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दौसा के इंजीनियर का अनोखा आविष्कार! बिना ड्राइवर चलेगी साइकिल, रिमोट से होगी कंट्रोल...CCTV से दिखेगा रास्ता

Dausa News: दुनिया में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं, बाजार में हाई टेक्निक की मोटर गाड़ियां भी आ रही है लेकिन सुविधाओ के अभाव में भी कोई अविष्कार करे वह भी गांव में और बिना ड्राइवर की गाड़ी बना दे...
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Dausa News: दुनिया में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं, बाजार में हाई टेक्निक की मोटर गाड़ियां भी आ रही है लेकिन सुविधाओ के अभाव में भी कोई अविष्कार करे वह भी गांव में और बिना ड्राइवर की गाड़ी बना दे तो यह आश्चर्यजनक बात है। ऐसा ही एक नवाचार किया है दौसा जिले के एक छोटे से गांव के युवक ने और बिना ड्राइवर के चलने वाली साइकिल का आविष्कार किया है। युवक ने काफी कठिनाई के बीच इस साइकिल का निर्माण किया है और अब वह चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि ऐसी साइकिल को बनाने में युवक के हजारों रुपए भी खर्च हुए हैं जहां युवक के द्वारा साइकिल में लगाए गए पैसे पॉकेट मनी थे। जानकारी के मुताबिक दौसा जिले की नांगल राजावतन तहसील के कानपुरा गांव के फतेह लाल मीणा के द्वारा अपने पिता की परेशानियों को देखकर बिना ड्राइवर के साइकिल चलने वाली बनाई गई है।

फतेह लाल ने बताया कि वह जब गांव में रहते थे तो घर से दूध डेयरी पर देने के लिए जाया करते थे लेकिन जब वह पढ़ाई लिखाई करने के लिए जयपुर चले गए थे तो उन्हें उनके पिता फोन कर कहते थे कि तुम तो जयपुर चले गए तो अब यह दूध कौन देकर आएगा. पिता की इस समस्या को देखते हुए बीटेक करते हुए युवक को ये विचार आया क्यों ना एक ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे पिताजी की मदद हो सके और इसी के चलते फतेह लाल ने साइकिल बनाई।

50 किलो वजन ढो सकती है ये साइकिल

इंजीनियर फतेह लाल मीणा बताते हैं की साइकिल जो बनाई है वह रिमोट से ऑपरेट की जाती है और एक से डेढ़ किलोमीटर चलाया जाता है। वहीं इससे 50 किलो वजन को ढोया जा सकता है। फतेह ने बताया कि अगर इसमें और प्रयोग करें तो इसकी 15 से 20 किलोमीटर की चलने की रेंज हो सकती है। वहीं साइकिल में दो सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं जिनके माध्यम से साइकिल चलने का पता लगाया जाएगा और ब्रेक के रूप में मोटर का प्रयोग किया गया है जहां जैसे-जैसे आगे साइकिल चलती है तो मोटर को सिग्नल देने पर वह रुकने लगती है तो साइकिल भी रुक जाती है.

कानपुरा निवासी युवक फतेह लाल गरीब परिवार से आते हैं जिनको उनके परिजनों के द्वारा सरकारी गांव के विद्यालय में पढ़ाया गया जहां 12वीं तक गांव के विद्यालय में पढ़ने के बाद में जयपुर बीटेक करने के लिए गए। वहीं उन्होंने बीटेक करने के बाद ये साइकिल बनाने का आइडिया आया। युवक फतेह लाल बताते हैं कि वह ग्रामीण परिवेश से आते हैं तो ग्रामीण गांव में ग्रामीण अधिक पशु रखते हैं और पशुओं का दूध भी डेयरी में दिया जाता हैं जहां डेयरी के माध्यम से उन्हें पैसे भी प्राप्त होते हैं तो अब कुछ डेयरी इंडस्ट्री पर ही निर्भर है।

50 हजार की आई लागत

फतेह लाल ने बताया जब साइकिल बनाने के लिए काम कर रहा था तो परिजनों ने काफी मना किया था लेकि उन्होंने कहा कि मेरी औऱ परिजनों की सोच में फर्क है और वह तकनीक के बारे में नहीं सोचते हैं। फतेह के मुताबिक उनके परिजनों ने काफी डांट फटकार लगाई और साइकिल के लिए पैसे भी नहीं दिए लेकिन मैंने मोबाइल और लैपटॉप के नाम से पैसे लिए और उनको साइकिल बनाने में लगा दिया। बता दें कि फतेह को करीब 50 हजार रुपए की लागत आई है।

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