Bundi: युवक पर टाइगर का हमला, दहाड़ सुनकर मचा बवाल, जानिए क्या हुआ और कैसे बची जान!
Bundi News: रामगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के एक गांव में बीती रात टाइगर के हमले से दहशत फैल गई। युवक की गाड़ी की तेज़ रफ्तार ने उसकी जान बचाई, लेकिन पूरा गांव इस हमले से सहम गया। गुरुवार दोपहर को गांववासियों ने कलेक्टर से सुरक्षा की अपील करते हुए पग मार्क की तस्वीरें भी पेश कीं। (Bundi News) यह घटना उस इलाके में हुई है, जहां इन दिनों टाइगर की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। जानिए इस मामले के ताजा अपडेट!
बबूल के पेड़ के पेड़ के पीछे छुपा था
पीड़ित सुखपाल गुर्जर ने बताया कि वह प्रतिदिन बूंदी दूध बेचने जाता है। वापसी में शाम का समय हो जाता है। बुधवार को गांव वापस लौटते समय साढ़े सात का समय हो गया था। वह दलेलपुरा से गांव के लिए निकला और भैरूपुरा और केशवपुरा के पास तलाई के यहां बबूल के पेड़ के पीछे उसे किसी के छिपे होने का अंदेशा हुआ। वह मोटर साइकिल से आगे बढ़ा तो अचानक से एक टाइगर ने तेज दौड़ते हुए उस पर हमला कर दिया। सुखपाल की माने तो गनीमत रही कि मोटर साइकिल की रफ्तार तेज थी इस लिया टाइगर का पंजा उसके मुंह को नहीं छू सका। टाइगर के हमले से वह बुरी तरह सहम गया। जब गांव में पहुंचकर लोगों को घटना बताई तो सभी ग्रामीणों में दहशत पैदा हो गई।
टाइगर की छलांग देख अटक गई सांस
पीड़ित सुखराज गुर्जर का कहना था कि टाइगर रिजर्व से निकलते समय कई बार जंगली जानवर नजर आ जाते हैं। लेकिन यह पहला अवसर था कि एक टाइगर ने किसी ग्रामीण पर हमला किया हो। उसका कहना था कि टाइगर ने दौड़ते हुए जब छलांग लगाई तो उसकी सांस हलक में ही अटक गई थी। हालांकि उसने हिम्मत नहीं हारी और गाड़ी को दौड़ते हुए अपने गांव पहुंच गया।
घटना के बाद गुरुवार सुबह गांव के कई लोग पीड़ित सुखराज के साथ टाइगर के हमले वाले स्थान पर पहुंचे। इस दौरान जब उन्हें उसके बताए बबूल के पेड़ से रास्ते तक टाइगर के पगमार्क मिले तो उन्हें उसकी बताई बात पर यकीन हो गया। ग्रामीण टाइगर के पगमार्क के चित्र भी मोबाइल में लेकर कलेक्टर को दिखाने लाए थे।
आज तक नहीं हुआ गांवों का विस्थापन
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्तमान में ऐसे कई गांव है जिनमें अब भी सैकडो ग्रामीण लोग निवास कर रहे हैं। रिजर्व की शुरुआत में गांवों के विस्थापन की खूब हवा बनी थी। लेकिन आज तक टाइगर रिजर्व में बसे गांवों को रिजर्व से बाहर नहीं किया गया है। मामले ग्रामीण बताते हे कि विस्थापन की कोशिश तो हुई लेकिन इसके बदले उन्हें मुआवजा नहीं मिला। इस दौरान आकोदा उप सरपंच शिवराज गुर्जर, रामरतन,शंकर, कमल, कन्हैया लाल, बबलू, रामराज, देवलाल, नंदकिशोर , हेमराज गुर्जर, जुगराज गुर्जर, श्रवण , नाथु गुर्जर, लोकेश, सुखदेव, मनराज, खुशीराम, प्रभु लाल, बंटी सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
(बूंदी से रियाजुल हुसैन की रिपोर्ट)
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