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Chinese Garlic Protest: चीनी लहसुन को लेकर क्यों मचा है बवाल और कैसे करें इसकी पहचान? यहां समझें

Chinese Garlic Protest: प्रतिबंधित चीनी लहसुन के भारतीय बाजारों में प्रवेश करने के बाद, राजस्थान और गुजरात के व्यापारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। उनका कहना है कि इससे न केवल उनके लाभ पर असर पड़ेगा, बल्कि यह खाने के...
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Chinese Garlic Protest: प्रतिबंधित चीनी लहसुन के भारतीय बाजारों में प्रवेश करने के बाद, राजस्थान और गुजरात के व्यापारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। उनका कहना है कि इससे न केवल उनके लाभ पर असर पड़ेगा, बल्कि यह खाने के लिए भी असुरक्षित है। लहसुन, एक ऐसा मसाला है, जो किसी भी व्यंजन का स्वाद बढ़ाता है। यह एलियम सैटिवम के रूप में जाना जाता है और पूरे देश में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

राजस्थान के हाड़ौती संभाग में लहसुन की सबसे अधिक खेती दर्ज की गई है। लहसुन उत्पादक किसानों को नवंबर 2023 से अच्छे दाम मिल रहे थे, लेकिन चीनी लहसुन के आने से किसानों और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। तो आइये जानते हैं कि आखिर यह भारत में चीनी लहसुन पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया और किसान इसके विरोध में प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।

क्यों लगा था चीनी लहसुन पर प्रतिबंध?

साल 2014 में भारत सरकार ने चीनी लहसुन के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। इसके पीछे दो मुख्य वजह थीं। पहली, तो यह कि चीन में उगाए जाने वाले लहसुन सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं, क्योंकि इन लहसुन की खेती में अत्यधिक कीटनाशकों और रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। जबकि भारतीय किसान लहसुन की खेती में कम कीटनाशकों और रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह चीनी लहसुन की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है।

वहीं, दूसरी महत्वपूर्ण वजह यह थी कि चाइनीज लहसुन भारतीय लहसुन की तुलना में काफी सस्ते मिलते हैं। इन सस्ते चीनी लहसुन के बाजार में आने से भारतीय किसानों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता था। ऐसे में किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने इसके आयात पर रोक लगा दिया था।

कैसे करें चाइनीज लहसुन की पहचान?

चीन, जो विश्व में लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक है, अपने लहसुन को दुनियाभर में निर्यात करता है। चाइनीज लहसुन भारतीय लहसुन से कई मायनों में भिन्न होता है। यह लहसुन हल्का सफेद और गुलाबी रंग का होता है और आकार में छोटा होता है। इसके विपरीत, भारतीय लहसुन आमतौर पर बड़े आकार का और तेज गंध वाला होता है, साथ ही इसमें झांस भी निकलती है। चाइनीज लहसुन की गंध कम तीव्र होती है, और इसकी सस्ती कीमत के कारण इसके व्यापार में अधिक लाभ होता है, विशेषकर जब इसे स्मगलिंग के जरिए बाजार में बेचा जाता है।

फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज (फोर्टी) के सुरेश अग्रवाल के अनुसार, "चीन की रणनीति यह रहती है कि वह अपने सस्ते माल को निर्यात करके बाजार पर कब्जा जमा ले। सस्ते उत्पाद की वजह से स्थानीय किसान और उत्पादक अपनी फसल उगाना या सामान बनाना बंद कर देते हैं, जिससे चीनी उत्पादकों का एकाधिकार स्थापित हो जाता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि उसने चाइनीज लहसुन पर जो प्रतिबंध लगाया था, उसके बावजूद यह लहसुन कैसे भारत की मंडियों में पहुंच रहा है।"

प्रतिबंध के बावजूद भारत में कैसे मिल रहा चाइनीज लहसुन?

भारत सरकार द्वारा चाइनीज लहसुन पर रोक लगाए जाने के बावजूद, मंडियों में यह धड़ल्ले से बिकता नजर आ जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है चाइनीज लहसुन की स्मगलिंग। बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते इसे भारत की मंडियों तक पहुंचाया जा रहा है। वहीं, प्रशासन इसपर शिकंजा कसने में नाकाम नजर आ रही है। यही वजह है कि राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के किसान गैर कानूनी तरीके से बेचे जा रहे चाइनीज लहसुन को लेकर नाराज हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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