पेपर लीक माफियाओं की उलटी गिनती शुरू! 86 की नौकरी गई, 189 पर जांच, सिस्टम को हिला देने वाली कार्रवाई!
CM bhajan lal sharma: राजस्थान सरकार की पेपर लीक मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति का असर अब साफ नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने और शिक्षा माफिया पर शिकंजा कसने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से परीक्षा में धांधली करने वालों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन लिया जा रहा है।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) और एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) की निगरानी में अब तक 86 राज्यकर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है, वहीं 189 अन्य कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच जारी है। (CM bhajan lal sharma)सरकार का स्पष्ट संदेश है...पेपर लीक जैसे अपराधों में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। यह कार्रवाई परीक्षा की निष्पक्षता बनाए रखने और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
दौसा के हर्षवर्धन पर बड़ी कार्रवाई
राजस्थान सरकार की पेपर लीक मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत पटवारी भर्ती परीक्षा में संलिप्त पाए गए दौसा जिले के सरगना हर्षवर्धन पर कड़ी कार्रवाई की गई है। दौसा कलेक्टर देवेन्द्र कुमार ने उन्हें राज्यसेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। हर्षवर्धन को JEN भर्ती परीक्षा 2020 में धोखाधड़ी करते हुए पकड़ा गया था और नेपाल बॉर्डर से SIT द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
हर्षवर्धन की पत्नी भी हो चुकी है बर्खास्त
इससे पहले, हर्षवर्धन की पत्नी सरिता मीणा भी सरकारी सेवा से बर्खास्त हो चुकी हैं। तत्कालीन भीलवाड़ा कलेक्टर नमित मेहता ने उन्हें सेवा से हटाने के आदेश दिए थे। सरिता मीणा ने एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में अपनी जगह डमी उम्मीदवार को परीक्षा में बैठाकर उत्तीर्ण होने की कोशिश की थी, जिसे बाद में पकड़ा गया था।
SOG-ATS के एडीजी वी.के. सिंह की प्रभावी निगरानी में परीक्षा घोटालों में शामिल लोगों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है। अब तक एसआई भर्ती परीक्षा में लिप्त 45 सहित कुल 86 राज्यकर्मियों को बर्खास्त या सेवा से हटाया जा चुका है। वहीं, 189 राज्यकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, और जल्द ही उन पर भी कार्रवाई होगी।
दोषियों के लिए कोई जगह नहीं
राजस्थान सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पेपर लीक मामलों में लिप्त पाए गए राज्यकर्मियों को न केवल बर्खास्त किया जा रहा है, बल्कि उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति यह संदेश देती है कि भविष्य में कोई भी परीक्षा घोटाले को अंजाम देने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर होगा।
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