Independence Day 2024: बापू से प्रेरित होकर कलाकार ने 3 साल में बनाया नायाब चरखा, बारीकी ऐसी कि देखकर चौंक जाएंगे!
Independence Day 2024: बीकानेर। भारत 15 अगस्त 2024 को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इसके लिए स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक स्वतंत्रता दिवस की धूम देखने को मिलेगी। भारत की आजादी में महात्मा गांधी का अहम योगदान है जब भी आजादी का जिक्र होता है तो उसमें महात्मा गांधी का जिक्र भी होता है। आजादी की दास्ता महात्मा गांधी के बिना अधूरी है। महात्मा गांधी का चरखा आजादी की लड़ाई में बहुत लोगों का हथियार बना था। जहां इसने आत्मनिर्भर होने का भाव जगाया वहीं विदेश में भी यह लोगों की जिंदगी में मेडिटेशन का अहम हिस्सा बन चुका है। महात्मा गांधी का चरखा सदा उनके एक पहचान के रूप में रहा है।
उस्ता कला के लिए प्रसिद्ध है बीकानेर
राजस्थान का बीकानेर जिला अपने नमकीन के तीखेपन और रसगुल्लों की मिठास के लिए प्रसिद्ध है। वहीं यहां एक व्यक्ति ने चरखे को अपनी नावाचार से इस तरह से बनाया कि पूरा विविधताओं से भरा भारत मानो एक चरखे में समा गया हो। शहर अपनी संस्कृति विरासत के साथ विकास के नए आयाम छू रहा है। इसके साथ ही बीकानेर की उस्ता कला भी काफी प्रसिद्ध है। बीकानेर सुनहरी कलम से बारीक नक्काशी की कलाकारी के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। अपनी इस इस प्राचीन कला के साथ नवाचार करते हुए बीकानेर के कलाकार विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रहे है। इसी कला के साथ बीकानेर के उस्ता कलाकार ने महात्मा गांधी के प्रिय चरखे में पूरे देश को पिरोने का प्रयास किया है।
व्यक्ति ने बनाया चरखा
उस्ता कला के कलाकार रामकुमार भादानी ने कहा कि उनके मन में एक विचार आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए जो कि एकता और भारत की एकरूपता व अखंडता के प्रतिकात्मक रूप में प्रदर्शित किया जाए। प्रतीक कुछ ऐसा लगे कि एक जगह पूरा भारत नजर आ जाए। कलाकार के इस विचार में महात्मा गांधी मुख्य केंद्र बिंदु थे और गांधी के जीवन में चरखे के महत्व को देखते हुए उन्होंने चरखे को बनाया। जिसमें भारत के सभी राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रभाषा, महात्मा गांधी के तीन बंदर, उनका चश्मा, उनकी घड़ी सहित भारतीय प्रतीक चिन्हों को इस चरखे में समाहित किया गया है। उन्होंने बताया कि सत्यमेव जयते हमारा परम वाक्य है। इसको शामिल करते हुए अशोक चक्र की 24 तीलियों और उनके नाम का उल्लेख भी इस चरखे में किया गया है। ताकि लोग इस चरखे को देखकर अपने संविधान को जान सके।
लगभग तीन साल में तैयार हुआ चरखा
रामकुमार भादानी ने बताया कि इस चरखे को बनाने का विचार जब मन में आया और तब तक पता नहीं था कि यह कैसे बनेगा। लेकिन तीन साल की मेहनत रंग लाई और कई गणमान्य लोगों ने इस चरखे को देखकर उनकी कलाकारी को सराहा भी है। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि इस चरखे को वे भारत की महामहिम या फिर प्रधानमंत्री को भेंट करें। यह चरखा भारत की संसद में स्थापित हो ताकि लोग इस चरखे को देखकर हमारी देश की संस्कृति को समझें और बीकानेर की यह कला भी एक मंच पर स्थान पा सके।
क्या है उस्ता कला
नाम सुनते ही जेहन में आता है स्वर्ण नक्काशी वाला खूबसूरत फोटो फ्रेम, सुराही, नाइट लैंप या ऐसी ही बीसियों कलाकृतियां जिन्हें देखने के बाद नजर हटाना काफी मुश्किल होता है। इन्हें बनाने वाले कलाकार महीन कलम से एक-एक सेंटीमेटर में कला का नया रंग भर देता है। काम कितना बारीक है इसका अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि कई बार ये कलाकार एक पूरे दिन में कुछ इंच तक ही कलम चलाते रहते हैं। कीमत का जिक्र ही बेमानी क्योंकि मूल उस्ता आर्ट शुद्ध सोने के वर्क से ही होती है। हालांकि अब महंगाई के दौर में सस्ते विकल्प भी सामने आए हैं।