ऐसी मौत किसी को ना मिले...." जयपुर अग्निकांड की भेंट चढ़े बेगुनाह, आखिर कौन देगा इन सुलगते सवालों के जवाब?
Jaipur LPG Tanker Blast Incident: राजधानी जयपुर इन दिनों लापरवाही और अनदेखी की चपेट में ऐसा घिरा हुआ है कि यह शहर अब हादसों का पर्याय बनता जा रहा है। हर दिन कहीं न कहीं एक नई त्रासदी जनजीवन को झकझोर रही है। मगर इन घटनाओं के बावजूद प्रशासन की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही।
गत रविवार को कोचिंग सेंटर में बड़ी घटना होने से बची, लेकिन निगम ने खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा कर दिया।
जांच के नाम पर लीपापोती करते हुए संचालक को क्लीनचिट दे दी। (Jaipur LPG Tanker Blast Incident)और अब शुक्रवार को अजमेर रोड पर डीपीएस स्कूल के सामने गैस टैंकर और ट्रक की भिड़ंत ने ऐसा मंजर खड़ा कर दिया जिसे देखकर रूह कांप जाए। इस दर्दनाक हादसे में कई बेगुनाहों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि कई घायल मौत और जिंदगी के बीच संघर्ष कर रहे हैं। मगर सवाल उठता है-क्या ये हादसे सिर्फ दुर्घटनाएं हैं, या सरकार और प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी का परिणाम?
अजमेर रोड, जो जयपुर से किशनगढ़ तक एक महत्वपूर्ण और व्यस्त मार्ग बन चुका है, पिछले डेढ़-दो सालों से भारी ट्रैफिक दबाव में है। फ्लाईओवर निर्माण के चलते यहां दुर्घटनाएं आम बात हो गई थीं। बावजूद इसके, प्रशासन केवल तमाशबीन बना रहा। शुक्रवार को हुए इस भीषण हादसे ने एक बार फिर प्रशासन की असफलताओं को उजागर कर दिया।
आखिर कब तक लोग अपनी जानें गंवाते रहेंगे? आखिर कब तक जिम्मेदार लोग आंखें मूंदे तमाशा देखते रहेंगे?
जयपुर के भीषण अग्निकांड के बाद सुलगते सवालः
ऐसे ज्वलनशील गैस टैंकर्स के लिए अलग लेन की व्यवस्था कब होगी?
यू टर्न के पास साइन बोर्ड क्यों नहीं था?
ट्रैफिक लाइट भी खराब क्यों पड़ी थी?
यू टर्न के पास कोई स्पीड ब्रेकर क्यों नहीं था?
अजमेर रोड हादसा... यू-टर्न बना मौत का सबब
अजमेर रोड पर शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे हुई दर्दनाक दुर्घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हादसा उस यू-टर्न प्वाइंट पर हुआ, जो रिंग रोड पर चढ़ने के लिए इस्तेमाल होता है। हालांकि इस पॉइंट पर छोटी-मोटी घटनाएं आए दिन होती हैं, लेकिन इतनी बड़ी दुर्घटना पहली बार देखने को मिली है।
सुरक्षा प्रबंधन की कमी
यू-टर्न पॉइंट पर न तो कोई सुरक्षा प्रबंधन है और न ही नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाता है। यहां तक कि पिछले सात वर्षों से अजमेर रोड से दिल्ली-आगरा जाने वाली रिंग रोड का काम भी अधूरा पड़ा है। अगर इस रिंग रोड का निर्माण पूरा हो गया होता, तो बड़े वाहनों को डीपीएस स्कूल के सामने बने कट से यू-टर्न लेने की जरूरत नहीं पड़ती और शायद इस भीषण हादसे से बचा जा सकता था।
भारी ट्रैफिक दबाव से बढ़ता खतरा
अजमेर रोड पर भारी ट्रैफिक दबाव दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बनता जा रहा है। अजमेर से आने वाले बड़े वाहनों को कोटा या आगरा जाने के लिए रिंग रोड पर चढ़ने के लिए इस कट का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
समय ने बचाया बड़ा नुकसान
यह हादसा सुबह के साढ़े पांच बजे हुआ, जब ट्रैफिक अपेक्षाकृत कम था। लेकिन अगर यह दुर्घटना सुबह 8 से 10 बजे के बीच घटी होती, तो जान-माल का नुकसान और भी भयावह हो सकता था।
अतीत की घटनाएं प्रशासन पर सवालिया निशान
बीते दिनों अजमेर रोड पर कई घटनाएं हुईं, जो प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं। जैसे:
200 फीट फ्लाईओवर पर ट्रकों की भिड़ंत।
कमला नेहरू नगर पर ट्रक का बैरिकेड में घुसना।
इन घटनाओं के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
लापरवाही का नतीजा
यह हादसा शासन और प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी का नतीजा है। बार-बार की चेतावनी के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे बेगुनाह लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
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