Bundi News: बारिश और बाढ़ से बूंदी के लोगों का जीना दूभर, जिले के 23 बांध लबालब, फसलें भी हुईं नष्ट
Bundi News:रियाजुल हुसैन। राजस्थान में इस बार रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है। कोटा से लेकर बूंदी तक हर ओर बाढ़ और जलभराव ने आम जीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा है। वहीं, बात करें बूंदी जिले (Bundi News) की तो इस बार बारिश अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। हर तरफ से बारिश से नुकसान की खबरें ज्यादा सामने आ रही है।
एक तरफ जहां भारी बारिश ने कम पानी वाली सभी फसल नष्ट कर दी है, तो वहीं दूसरी ओर तेज बारिश से झीलों और बांधो से बार बार की जा रही पानी की निकासी लोगों का जीना मुहाल कर रही है। शहर कि नवल सागर झील बारिश के शुरुआती दौर में ही लबालब भर गई थी। अब जब भी शहर में तेज बारिश होती है, तो नवल सागर से पानी छोड़ने की प्रशासन की मजबूरी हो जाती है।
नतीजा यह है कि पानी छोड़ने के बाद पूरे मार्ग में बाढ़ सी स्थिती बन जाती है। इस क्षेत्र के लोग पिछले दो माह से दुकान धंधों के चौपट होने से खासे परेशान हैं। झील से पानी छोड़ने के बाद दुकानदारों को ना चाहते हुए भी अपने प्रतिष्ठान बन्द रखने पड़ते हैं। शहर में शनिवार से रविवार सुबह तक रुक-रुककर बारिश का दौर जारी है। शहर की जेत सागर और नवल सागर दोनों ही झील लबालब भरी हुई है। यह अलग बात है कि रविवार को शनिवार के मुकाबले झीलों से पानी की निकासी कम की जा रही है। हालांकि निचले इलाकों में अब भी कुछ इलाकों में जल भराव की समस्या बनी हुई है।
झील पानी की निकासी लोगों के लिए दोहरी परेशानी
नवल सागर झील के पानी की निकासी से परेशान शहर के निचले इलाकों के लोगों के लिए जेत सागर झील से छोड़े जाने वाला पानी दोहरी परेशानी के रूप में सामने आया है। इस समय दोनों ही झीले लबालब है। दोनों झीलों से हो रही पानी की निकासी महावीर कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, पुलिस लाइन, देवपुरा सहित कई क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति पैदा कर रही है। कई कॉलोनियों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सर्वदमन शर्मा ने बताया कि जेत सागर में शम्भु सागर से लगातार पानी की आवक हो रही है। ऐसे में झील अपनी भराव क्षमता से अधिक भरी हुई है। जब भी पानी की आवक होती है तो उसकी निकासी के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। शर्मा ने निचले इलाकों में बाढ़ की समस्या के लिए नाले पर हो रहे अवैध निर्माण, अतिक्रमण और सफाई व्यवस्था को जिम्मेदार बताया है।
बांध लबालब, जनवरी से अब तक 1050.08 एमएम बारिश
आपदा प्रबंधन नियंत्रण के उप प्रभारी सत्यवान शर्मा ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक बून्दी जिले में 1050.08 वर्षों दर्ज की जा चुकी है। बात रविवार यानी 8 सितंबर की करे तो सुबह 8 बजे तक जिले में सबसे ज्यादा 68 एमएम वर्षा केशवरायपाटन में दर्ज की है, जबकि बून्दी शहर में पिछले 24 घण्टे में 47 एमएम, हिंडोली में 43 एमएम, नैनवा में 22 एमएम, तालेड़ा और इंदरगढ़ में 5-5 एमएम बारिश दर्ज की है। नियंत्रण कक्ष की मानें तो बीते 24 घण्टे में पूरे जिले में 31.67 एमएम वर्षा रिकार्ड की है।
सभी 23 बांध ओवरफ्लो, कई में चल रही चादर
गत 3 वर्षों के मुकाबले इस वर्ष इंद्रदेवता बून्दी जिले पर खासे मेहरबान नजर आ रहे है। इस बार हुई वर्षा ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। जिले भर में हुई वर्षा ने सारे बांध, तालाब और एनीकट भर दिए है। कई बांधों से पानी छलक रहा है। जलसंसाधन विभाग के एसई आरके पाटनी ने कहा कि जिले के सभी 23 बांध भराव क्षमता से ज्यादा भर चुके हैं। उन्होंने बताया कि जिले के सबसे बड़े गुढा बांध के शनिवार को 10 गेट खोलकर पानी की निकासी की गई थी। हालांकि बारिश बन्द होने के बाद शाम को 7 बजे 7 गेट बंद कर दिए थे। वर्तमान में बांध के 3 गेट खोलकर पानी की निकासी की जा रही है।
पूर्व मंत्री चांदना ने की कलेक्टर से विशेष बैठक बुलाने की मांग
पूर्व मंत्री और हिण्डोली विधायक अशोक चांदना ने जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा को बारिश से हुए नुकसान को लेकर विशेष बैठक बुलाने की मांग का पत्र भेजा है। पत्र में चांदना ने बताया कि अगस्त एवं सितबर माह के दौरान जिले में अतिवृष्टि एवं लगातार बारिश होने के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। तहसील नैनवां में 1329 एमएम, तहसील हिण्डोली में 1178 एमएम, तहसील बूंदी में 1021 एमएम तहसील केशवरायपाटन में 948 एमएम, तहसील तालेडा में 687 एमएम एवं तहसील इन्द्रगढ में 540 एमएम वर्षा का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है, जो औसत वर्षा के दोगुना से भी ज्यादा है।
अतिवृष्टि के दौरान जिले के काफी गांवों के रास्ते बन्द होने के साथ-साथ कई गांव बाढ से प्रभावित हुए है। इस समय बाढ प्रभावित गांवों के साथ-साथ अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलों के हुए नुकसान का अविलब उचित मुआवजा दिलवाया जाना आवश्यक है, जिसके संबन्ध में जिला स्तर पर जिला प्रशासन, आपदा राहत विभाग, जल संसाधन विभाग, राजस्व विभाग, समस्त फसल बीमा ऐजेन्सी एवं उनसे सबन्धित अधिकारीगण, समस्त तहसीलदार एवं उपखण्ड अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधियों एवं किसानों के प्रतिनिधियों की बैठक कर इन हालातों पर गहन विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाना आवश्यक है, जिससे किसानों एवं पीड़ित परिवारों को हुए नुकसान की भरपाई एवं राहत प्रदान की जा सके।
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