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Didwana News: 25 बीघा भूमि पर बनवाई 35 फीट गहरी झील, अब भामाशाह के जिद और जुनून को लोग कर रहे सलाम

Didwana News: (शबीक अहमद उस्मानी) : डीडवाना कुचामन जिला डार्क जोन की श्रेणी में आता है, जहां भूमिगत जल स्तर बेहद निचले स्तर पर है। ऐसे में क्षेत्र में एक लाख पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के...
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Didwana News: (शबीक अहमद उस्मानी) : डीडवाना कुचामन जिला डार्क जोन की श्रेणी में आता है, जहां भूमिगत जल स्तर बेहद निचले स्तर पर है। ऐसे में क्षेत्र में एक लाख पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुचामन के एक भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी जिद और जुनून के चलते कृत्रिम झील का निर्माण करवाकर पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

डीडवाना कुचामन जिले का नाम भी प्रदेश के उन जिलों में शुमार है जहां जल का स्तर काफी नीचे है, जिले में प्राकृतिक जल स्रोत भी रीत चुके हैं। यहां पर जल संकट इस कदर है कि सदियों से लोग खेती तो दूर यहां पीने के पानी के लिए भी तरसते रहे हैं। ऐसे में डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन सिटी के भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी निजी जमीन पर 1,00,000 पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिद और जुनून के चलते कृत्रिम झील का निर्माण करवा कर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने 25 बीघा क्षेत्र में कृत्रिम झील का निर्माण करवा दिया, जो बरसात के पानी को अपने अंदर सहेज रही है।

प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण

कुछ समय पहले तक कुचामन और आसपास के क्षेत्र में जलस्तर काफी नीचे चला गया था और आसपास की भूमि बंजर हो गई थी। उसके बाद भामाशाह राजकुमार माथुर ने कृत्रिम झील बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी जमीन पर खुदाई करवाकर झील निर्मित करवाई। झील बनने में लगभग 5 वर्ष का समय लगा। झील में पानी की पर्याप्त आवक हो, इसके लिए दो किलोमीटर लंबी कैनाल का भी निर्माण करवाया। इससे आसपास की अरावली की पहाड़ियों और मैदानी क्षेत्र से बहता हुआ पानी इस झील में पहुंचने लगा और परिणाम यह हुआ कि झील पानी से लबालब हो गई। वहीं क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ने लगा। कृत्रिम झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

झील से बढ़ा पौधारोपण

झील बन जाने के बाद बरसात के दिनों में इस झील में पानी का अच्छा खासा भराव होता है, जो साल भर तक इस क्षेत्र की पानी की कमी को दूर करता है। इस झील से क्षेत्र में विचरण करने वाले पशुओं को जहां पेयजल सुलभ हो रहा है, वहीं इससे हरियाली को भी बढ़ावा मिल रहा है। झील के पानी से क्षेत्र में लगाए गए 5000 पेड़ पौधों को इस झील से पानी उपलब्ध हो रहा है। इससे जहां क्षेत्र में पौधारोपण और हरियाली को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर भूगर्भीय जलस्तर भी बढ़ने लगा है। इस झील के निर्माण से पानी की अच्छी आवक होने से अब यहां नौकायन शुरू करने की योजना है।

पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण को महत्व देते हुए भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से कृत्रिम झील बनाने की हर ओर तारीफ हो रही है। प्रदेश सरकार में राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी ने भी पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से किए गए प्रयासों की तारीफ की। आज के दौर में जहां लोग पारंपरिक जल स्रोतों को नष्ट करने में लगे है, वहीं कुचामन में यह कृत्रिम झील जल का बड़ा स्रोत बन सकती है। वहीं वाटर हार्वेस्टिंग के लिहाज से भी अनूठा उदाहरण है साथ ही पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम सिद्ध हो सकती है।

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