बांसवाड़ा में निकली 'धाड़' तो बरसे मेघराज ! अच्छी बारिश के लिए महिलाओं ने पुरुष वेश रखकर किया गैर नृत्य, जानें परंपरा?
Banswara Dhad Tradition: बांसवाड़ा। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर इस मानसून सीजन में अभी तक इंद्रदेव की मेहरबानी कम रही है। जिले के लोग सावन बीत जाने के बाद भी तेज बारिश का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में शनिवार को यहां महिलाओं ने 100 साल पुरानी परंपरा के चलते धाड़ निकाली। इसके बाद महिलाओं ने गैर नृत्य की प्रस्तुति भी दी। हवन किया। संयोग ऐसा रहा कि कार्यक्रम के बीच ही बारिश भी होने लगी।
क्या है सालों पुरानी धाड़ परंपरा ?
बांसवाड़ा में धाड़ निकालने की परंपरा काफी साल पुरानी बताई जाती है। यह सूखे से उपजने वाले नुकसानों के बारे में सावचेत करती है। इस परंपरा के तहत महिलाएं पुरुषों का वेश धारण करती है। पुरुषों जैसे धोती-कुर्ते और पगड़ी पहनती हैं और हाथ में लट्ठ और तलवार लेकर धाड़ निकालती हैं।
पुरुषों के वेश में सशस्त्र महिलाएं लेकर निकली धाड़
बांसवाड़ा में इस बार भी धाड़ निकाली गई। जिसमें महिलाएं पुरुषों का वेश धारण कर लट्ठ तलवार लेकर कई क्षेत्रों में भ्रमण करती हुईं नजर आईं। इस दौरान महिलाएं धाड़ लेकर टामटिया से गौतमेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचीं। यहां पूजा अर्चना के बाद महिलाओं ने गैर नृत्य किया। इसके बाद माताजी मंदिर पर भी लोकगीत गाकर अच्छी बारिश की कामना की गई।
अद्भुत संयोग : धाड़ निकलते ही बरसे मेघराज
टामटिया गांव से महिलाओं के धाड़ लेकर निकलते ही एक संयोग भी देखने को मिला। महिलाएं अच्छी बारिश की कामना के लिए जैसे ही धाड़ लेकर कुछ दूर निकली, रिमझिम बारिश शुरू हो गई। जिसके बाद महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। महिलाएं बारिश में भीगते हुए ही परंपरा का निर्वहन करती नजर आईं। (Banswara Dhad Tradition)
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