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Banswara News: गर्मियों में हर साल क्यों सैकड़ों पशुपालक आते हैं वागड़ ? जानिए हैरान कर देने वाली वजह

Banswara News: बांसवाड़ा। गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगे राजस्थान के दक्षिणांचल के बांसवाड़ा में माही बांध की अथाह जलराशि सिंचाई और पेयजल के लिए उपलब्ध रहती है। यहां साथ ही बेजुबान जानवरों की प्यास बुझाने में भी सहायक...
07:57 PM Jun 15, 2024 IST | Prashant Dixit

Banswara News: बांसवाड़ा। गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगे राजस्थान के दक्षिणांचल के बांसवाड़ा में माही बांध की अथाह जलराशि सिंचाई और पेयजल के लिए उपलब्ध रहती है। यहां साथ ही बेजुबान जानवरों की प्यास बुझाने में भी सहायक साबित होती है। इन दिनों गर्मी अपने उत्तरार्ध की तरफ है। राज्य में आगामी कुछ दिनों में मानसून दस्तक देगा। ऐसे में मारवाड़ से ऊंट और भेड़ों का रेवड़ लेकर पहुंचे पशुपालक भी अपने ‘देश’ मारवाड़ लौटने लगे हैं।

माही बांध के कारण चहुंओर पानी

बांसवाड़ा में माही बांध के कारण चहुंओर पानी की उपलब्धता है। विशेष रूप से माही बांध और उसके बैकवाटर क्षेत्र सहित जिले के बांसवाड़ा, घाटोल, गढ़ी क्षेत्र में बड़ी संख्या में तालाब, चैकडेम हैं। जिनमें लगभग 12 माह पानी रहता है। यह पानी स्थानीय निवासियों, पशुओं की प्यास बुझाने के साथ ही सिंचाई आदि के लिए काम आता है। यहां पानी की सहज उपलब्धता के कारण वागड़ में मारवाड़ से पशु पालक ऊंट और भेड़ों का रेवड़ लेकर पहुंचते हैं। जो पैदल ही लंबा सफर तय सामान्यतया मारवाड़ के ऊंट और भेड़पालक सर्दी खत्म होने के बाद ही वागड़ की ओर रुख कर लेते हैं।

पशुपालक रेवड़ के साथ घर वापसी

वह पांच सौ से सात सौ किलोमीटर का सफर अपने रेवड़ के साथ पैदल ही तय करते हैं। उनका सुबह होते ही चल पडना और दिन में भोजन के लिए विश्राम और फिर सांझ होने तक रेवड़ को हांकते हुए आगे बढना दिनचर्या (Banswara) में सम्मिलित हैं। रात सडक़ किनारे बसे किसी गांव और ढाणी के करीब ही रूकते हैं।ताकि किसी प्रकार की कोई समस्या होने पर समय पर मदद मिल सके। इन दिनों गर्मी का मौसम वागड़ में गुजारने के बाद बांसवाड़ा में जोधपुर, जालोर, बाड़मेर जिलों के गांवों से आए पशुपालक अपने रेवड़ के साथ पुन: अपने-अपने घर मारवाड़ लौटने लगे हैं।

रेवड़ लेकर प्रतिवर्ष बांसवाड़ा आते

घर की महिलाओं, बच्चों के साथ ही रेवड़ को हांकते पशुपालक (Banswara) विशेष रूप से रतलाम, बांसवाड़ा, बांसवाड़ा उदयपुर मार्ग से गुजर रहे हैं। जोधपुर से आए पशुपालक रूपाराम ने बताया कि वे चार परिवार के साथ बांसवाड़ा आए हैं। उनके यहां पानी की समस्या है। किंतु बांसवाड़ा में पानी मिल जाता है। इससे पशुओं की प्यास बुझाने की चिंता खत्म हो जाती है। जालोर के मुकेश ने कहा कि उनके क्षेत्र में पशुओं के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है इसलिए बांसवाड़ा आते हैं। जालोर के संदीप ने कहा कि जालोर में पानी की कमी होने के कारण वे पशुओं का रेवड़ (Banswara) लेकर प्रतिवर्ष बांसवाड़ा आते हैं। गर्मी खत्म होने को है, इसलिए अब वापस गांव लौट रहे हैं।

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