डूंगरपुर की महिला दूध बेचकर कर रही लाखों में कमाई, 5 गायें खरीदकर शुरू किया कारोबार...जानें कोमल कंवर की प्रेरक कहानी
Dungarpur News: जब देश के करोड़ों लोग नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं, कुछ सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ अपना धंधा शुरू करने के ख्यालों में है ऐसे में आपको डूंगरपुर की कोमल कुंवर सिसोदिया की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए जिन्होंने लीक से कुछ हटकर करने का फैसला लिया और आज ना जाने कितनी ही महिलाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी लिखी. कोमल ने साबित कर दिया है कि अगर आपके पास सही दृष्टिकोण और मेहनत करने का जज्बा है तो आप किसी भी पारंपरिक व्यवसाय को एक सफल उद्यम में बदल सकते हैं.
दूध बेचकर खड़ा किया लाखों का कारोबार
राजस्थान के डूंगरपुर जिले के धावडी गाँव की रहने वाली कोमल कुंवर ने दूध बेचने के पारंपरिक व्यवसाय को अपने अनोखे मॉडल से नया आयाम दिया। कोमल ने सिर्फ एक साल में 30 लाख रुपये का दूध बेचकर यह साबित कर दिया कि सही रणनीति और मेहनत से कोई भी काम बड़ा बन सकता है।
कोमल कुंवर का डेयरी व्यवसाय इसलिए खास है क्योंकि वह अपने दूध को किसी बड़ी कंपनी या डेयरी के बजाय सीधे ग्राहकों के घरों तक पहुंचाती हैं। उन्होंने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसमें वे रोजाना 160 लीटर दूध बेचती हैं और महीने में 2.5 लाख रुपये तक की कमाई करती हैं। उनका यह मॉडल न केवल ग्राहकों से सीधा संबंध बनाता है, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय में अधिकतम लाभ दिलाने में भी मदद करता है.
पति का साथ और गायों से लगाव ने बनाई राह आसान
कोमल के इस सफर की शुरुआत 2014 में हुई जब उनके पति गोपाल सिंह सिसोदिया ने भीलवाड़ा से 5 गिर गायें खरीदीं और डेयरी का काम शुरू किया। गोपाल सिंह को गाय-भैंसों से बचपन से लगाव था, और उन्होंने इस जुनून को व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। धीरे-धीरे, दूध की मांग बढ़ने लगी और आज कोमल के पास 35 गाय-भैंसों का एक बड़ा डेयरी फार्म है।
बता दें कि शुरुआत में गोपाल सिंह ने इसे पार्ट-टाइम काम के तौर पर किया जिसमें वे सुबह और शाम दूध की डिलीवरी करते थे लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवसाय इतना बढ़ गया कि यह उनका फुल-टाइम काम बन गया। गोपाल सिंह न केवल दूध की डिलीवरी करते हैं, बल्कि गाय-भैंसों की देखभाल और इलाज भी खुद ही करते हैं। कोमल और गोपाल का अनुभव बताता है कि दूध के व्यवसाय में मुनाफा कमाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है गाय-भैंसों के चारे और पानी की सही व्यवस्था। उनके पास पर्याप्त जमीन है जहां वे खुद घास और भूसा उगाते हैं। यदि यह व्यवस्था नहीं होती, तो दूध का व्यवसाय कभी लाभदायक नहीं बन पाता।
गौरतलब है कि कोमल कुंवर सिसोदिया की यह कहानी न सिर्फ उनकी मेहनत का फल है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी खुद की राह बनाने की चाह रखते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर सही दृष्टिकोण और समर्पण हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है.