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गांव का अनपढ़ ‘शिक्षा मसीहा’! मादु रेबारी ने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए दिया 7 लाख

राजस्थान के डूंगरपुर जिले के छोटे से गांव धाणी घटाऊ में 65 साल के एक पशुपालक ने ऐसा काम कर दिखाया, जो बड़े-बड़े अमीर भी नहीं कर पाते।
05:34 PM Mar 04, 2025 IST | Rajesh Singhal

 Dungarpur News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के छोटे से गांव धाणी घटाऊ में 65 साल के एक पशुपालक ने ऐसा काम कर दिखाया, जो बड़े-बड़े अमीर भी नहीं कर पाते। मादु रेबारी ने न तो कोई ऊंची डिग्री हासिल की.... न ही बड़े पद पर काम किया, मगर उनकी सोच किसी महापुरुष से कम नहीं। अपनी जिंदगी की हर छोटी-बड़ी जरूरत को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए 7 लाख रुपये दान कर दिए...वो भी सिर्फ दूध बेचकर कमाई गई पाई-पाई से।

मादु खुद कच्चे मकान में रहते हैं, लेकिन उनका सपना है कि उनके गांव के बच्चे पक्की छत के नीचे बैठकर पढ़ सकें और अपने भविष्य को संवार सकें। ( Dungarpur News)उन्होंने इस धनराशि से गांव के सरकारी स्कूल में क्लासरूम और हॉल बनवाने का निर्णय लिया। उनकी यह दरियादिली न केवल गांव वालों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक मिसाल बन गई है।

स्कूल में सिर्फ चार कमरे...

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय धाणी घटाऊ में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन पूरे स्कूल में सिर्फ 4 कमरे हैं। एक कक्ष प्रधानाचार्य और स्टाफ के लिए, दूसरा भंडार गृह के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बच्‍चों के लिए सिर्फ दो कमरे ही बचते हैं, जिससे उन्हें बैठने में परेशानी हो रही थी।

स्कूल की समस्या को देखते हुए प्रधानाचार्य ने गांव के भामाशाहों से मदद मांगी। गांववालों ने मिलकर ढाई लाख रुपये जुटाए, जिससे स्कूल में हॉल निर्माण की नींव रखी गई। लेकिन यह राशि सिर्फ पिलर बनाने तक ही सीमित रही और छत नहीं डल सकी।

जब यह समस्या गांव के रिटायर्ड प्रिंसिपल महेश व्यास ने मादु रेबारी को बताई, तो उन्होंने 3 लाख रुपये ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से दान कर दिए। बाद में उन्होंने अलग-अलग कार्यों के लिए 4 लाख रुपये और दिए, जिससे अब तक वे 7 लाख रुपये स्कूल को दान कर चुके हैं। उनके इस योगदान से स्कूल में "माधुर्य हॉल" बनकर तैयार हुआ है।

"मेरी कोई संतान नहीं, स्कूल के बच्चे ही मेरे बच्चे"

मादु रेबारी की पत्नी की 8 साल पहले मृत्यु हो गई और उनकी कोई संतान नहीं है। वे दूध बेचकर अपना गुजारा करते हैं और गांव के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ही अपनी संतान मानते हैं। वे कभी-कभी स्कूल जाकर बच्चों के साथ समय भी बिताते हैं। उनका कहना है कि अगर भविष्य में फिर जरूरत पड़ी तो वे और मदद करेंगे। मादु की दरियादिली देखकर गांव के लक्ष्मण ननोमा, गौतम रेबारी, जय किशन रेबारी, डूंगर रेबारी और प्रभु ने आधा-आधा बीघा जमीन दान कर दी। साथ ही, गांव के लक्ष्मण रेबारी ने स्कूल के पेयजल संकट को दूर करने के लिए 2.10 लाख रुपये दान किए। मादु रेबारी की इस पहल से गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और अब कई लोग भविष्य संवारने के लिए योगदान देने को तैयार हैं।

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