Rajasthan By Election: पांच सीटों पर उपचुनाव को लेकर एक्शन में आए सीपी जोशी, आसान नहीं है बीजेपी की राह
Rajasthan By Election: जयपुर। लोकसभा चनाव में 11 सीटें हारने के बाद भाजपा के लिए आगामी उपचुनाव अग्निपरीक्षा के साबित होने वाले हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा इन सभी सीटों पर हार का सामना कर चुकी है फिर भी उसका बहुत कुछ दांव पर लगा है। इसीलिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने उपचुनावों की कमान संभाल ली है।
सीपी जोशी ने शुरु किए ताबड़तोड़ दौरे
संसद का बजट सत्र चल रहा है लेकिन चित्तौड़ सांसद सीपी जोशी के लिए उससे ज्यादा महत्वपूर्ण टारगेट दौसा, देवली-उनियारा, नागौर, चौरासी और झुंझुनूं सीट पर होने वाले उपचुनाव हैं। लिहाजा सत्र से जैसे ही समय मिला सीपी जोशी प्रदेश में सक्रिय हो गए। वे 15 जुलाई को नागौर में तो 16 को झुंझुनूं और 17 जुलाई को दौसा और टोंक में रहे। (Rajasthan By Election)
तीन दिन में चार विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच कर जोशी ने संगठन को सक्रिय करने के साथ ही पदाधिकारियों से फीडबैक भी लिया। उन्होंने स्थानीय समीकरण को समझते हुए जीत के समीकरणों पर मंथन किया। साथ ही जिताऊ चेहरे को जानने की कोशिश भी की। (Rajasthan By Election)
जोशी के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं चुनाव?
पांच सीटों पर उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल की ही नहीं, संगठन के अध्यक्ष सीपी जोशी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते भाजपा ने प्रदेश में सत्ता हासिल की लेकिन उसका क्रेडिट लेने के लिए नेताओं की कतार लगी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर, प्रदेश प्रभारी, चुनाव प्रभारी, संगठन महासचिव सहित लंबी चौड़ी फौज रही। हालांकि, तब भी सीपी जोशी के गृह नगर चित्तौड़ में भाजपा तीसरे नंबर पर ही रही।
उसके बाद श्रीकरणपुर उपचुनाव में भजनलाल सरकार के मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी हार गए। इसके बाद सबसे बड़ा झटका लोकसभा चुनाव में लगा, जिसमें भाजपा 25 में से 11 सीटें हार गई। लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी और संगठन महासचिव की गैर मौजूदगी में हुए थे और संगठन का जिम्मा पूरी तरह सीपी जोशी पर ही था। मगर जोशी अपनी सीट चित्तौड़ से बाहर ही नहीं निकल पाए। इस बार उनके पास ऐसी कोई वजह नहीं है। इसलिए संगठन के स्तर पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है।
पांचों सीटें भाजपा के लिए टेढ़ी खीर
इन पांचों सीटों पर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया था और फिर लोकसभा चुनाव में भी भाजपा पिछड़ गई। डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत के इस्तीफे से खाली चौरासी सीट पर भाजपा की राह आसान नहीं है। जबकि, भारत आदिवासी पार्टी वहां जड़ें मजबूत कर चुकी है। झुंझुनूं में पार्टी पिछले चार चुनाव से लगातार हार का सामना कर रही है। (Rajasthan By Election)
सीकर में कांग्रेस दो बार से लगातार जीत रही है और उपचुनाव में उसे माकपा का साथ भी मिलने की उम्मीद है। ऐसे में सीकर भी भाजपा के लिए मुश्किल टारगेट है। खींवसर में हनुमान बेनीवाल के गढ़ में सेंध लगाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।
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