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ग्रीनमैन नरपत सिंह: पशु-पक्षियों के लिए जीता है ये शख्स...रोज भरते हैं पानी के कुंड, पर्यावरण के लिए की 30 हजार KM की यात्रा

Greenman Narpat Singh Rajpurohit: इंसान अपनी जिंदगी में घर-परिवार, बच्चे और माता-पिता के लिए जीता है, उनके लिए दिन रात मेहनत करता है, यही जिंदगी की रवायत है लेकिन कुछ विरले ऐसे भी होते हैं जो पर्यावरण, जानवर, पशु-पक्षी और...
11:01 AM Jun 20, 2024 IST | Avdhesh

Greenman Narpat Singh Rajpurohit: इंसान अपनी जिंदगी में घर-परिवार, बच्चे और माता-पिता के लिए जीता है, उनके लिए दिन रात मेहनत करता है, यही जिंदगी की रवायत है लेकिन कुछ विरले ऐसे भी होते हैं जो पर्यावरण, जानवर, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों के लिए जीते हैं, उनके लिए अपनी जिंदगी का एक-एक दिन न्योछावर कर देते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेरणादायी कहानी बताने जा रहे हैं जहां एक युवक जो बीते करीब एक दशक से तपस्या कर रहा हैं और यह तपस्या हैं प्रकृति और प्रकृति की रचनाएं वन्य जीव बचाने की, पेड़ लगाने की। राजस्थान के थार से बाड़मेर जिले से ये कहानी है नरपतसिंह राजपुरोहित की जिन्होंने बाड़मेर ही नहीं देशभर में वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर एक मुहिम छेड़ रखी है।

नरपत सिंह कभी गांव के कुंड में जानवरों के लिए पानी का प्रबंध करते हैं तो कभी पेड़ लगाने का संदेश देते हुए यात्रा पर निकल जाते हैं तो दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों को सहेज कर भी रखते हैं। नरपत सिंह पर्यावरण के लिए 30 हजार 120 किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर चुके हैं तो उनके नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं और नरपत सिंह के खाते में रिकॉर्ड्स की एक लंबी सूची है। नरपत सिंह का कहना है कि उनका पूरा जीवन प्रकृति और पर्यावरण के नाम ही समर्पित है। आज हम आपको बताएंगे कि ग्रीनमैन के नाम से पहचाने जाने वाले नरपत सिंह वर्तमान में पशु-पक्षियों की प्यास अपनी किस मुहिम से बुझा रहे हैं।

350 से अधिक युवाओं की टीम के साथ भरते हैं कुंड

नरपत सिंह भीषण गर्मी ने अपने गांव लंगेरा की दुधोलाई नाड़ी को सूखने नहीं दिया और लोगों से चंदा मांगा, अपनी जेब का पैसा खर्च किया और हिकारत भी झेली लेकिन अपने लक्ष्य से नहीं भटके। नरपत ने जनसहयोग से मुहिम चलाकर नियमित नाड़ी में पानी के टैंकर डलवाना शुरू किया ताकि किसी भी वन्य जीव की पानी की कमी से मौत ना हो।

वर्तमान में नरपत सिंह ने अपने गांव सहित आसपास के गांवों में डेढ़ टैंकर की क्षमता से दस से अधिक पानी के कुंड बनवाए हैं और इनमें नियमित पानी भरकर खुद मॉनिटरिंग करते हैं। वह सुबह जल्दी और रात के समय तालाब और कुंडों पर दर्जनों वन्य जीव पानी पीने के लिए पहुंचते हैं। 11 साल से पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्य कर रहे राजपुरोहित से प्रेरित होकर देशभर से युवा जुड़े हुए हैं। इनसे प्रेरित होकर राजस्थान के कई जिलों में 350 से अधिक युवाओं ने ऐसे पानी के कुंड बनाकर पशु-पक्षियों के लिए पानी उपलब्ध करवा रहे हैं और उसकी देखभाल कर रहे हैं। वहीं नरपत सिंह के पास दुर्लभ प्रजाति के बाज और 50 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां हैं।

पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए कर चुके हैं साइकिल यात्रा

इसके अलावा ग्रीनमैन" नरपत सिंह राजपुरोहित ने पर्यावरण व जल संरक्षण का संदेश देने के लिए 27 जनवरी 2019 को एक साइकिल यात्रा भी शुरू की थी जहां वह 1179 दिन में 20 राज्यों व 6 केंद्र शासित प्रदेशों से होते हुए जयपुर के अमर जवान ज्योति तक पहुंचे थे। इससे पहले नरपत सिंह ने 18202 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वह अपनी प्रतिदिन की यात्रा के दौरान 4 से पांच पौधे लगाकर स्थानीय लोगों को उनके संरक्षण का संकल्प दिलाते थे।

इससे पहले पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता के लिए उन्होंने मई 2017 में 500 किमी, सितंबर 2017 में 200 किमी और दिसंबर 2017 से जनवरी 2018 तक 4 हजार किलोमीटर साइकिल पर यात्रा की। इस दौरान उन्होंने जगह-जगह लोगों से मिलकर अधिक से अधिक पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक किया।

बहन व भतीजी की शादी में बारातियों को भेंट किए पौधे

बता दें कि राजपुरोहित विद्यार्थी जीवन से ही पौधरोपण व वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति समर्पित रहे हैं जहां उन्होंने खुद की बहन मीना की शादी के दौरान बारातियों को 251 पौधे भेंटकर उनके संरक्षण का संकल्प दिलाया। हाल ही में उनकी भतीजी हंसा कंवर की शादी में बारातियों को 151 पौधे भेंट किए गए। इसके साथ ही बाड़मेर में उन्होंने दर्जनों वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अभियान चलाए हैं।

उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर अब तक सैकड़ों विलुप्त होते वन्य जीवों को संरक्षित कर उनका इलाज करवाया। इसके साथ ही खुद के खर्च पर गांवाई नाडी में पानी के टैंकर डालकर गर्मियों में वन्य जीवों के लिए पेयजल की व्यवस्था करते हैं। इसी के साथ पक्षी बचाओ, परिंडा लगाओ, चीनी माझे पर प्रतिबंध, प्लास्टिक मुक्ति आदि अभियान चलाकर लोगों को पर्यावरण के लिए जागरुक कर रहे हैं। गौरतलब है कि नरपत सिंह के पैर में 10 फीसदी विकलांगता होने के बावजूद भी वह लगातार बारिश, गर्मी, सर्दी व विपरीत परिस्थितियों में भी लगातार इस मिशन पर लगे रहते हैं।

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