Banswara water crisis: माही बांध के किनारे बसे गांवों में जल संकट के हालात, पैदल चलकर पानी लाने को मजबूर महिलाएं
Banswara water crisis: बांसवाड़ा। राजस्थान के दक्षिण में बसे बांसवाड़ा जिले को सरसब्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका माही बांध की है। माही बांध के नहरी तंत्र से 80 हजार से अधिक हैक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है, किंतु माही बांध के आसपास के गांवों में पेयजल संकट के हालात बेहद खराब हैं। कई इलाकों में लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इससे लोगों की स्थिति जल बीच मीन प्यासी जैसी हो गई हैं।
सतही जलस्त्रोत सूखे, भूमिगत जलस्तर भी नीचे
गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही पेयजल संकट गहराने लगा है। सतही जलस्त्रोत सूख गए हैं तो भूमिगत जलस्तर भी नीचे चला गया है। कई कुएं सूखे गए हैं ,कई हैण्डपंप भी खराब हो गए हैं। कई इलाकों में लोग पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रहे हैं। ग्रामीणों को कई किमी पैदल चलकर पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है। कहीं लोग नदी- नालों में गड्ढे खोदकर बूंद बूंद पानी एकत्र कर प्यास बुझा रहे हैं। बढ़ती आबादी और जल की बढ़ती जरूरतों के बीच जलस्त्रोतों को बचाए रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
बांसवाड़ा में बांध के पानी से सिंचाई की सुविधा नहीं
बांसवाड़ा में माही बांध के जलग्रहण क्षेत्र में जहां बांध के पानी से सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां गर्मी बढऩे के साथ ही यहां पेयजल संकट के हालात उत्पन्न हो गए हैं। माही बांध के आसपास दानपुर, छोटी सरवन, कटुम्बी, आंबापुरा आदि बड़े गांव हैं, किंतु इन गांवों में सिंचाई सुविधा या नहरी तंत्र नहीं है। यहां खेती भी बरसात के पानी पर निर्भर है। ऐसे में ऊंचाई पर बसे इन गांवों में गर्मी बढऩे के साथ ही पीने के पानी के लिए भी मशक्कत शुरू हो जाती है। बांसवाड़ा-रतलाम मुख्य मार्ग पर बसे कटुम्बी गांव के विभिन्न फलों और ढाणियों में इन दिनों जलसंकट गहरा गया है और महिलाएं एक से दो किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को मजबूर हैं।
महिलाओं को सुबह उठते ही पहली चिंता पानी की
कटुम्बी ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले गांवों में पेयजल संकट का सबसे बड़ा असर महिलाओं पर पड़ रहा है। महिला नीता के अनुसार सुबह उठते ही पहली चिंता पानी की है। सुबह पांच बजे उठकर पानी की व्यवस्था के लिए निकल पड़ती हैं। गांव में एक ही कुआं है, जो उसकी झोंपड़ी से दूर है। जन प्रतिनिधि हो या अधिकारी, कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है। ग्रामीण फूलशंकर चरपोटा बताते हैं कि गांव में कुछ समय पहले पानी की टंकी बनी थी। पाइप लाइन भी डाली थी, किंतु निर्माण कार्य के दौरान पाइप लाइन टूट गई। तब से इसका कोई लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। इसके चलते समस्या और अधिक गहरा गई है।
गांवों में भी जल संकट एक बड़ी समस्या
गांवों में भी जल संकट की समस्या गंभीर है। जब माही बांध बना था तब लगा था शायद पानी की किल्लत गांव में खत्म हो जाएगी, लेकिन इतने बरसों बाद भी समस्या जस की तस है। इधर, जिले के कुशलगढ़ उपखंड के गांव आमलीपाड़ा, बावड़ी डिंडोर, गलधर, खेरियापाड़ा, हवारूण्डी, नलवाई, बस्सी सहित छोटी सरवन पंचायत समिति के गांव वाक, डिंडोरपाड़ा, महुड़ापाड़ा आदि गांवों में भी जल संकट के हालात हैं। घर के रोजमर्रा कामों के साथ ही महिलाओं को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है।
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