Kota: मगरमच्छ से ना लें बैर...हो सकती कैद ! आधी रात आबादी में घुसे मगरमच्छ के लिए कैसे देवदूत बना एडवोकेट ?
Crocodile In Trouble Lawyer Saved Kota: कोटा। चंबल किनारे बसे कोटा में साढ़े चार फीट का विशालकाय मगरमच्छ मुसीबत में फंस गया। यह मगर नाले से भटककर आबादी क्षेत्र में घुस आया था। लोगों की इस पर नजर पड़ी तो लोग पहले तो उसे भगाने लगे। फिर कुछ लोगों ने उस पर लाठी-सरिए से हमला कर दिया। जिसमें मगरमच्छ घायल हो गया। तभी एक एडवोकेट मगरमच्छ के लिए देवदूत बनकर आए और घायल मगरमच्छ को बचा लिया। (Crocodile In Trouble Lawyer Saved)
चंबल से निकल आबादी क्षेत्र में घुसा मगरमच्छ
कोटा शहर में चंबल नदी और इसके नालों से निकलकर मगरमच्छ आबादी क्षेत्र में दस्तक देते रहे हैं। बीते दिनों भी कुछ ऐसा ही हुआ। देर रात एक मगरमच्छ पास बह रही नहर से निकलकर नम्रता कॉलोनी में आ गया। साढ़े चार फीट के विशालकाय मगरमच्छ को देखकर एकबारगी तो लोग घबरा गए। फिर लोगों ने हिम्मत जुटाई को मगरमच्छ को वहां से भगाने की कोशिश की।
लोगों ने हमला कर घायल कर दिया मगरमच्छ
लोग आबादी एरिया में घुसे मगरमच्छ को भगाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच कुछ लोगों ने मगरमच्छ पर लाठी- सरियों से हमला कर दिया। लगातार लाठी के प्रहार से मगरमच्छ बुरी तरह घायल हो गया। इस बीच किसी ने 4 किलोमीटर दूर नयापुरा में रहने वाले वकील अनूप श्रीवास्तव को इस बारे में जानकारी दी। जिसके बाद वकील अनूप श्रीवास्तव मगरमच्छ के लिए देवदूत बनकर पहुंचे और उसे लोगों से छुड़वाकर चिडियाघर लेकर गए।
एडवोकेट अनूप श्रीवास्तव ने देवदूत बन बचा ली जान
एडवोकेट अनूप श्रीवास्तव का कहना है कि रात डेढ़ बजे कॉल आया, तब किसी ने बताया कि कुछ लोग आबादी क्षेत्र में घुसे मगरमच्छ को मार रहे हैं। इसके बाद वहां पहुंचा और दोस्त की मदद से घायल मगरमच्छ को कोटा चिडियाघर लेकर गए। लोगों को भी समझाया कि अगर इस तरह का कोई जीव आबादी क्षेत्र में आ जाए, तो वन विभाग और पुलिस कंट्रोल रुम को सूचना दे। ऐसे जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाएं।
मगरमच्छ से बैर पर हो सकती है कैद !
एडवोकेट अनूप श्रीवास्तव का कहना है कि मगरमच्छ शेड्यूल फर्स्ट का वन्य जीव प्राणी है। ऐसे में उन्होंने वन विभाग को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मगरमच्छ पर हमले की शिकायत भी दी है। इधर, उपवन संरक्षक अनुराग भटनागर का कहना है कि घायल मगरमच्छ का उपचार चल रहा है। फिलहाल उसकी हालत में सुधार है। जिन्होंने इसे नुकसान पहुंचा उन पर वन्य जीव अधिनियम 1972 शेड्यूल 1 के तहत कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि शेड्यूल फर्स्ट श्रेणी के वन्यजीव पर हमला करने पर 3 से 6 साल तक सजा का प्रावधान है।
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