Dungarpur: रात-दिन मेहनत कर सूखी नदी में डाले प्राण, PM मोदी की प्रेरणा ने कर दिया कमाल....अहमदाबाद रिवरफ्रंट देख मिला आइडिया
Dungarpur News: हिंदी के महान कवि दुष्यंत कुमार ने कहा था कैसे आकाश में सुराख़ नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो जहां कवि कहते हैं कि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जिसको मुकम्मल नहीं किया जा सकता है, अगर जुनून और जिद के साथ प्रेरणा का भाव हो तो कई नामुमकिन दिखाई देने वाले काम मुमकिन की शक्ल ले लेते हैं. आज हम आपको राजस्थान से एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जहां आप देखेंगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक अपील का जमीन पर कितना असर होता है. दरअसल पीएम मोदी ने जलसंचय अभियान के तहत सूबे के जनजाति बहुल क्षेत्र डूंगरपुर के खडगदा गांव के लोगों ने जो कमाल कर दिखाया है वो पूरे देश के लिए एक मॉडल साबित होने वाला है.
दरअसल गांव में सूखी पड़ी मोरन नदी ने कचरे के डंपिग ग्राउंड का रूप ले लिया था जिसके बाद गांव वालों ने जन भागीदारी से नदी की सफाई का जिम्मा उठाया और नदी के एक किलोमीटर के पाट को ना केवल साफ किया बल्कि उसे 8-10 फीट और गहरा कर दिया. वहीं वर्तमान में इस नदी में पानी की निर्मल धारा बह रही है और नदी के दोनों तरफ जो एनिकट बनाए गए थे वो भी पानी से लबालब हो गए हैं. गांव के लोगों ने दिन-रात एक करके पीएम मोदी की अपील को जमीन पर उतारकर जल संचय का सपना साकार किया है.
बता दें कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पिछले दिनों खड़गदा गांव से बहने वाली मोरन नदी सूख गई थी और नदी में गंदगी और मलबा जमा था जिसके बाद गांव के लोगों ने इसे फिर से जीवित करने का बीड़ा उठाया और पिछले 3 महीने से गांव के लोग मिलकर इस नदी की सफाई का काम कर रहे थे. गांव के लोगों के इस अभियान को देख सागवाड़ा विधायक शंकर डेचा, बांसवाड़ा लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी रहे महेंद्र जीत सिंह मालवीया तक ने सराहना की थी.
अहमदाबाद रिवरफ्रंट देखकर आया आईडिया
बता दें कि गांव के युवाओं ने जब अहमदाबाद में बना रिवरफ्रंट देखा तो रिवरफ्रंट देखकर युवाओं को खडगदा में जलसंकट से निपटने के लिए मोरन नदी पर रिवरफ्रंट बनाने का आइडिया आया जिसके बाद इस आइडिया को गांव वालों के साथ साझा किया गया और युवाओं की अपील का गांव वालों पर असर पड़ा और हर किसी ने मोरन नदी को साफ करने का संकल्प लिया.
गांव-गांव जाकर रामकथा करने वाले कमलेश शास्त्री बताते है कि “मोरन नदी गांव की जीवन रेखा थी, लेकिन इसका स्वरूप बिगड़ गया था तो गांव के लोगों ने मुहिम चलाई और सोचा गया कि मोरन नदी को कैसे आबाद किया जाए. वह कहते हैं कि 'वागड़ में जल संकट हमेशा से रहा है, यहां जल के लिए नदियां ही एक मात्र सोर्स थी और 20 साल पहले तक नदियों में पानी था लेकिन फिर इनके किनारों पर कचरे का ढेर जमा होने लगा तो मोरन नदी का स्वरूप बिगड़ने में कई साल लगे और पुराने स्वरूप को लौटाने का काम आसान नही था.
PM मोदी के मिशन से प्रेरणा लेते हुए उठाया बीड़ा
गांव वालों ने संकल्प लेने के बाद सफाई अभियान का काम शुरू किया जहां पहले प्लास्टिक हटाई, सभी ने मिलकर गंदगी दूर की लेकिन गंदगी इतनी थी कि काम लगातार बढ़ता ही गया पर कोई हिम्मत नहीं हारा. बता दें कि सफाई का काम कई किलोमीटर तक किया गया औऱ जो काम कुछ युवाओं ने शुरू किया था उसमें धीरे-धीरे पूरा गांव जुड़ता गया और इस नेक काम के लिए जात-पात और समाज के बंधनों से ऊपर उठकर गांव वालों ने काम किया.
