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जल संरक्षण में मिसाल बना डूंगरपुर का मॉडल, ग्रामीणों ने मोरन नदी को किया पुनर्जीवित...अब सरकार ने दिया 50 लाख का बजट 

डूंगरपुर में खड़गदा गांव के लोगों ने रामकथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में मोरन नदी को जिंदा करने की एक अनूठी पहल शुरू की थी.
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Dungarpur Khargada Moran River: गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल इलाके डूंगरपुर में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में जनभागीदारी और सहभागिता से बिना किसी सरकारी खर्च के रिवर फ्रंट तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण के जल संचयन अभियान से प्रेरित होकर ग्रामीणों ने नाला बन चुकी मोरन नदी को फिर से जिंदा करने का अभूतपूर्व काम किया है. इधर बुधवार को राजस्थान की विधानसभा में पेश हुए राज्य बजट 2025-26 में खड़गदा गांव की मोरन नदी को एक बड़ी सौगात मिली है.

मिली जानकारी के मुताबिक भजनलाल सरकार की ओर से डूंगरपुर जिले में 'Catch the Rain' अभियान के अन्तर्गत सम्पूर्ण मोरन नदी को पुनर्जीवित करते हुए खड़गदा गांव का विकास, गौरेश्वर महादेव एवं नीलकण्ठ महादेव जी मंदिरों का सौन्दर्याकरण करने हेतु DPR के लिए 50 लाख का बजट दिया गया है. कहां कुछ गांव के लोगों से शुरू हुआ ये जनभागीदारी अभियान आज इस मुकाम पर पहुंच गया है कि राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को जल संचयन की एक मिसाल के तौर पर देखा है.

40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण हुआ संभव

मालूम हो कि खड़गदा के ग्रामीणों ने रामकथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में मोरन नदी को जिंदा करने की एक अनूठी पहल शुरू की थी जिसके बाद विधायक शंकरलाल डेचा, चंद्रेश व्यास ​​​​और विवेक भट्ट आदि लोगों ने गांव की मोरन नदी, जो कूड़े और गंदगी से भरी थी उसे मिलकर साफ किया. वहीं आदिवासी क्षेत्र के लोगों ने बिना किसी सरकारी सहायता के एक किलोमीटर से अधिक नदी क्षेत्र का कायाकल्प कर दिखाया.

वहीं ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास से 3 करोड़ रुपए जुटाए जहां किसी ने ट्रैक्टर दिया कुछ ने जेसीबी उपलब्ध करवाई. वहीं कितने ही लोगों ने श्रमदान कर अपनी भागीदारी दी तो कुछ ने आर्थिक मदद की. बता दें कि इस सामूहिक पहल से 40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण संभव हो पाया है और नदी का एक किलोमीटर क्षेत्र अब पीने के लिए पूरी तरह संरक्षित है.

बता दें कि इसी साल 4 जनवरी को खड़गदा गांव में मोरन नदी का विकास करने के लिए चल रही श्रीराम कथा में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल पहुंचे थे और उन्होंने जल संचयन के इस महाअभियान के तहत बन रहे मोरन नदी घाट के निर्माण का अवलोकन भी किया था.

जल मंत्रियों के सम्मेलन में हुआ मोरन नदी का जिक्र

वहीं बीते मंगलवार को उदयपुर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में डूंगरपुर के खडगदा गांव की मोरन नदी के जल संरक्षण मॉडल की जमकर सराहना की और उन्होंने इसे पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बताया. पाटिल ने बताया कि खड़गदा के ग्रामीणों ने रामकथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में एक अनूठी पहल की थी और गांव की मोरन नदी, जो कूड़े और गंदगी से भरी थी, उसे लोगों ने मिलकर साफ किया.

उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास से 3 करोड़ रुपए जुटाए जहां इस सामूहिक प्रयास से 40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण संभव हो पाया है. बता दें कि इस सम्मेलन में देशभर के मुख्यमंत्री और जल मंत्री मौजूद थे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर एक गांव के लोग जल संरक्षण की दिशा में इतना बड़ा बदलाव ला सकते हैं तो जागरूकता के साथ ये पूरे देश में भी संभव हो सकता है.

हाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने प्रयागराज महाकुंभ से लाई गई पवित्र मिट्टी और संगम जल को मोरन नदी में प्रवाहित किया था.

मुख्यमंत्री ने भी किया था अवलोकन

गौरतलब है कि चंद्रेश व्यास ने इस अभियान के बारे में बताते हैं कि खड़गदा से बह रही मोरन नदी पूरी तरह से कचरे के ढेर में बदल गई थी और जंगली घास और कचरें ने पूरी नदी को के अस्तित्व पर संक़ट खड़ा हो गया था. गांव के लोगों ने 9 महीने दिन-रात एक कर दृढ़ संकल्प के साथ नदी के 1 किमी. के दायरे में मोरन गंगा को 500 फीट चौड़ा और 25 फीट गहरा किया और नदी के दोनों किनारों पर रिवर फ़्रंट के लिए 20-20 फीट चौड़े रास्ते तैयार किए गए. वहीं यहां एक 80 फीट गहरा कुआं भी बनाया गया है जिसकी भराव क्षमता 55 लाख लीटर है.

बता दें कि इस साल जनवरी महीने में ही जन सहयोग से जल संचय के तहत 9 दिवसीय रामकथा आयोजित कर राशि एकत्र की गई थी जहां कथा के समापन में केंद्रीय शक्ति मंत्री और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहुंचे थे. उस दौरान सीआर पाटिल ने कहा था कि जो नदी सालों से सूखी और बेजान पड़ी थी वहां आज बोटिंग हो रही है और इससे यहां पर्यटन और रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे. जनभागीदारी का असल मतलब खड़गदा के लोगों ने साबित कर दिखाया है और पीएम मोदी के जल संचयन अभियान में ये काम एक विशेष स्थान रखता है.

वहीं सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा था कि मोरन नदी इस इलाके की जीवनरेखा के समान है और यहां के बाशिंदों ने जिस तरह इस नदी को फिर से जिंदा करने का बीड़ा उठाया है जिसके लिए मैं सभी गांव के लोगों को और कमलेश भाई शास्त्री का आभार व्यक्त करता हूं.

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