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क्या IAS सौम्या झा, टीना डाबी जैसे 'जादू' को दोहरा पाई? जानें क्या है इन महिला अफसरों में अंतर!

IAS Saumya Jha Tonk Collector: राजस्थान की युवा आईएएस अधिकारी सौम्या झा इन दिनों सुर्खियों में हैं, और कारण भी है—हाल ही में उनके अधीन टोंक जिले में एक विवादास्पद घटना हुई। (IAS Saumya Jha Tonk Collector)टोंक के देवली उनियारा विधानसभा...
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IAS Saumya Jha Tonk Collector: राजस्थान की युवा आईएएस अधिकारी सौम्या झा इन दिनों सुर्खियों में हैं, और कारण भी है—हाल ही में उनके अधीन टोंक जिले में एक विवादास्पद घटना हुई। (IAS Saumya Jha Tonk Collector)टोंक के देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश कुमार मीणा ने एसडीएम अंकित चौधरी को थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद टोंक में हिंसक घटनाएं घटित हुईं। पथराव, आगजनी और हाईवे जाम जैसी घटनाओं ने जिला प्रशासन को भी मुश्किल में डाल दिया। अब सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी घटना को रोकने में प्रशासन क्यों असफल रहा? क्या यह घटना राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है?

टोंक में हुए बवाल का जिम्मेदार कौन?

टोंक जिले में 13 और 14 नवंबर को हुई हिंसा की घटनाओं ने जिला प्रशासन और पुलिस के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसडीएम को थप्पड़ मारे जाने के बाद स्थिति बेकाबू हो गई, जिससे प्रशासन की असंवेदनशीलता सामने आई। जिला कलेक्टर सौम्या झा को इस पूरे मामले में सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, क्योंकि वे समय रहते हालात का सही आकलन नहीं कर पाईं।

कलेक्टर का मौके पर नहीं जाना और प्रशासन की नाकामी

घटना के बाद नरेश मीणा ने फेसबुक पर लाइव आकर ग्रामीणों को हिंसा के लिए उकसाया, लेकिन जिला प्रशासन ने न तो तुरंत उपाय किए और न ही कलेक्टर ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए गांव में जाकर ग्रामीणों से संवाद किया। इस लापरवाही ने हिंसा को बढ़ावा दिया और स्थिति को नियंत्रण से बाहर कर दिया।

पुलिस की अपर्याप्त तैयारी

वहीं, पुलिस ने भी अपनी तैयारी में चूक की। जब मीणा के समर्थक समरावता गांव में जुटने लगे, पुलिस के पास पूरी जानकारी थी, लेकिन बावजूद इसके पुलिस की तैनाती सही ढंग से नहीं की गई। इसके परिणामस्वरूप मतदान कर्मचारियों का रास्ता रोका गया, और पुलिस को खुद पर हमले का सामना करना पड़ा।

सोशल मीडिया पर कलेक्टर के खिलाफ गुस्सा

सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोग इस घटना के लिए जिला कलेक्टर सौम्या झा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्हें लगता है कि कलेक्टर को मौके पर जाकर स्थिति को समझाना चाहिए था और हिंसा को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए थे।

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