स्थानीय बताते हैं कि इस जुनून के पीछे पीएम मोदी का मिशन भी एक प्रेरणा बना जहां नदी की सफाई के लिए जिसके पास जो था उसने वो दिय औऱ मशीनों से लेकर सभी सामान देने के बाद शारीरिक सहयोग देने के लिए भी हर कोई तैयार था. मालूम हो कि पीएम मोदी ने जल संचय मिशन और शुद्ध जल मिशन देश की जनता के सामने रखा था उसी से काम में लगे लोगों को मोरल स्पोर्ट मिलता रहा. वहीं वर्तमान में अहमदाबाद के रिवर फ्रंट की तरह ही नदी के दोनों तरफ सड़क बना दी गई है गांव वालों ने नदी के दोनों तरफ से दो-दो रोड़ निकाल कर नदी के किनारों को बांधा है जहां एक तरफ सड़क बनाकर पूरे गांव के लिए रिंग रोड बना दी गई है तो दूसरी सड़क के दोनों तरफ वृक्षारोपण करके वॉक-वे बनाया गया है.
विलेज टूरिज्म की बनेगी संभावनाएं!
वहीं मोरन नदी पर चले इसे अभियान के परिणाम स्वरूप किनारों का नजारा बहुत अच्छा हो गया है और रिंग रोड बनने और व्यवस्थित वृक्षारोपण से मोरन नदी के दोनों तरफ बहुत जगह निकल आई है जिसका उपयोग करते हुए इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में भी विकसित करने का काम किया जा रहा है. गांव वालों का कहना है कि यहां पीएम मोदी के विलेज टूरिज्म की अवधारणा को भी बल मिल रहा है जहां अब मोरन नदी के दोनों तरफ बड़े गार्डन बनाए जा रहे हैं और कई मंदिर भी बन रहे हैं. दरअसल मोरन नदी की सफाई का सबसे बड़ा फायदा जल संकट को दूर करना ही है और वागड़ के इलाके में हजारों कुएं हैं जो रिचार्ज होने के लिए मोरन नदी पर ही निर्भर थे जिनको भी अब सांस मिली है.
बता दें कि खडगदा गांव में पानी का संकट था लेकिन अब बड़ा कुआं बन गया है तो इससे पानी का संकट भी खत्म होगा. मालूम हो कि इस गांव की आबादी 8500 है लेकिन इस गांव के दो कुंओं से ही आसपास के छोटे गांव और बस्तियों में पानी पहुंचाया जाता है ऐसे में अब खडगदा गांव समेत आस पास के तीन और गांवों में पानी की कभी किल्लत नहीं रहेगी और खासकर सरकारी स्कूलों में पीने का पानी भी सहज उपलब्ध होगा क्योंकि वहां के कुएं भी मोरन नदी के जल से रिचार्ज हो सकेंगे.
अब सरकारी मदद की बाट जोह रहा ‘पीएम नरेन्द्र मोदी रिवरफ्रंट’!
इसके अलावा बताते चलें कि इस बड़े काम के लिए आर्थिक तौर पर भी लोगों ने रकम दी है हालांकि कुछ सहयोग यहां की पंचायत ने किया है. वहीं गांव वालों ने मोरन नदी पर बनी रिंग रोड को पीएम नरेन्द्र मोदी रिवरफ्रंट का नाम दिया है क्योंकि उनका मानना है कि पीएम मोदी के सपने को ही गांव वालों ने अमली जामा पहनाया है. इसके अलावा गांववालों का कहना है कि मोरन नदी को साफ करने में बहुत मेहनत की गई है और अब यहां सुरक्षा वॉल बनाना जरूरी है जिसके लिए सरकार मदद करे क्योंकि बारिश में वापस मिट्टी नदी में जाने का खतरा बना रहता है.
स्थानीय कहते हैं कि यदि सरकार अतिरिक्त फंड दे दे तो यह काम पक्का हो सकता है जिसके लिए सरकार की मदद चाहिए क्योंकि गांव के लोगों ने साधारण काम को मिशन बना लिया है और जनभागीदारी करके लोगों ने अपना कर्तव्य निभा दिया है. इसके बाद अब जो काम रह गया है वो सरकार का काम बचा है. उनका कहना है कि गांव वालों को पीएम मोदी पर विश्वास है ऐसे में जब पीएम नरेन्द्र मोदी के सामने ये प्रोजेक्ट जाएगा तो इस प्रोजेक्ट का सौंदर्यीकरण अवश्य होगा.
बहरहाल, डूंगरपुर के खडगदा गांव की मोरन नदी पर बना ‘पीएम नरेन्द्र मोदी रिवरफ्रंट’ देश का पहला जनभागीदारी से बना रिवरफ्रंट है औऱ पर्यावरण और जल संचय के लिए किया गया ये प्रयास अपने आप में अनूठा है जो अब सरकार के सहयोग की बाट जोह रहा है.
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