यह भी साबित करता है कि किसी भी लोकसेवक पर बिना ठोस सबूत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

जस्टिस गणेशराम मीणा की अदालत ने स्पष्ट कहा कि अगर बिना पर्याप्त साक्ष्यों के किसी अधिकारी पर कार्रवाई की जाती है, तो यह एक खतरनाक परंपरा बन सकती है, जिससे लोकसेवकों पर (Jaipur News)अनावश्यक दबाव डाला जा सकता है। कोर्ट ने ACB की जांच में एकत्रित किए गए तथ्यों को अपर्याप्त मानते हुए पहाड़िया के खिलाफ केस खत्म करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि अप्रैल 2022 में नन्नूमल पहाड़िया को रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय वे निलंबन में थे, और सस्पेंशन के दौरान ही उनका रिटायरमेंट भी हो गया था। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनकी छवि पर लगे दाग को साफ कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला और कैसे ACB घिरी?

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है। अदालत ने ACB की जांच को सवालों के घेरे में रखते हुए कहा कि इस मामले में पर्याप्त सबूत नहीं थे।

शिकायतकर्ता इकबाल सिंह ने आरोप लगाया था कि उसकी कंपनी दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे का काम कर रही थी और अलवर के तत्कालीन कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया तथा भूप्रबंधन अधिकारी (RAS) अशोक सांखला उससे हर महीने रिश्वत की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक के बकाया भुगतान को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था।

हालांकि, अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता ने 22 अप्रैल 2022 को ACB में शिकायत दर्ज करवाई, जबकि नन्नूमल पहाड़िया का ट्रांसफर 13 अप्रैल को ही जयपुर हो गया था और 18 अप्रैल को वे अपने पद से रिलीव भी हो चुके थे। इसके अलावा, ACB द्वारा किए गए सत्यापन में भी उनके रिश्वत मांगने की पुष्टि नहीं हुई।

अदालत ने इन बातों को बनाया आधार

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होता है कि सरकारी अधिकारी ने रिश्वत की मांग की या उसे प्राप्त किया।

इस मामले में ACB के पास कोई ठोस सबूत नहीं था, जो यह साबित करे कि पहाड़िया ने रिश्वत मांगी थी। उनके खिलाफ कोई ट्रैप कार्रवाई नहीं की गई और न ही उनके कब्जे से कोई रिश्वत की राशि बरामद हुई। शिकायतकर्ता का ऐसा कोई लंबित काम नहीं था, जिसके लिए कलेक्टर द्वारा रिश्वत मांगी जाती। रिश्वत की रकम भी RAS अधिकारी अशोक सांखला के सहयोगी नितिन की स्कूटी से बरामद हुई थी, न कि पहाड़िया से।


रिटायरमेंट से 99 दिन पहले हुई थी गिरफ्तारी

पूर्व IAS अधिकारी नन्नूमल पहाड़िया को उनके रिटायरमेंट से महज 99 दिन पहले, 23 अप्रैल 2022 को ACB ने गिरफ्तार किया था। उसी दिन सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। इसके बाद, 15 जून 2022 को ACB ने उनके खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी थी। हालांकि, 29 जून 2022 को हाईकोर्ट से नन्नूमल पहाड़िया और अशोक सांखला को जमानत मिल गई थी।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी से मांगा टिकट

रिटायरमेंट के बाद नन्नूमल पहाड़िया ने राजनीति में उतरने की कोशिश की और 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट मांगा। वे वैर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनकी जगह पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली को मैदान में उतारा। इसके बाद पहाड़िया ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की, लेकिन बाद में समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया।

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