राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

बड़ा खुलासा! संस्कृत शिक्षा विभाग में अध्यापक और प्रधानाध्यापक भर्ती में बैठा था डमी अभ्यर्थी

Dummy candidates in REET Recruitment Exam बांसवाड़ा: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में रीट भर्ती परीक्षा में डमी अभ्यर्थी बैठाने के मामले में आए दिन एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे हैं। इसी कड़ी में कुशलगढ़ थाना पुलिस ने...
08:04 AM Jul 15, 2024 IST | Rajasthan First
featuredImage featuredImage

Dummy candidates in REET Recruitment Exam बांसवाड़ा: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में रीट भर्ती परीक्षा में डमी अभ्यर्थी बैठाने के मामले में आए दिन एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे हैं। इसी कड़ी में कुशलगढ़ थाना पुलिस ने 2008 में संस्कृत शिक्षा विभाग की अध्यापक भर्ती एवं 2017-18 में प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में डमी अभ्यर्थी बिठाकर चयन के मामले में 2 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

रीट भर्ती परीक्षा में डमी अभ्यर्थी बैठाने के मामले में बड़ा खुलासा

कलिंजरा थाना अधिकारी रोहित सिंह ने कहा,  "डमी अभ्यर्थी बैठाने से संबंधित सज्जनगढ़ थाने में दर्ज मामले का अनुसंधान कर रहे हैं। अनुसंधान के दौरान आरोपी मुकेश निवासी पंडवाल को 22 जून 2024 को गिरफ्तार किया गया। आरोपी मुकेश ने बताया कि उसने सेवालाल भाभोर निवासी हांडी और विरमाराम निवासी पुनासा जिला जालौर के साथ मिलकर सूचना सहायक सीधी भर्ती परीक्षा 2018 में फर्जी तरीके से चयनित हुआ था। परीक्षा में वीरमाराम जाट ने मुकेश की जगह डमी अभ्यर्थी बनकर परीक्षा दी थी। इसके बाद वीरमाराम जाट को 29 जून 2024 को गिरफ्तार किया था।"

संस्कृत विभाग तृतीय श्रेणी अध्यापक सीधी भर्ती में फर्जीवाड़ा

पुलिस पूछताछ में आरोपी विरमाराम जाट ने बताया कि उसने वर्ष 2004-06 में श्रमजीवी कॉलेज उदयपुर से भूगोल से एमए (PG) किया था। उस दौरान उसकी जान-पहचान विजय सिंह मईडा से हुई थी। विजय सिंह अपने साथ वाल सिंह गणावा निवासी खेडपुर को लेकर आता था। वाल सिंह भी उदयपुर में पढ़ाई कर रहा था। विरमाराम जाट ने बताया कि वर्ष 2008-09 में संस्कृत विभाग तृतीय श्रेणी अध्यापक सीधी भर्ती आई थी।

फर्जी मास्टर जी से सावधान!

उस दौरान वाल सिंह गणावा ने विरमाराम से सम्पर्क कर इस परीक्षा में सिलेक्शन कराने पर 1.50 लाख रुपए देने की बात कही। इस पर विरमाराम जाट ने वाल सिंह का फॉर्म भर दिया। फॉर्म पर फोटो वालसिंह गणावा का था और हस्ताक्षर विरमाराम जाट के थे। डमी अभ्यर्थी बनकर उसने वाल सिंह की जगह संस्कृत विभाग तुतीय श्रेणी अध्यापक सीधी भर्ती परीक्षा दी। परीक्षा में वाल सिंह का चयन हो गया। उसके बाद वाल सिंह गणावा ने विरमाराम जाट को 1.50 लाख रुपए दिए।

7 लाख रुपए डमी कैंडिडेट

साल 2017-18 से संस्कृत विभाग में प्रधानाध्यापक की सीधी भर्ती परीक्षा का विज्ञापन आया। विज्ञापन आने पर विरमाराम जाट ने वाल सिंह से संपर्क कर कहा कि वह प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा 2017-18 में उसका चयन करवा सकता है। इसके लिए 7 लाख रुपए देने होंगे। वाल सिंह की सहमति के बाद विरमाराम जाट ने डमी अभ्यर्थी बनकर फॉर्म में मिलती-जुलती फोटो लगाकर परीक्षा में बैठ गया। चयन के बाद वालसिंह ने अलग-अलग किस्त में 4.50 लाख रुपए दिए।

दोनों आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज

अब पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाने, डमी अभ्यर्थी बनकर संस्कृत विभाग प्रधानाध्यापक सीधी भर्ती परीक्षा देने और इसके बदले अवैध रूप से रुपए का लेनदेन करने पर आरोपी विरमाराम जाट और वाल सिंह गणावा के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी, 66 डी IT ACT में 3, 4, 6, राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

ये भी पढ़ें: ST आरक्षण पर आदिवासी क्षेत्र विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी का बड़ा बयान, धर्मांतरण पर क्या बोले ?

ये भी पढ़ें: Population Control : 2-3 से ज्यादा बच्चे वालों को सरकारी सुविधा ना दी जाए, केंद्र सरकार कर रही विचार, मंत्री खर्रा का बयान

Tags :
Banswara Latest NewsBanswara newsDummy candidatesDummy candidates in REET recruitment examDummy candidates in teacher recruitmenteducation department BanswaraRajasthan Latest NewsRajasthan NewsREET recruitment examSanskrit education department