31 अक्टूबर को दीपावली की धूमधाम... असमंजस का हुआ अंत... चलिए मिलकर मनाते हैं यह पावन पर्व!
End of confusion about Diwali: दीपावली की तारीख को लेकर चल रहे अनिश्चितता (End of confusion about Diwali) के बादलों को छांटते हुए, मंगलवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित 'दीपावली निर्णय' विषय पर विशेष धर्मसभा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस सभा में देशभर के प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य, धर्मशास्त्री, और संस्कृत विद्वान एकत्रित हुए, जिन्होंने मिलकर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की सहमति दी।
सभी विद्वानों की सहमति से बनी तिथि
धर्मसभा का आरंभ वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ, जिसमें विद्वानों ने दीपावली के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर गहन चर्चा की। सभी ने एक स्वर में यह स्वीकार किया कि 31 अक्टूबर का दिन दिवाली के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जिससे देशभर के श्रद्धालुओं का भ्रम दूर हो जाएगा। दीपावली का यह फैसला खासकर उन भक्तों के लिए राहत की बात है जो सही तिथि को लेकर संशय में थे।
धर्मसभा में चर्चा का केंद्र बिंदु
इस अवसर पर प्रमुख ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। सभी विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि सही तिथि का निर्धारण भक्तों के लिए न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करेगा।
धूमधाम से मनाने की तैयारियां जोरों पर
धर्मसभा में तय किया गया कि 31 अक्टूबर को दीपावली उत्सव का आयोजन पूरे देश में धूमधाम से किया जाएगा। घर-घर में दीयों की रोशनी होगी, मिठाइयों का आदान-प्रदान होगा, और भाईचारे का संचार होगा। इस निर्णय ने पूरे देश में उत्सव का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे सभी को एकजुट होने और इस महत्वपूर्ण पर्व को मनाने का मौका मिलेगा।
आओ, एक साथ मनाएं दीपावली!
इस निर्णय ने न केवल धार्मिक उत्सव के लिए उत्साह जगाया है, बल्कि यह हमें एकजुटता का संदेश भी देता है। 31 अक्टूबर को मिलकर दीपावली मनाएं और अपने घरों को रोशनी और प्रेम से भर दें!
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