Friday, March 14, 2025
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Bundi News: पढ़ाई के लिए ग्रामीण छात्र-छात्राओं ने दांव पर लगाई जान, प्लास्टिक ड्रम नाव के सहारे पार कर रहे नदी, सरकार और प्रशासन बेखबर

Bundi News: बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिले में पुलिया के अभाव में बस्ती के लोगों को बरुंधन गांव जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गांव और बस्ती के बीच घोड़ा पछाड़ नदी बह रही है।...
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Bundi News: बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिले में पुलिया के अभाव में बस्ती के लोगों को बरुंधन गांव जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गांव और बस्ती के बीच घोड़ा पछाड़ नदी बह रही है। नदी पर पुल का निर्माण हो रहा है लेकिन अभी तक पुल नहीं बना है। पुलिया के अभाव में बस्ती के लोग बरुंधन गांव जाने के लिए नाव का सहारा लेते थे। लेकिन जून माह में हुई बारिश से नदी में आए उफान के कारण नाव डूब गई और बह गई। इसके बाद लोगों ने सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग कि जब तक झूला पुल नहीं बनता है तब तक डूबी नाव के बदले कोई वैकल्पिक साधन दे दे, ताकि गांव के बच्चे स्कूल चले जाए। लेकिन लोगों की किसी ने नहीं सुनी।

प्लास्टिक ड्रम का बनाया जुगाड़ नाव

बता दें कि सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग करने के बाद भी कोई वैकल्पिक साधन नहीं मिला तो गांव के लोगों ने अपनी तरफ से प्लास्टिक के ड्रम का एक जुगाड़ नाव बना लिया। उसमें लोहे का तार बंधा है। अब उसके सहारे गांव के बच्चे स्कूल जा रहे है। प्लास्टिक ड्रम नाव के सहारे बच्चे नदी को पार कर स्कूल जा रहे है। गांव के लोग भी उसी प्लास्टिक ड्रम नाव के सहारे गांव आते-जाते हैं। ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है।

हादसे की बनी रहती है आशंका

गांव के लोग प्लास्टिक ड्रम नाव के सहारे ही नदी को पार करते है और बच्चे भी स्कूल जाने के लिए प्लास्टिक ड्रम नाव का ही सहारा लेते है। ऐसे में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। लोगों प्रशासन और सरकार से वैकल्पिक साधन की मांग कर रहे है। लेकिन गांव के लोगों की ना ही तो प्रशासन सुन रहा है और ना ही जनप्रतिनिधि सुन रहे है।

शिक्षा मंत्री का गृह जिला भी है यहां से नजदीक

बता दें कि एक तरफ जहां जनप्रतिनिधि और प्रशासन बड़े-बड़े दावे करता है तो वहीं जमीनी हकीकत ठीक उससे उलटी होती है। दरअसल, यहां से प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का जिला कोटा भी नजदीक है। लेकिन इसके बाद भी बूंदी जिले के इस गांव के बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर रोजाना स्कूल आ जा रहे है। 300 बच्चे बैरवा बस्ती के रोज अपनी जान दांव पर लगाकर मौत के रास्ते से स्कूल पहुंच रहे है।

  • रियाजुल हुसैन की रिपोर्ट

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