Banswara Nuclear Power Plant: कभी विधायक को बनाया बंदी...तो कभी आदिवासियों पर चले आंसूगैस के गोले, बांसवाड़ा में न्यूक्लियर प्लांट पर क्यों बरपा है हंगामा?
Banswara Nuclear Power Plant: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र में बनने वाले परमाणु बिजलीघर (Banswara Nuclear Power Plant) निर्माण के लिए अवाप्तशुदा भूमि खाली कराने और चारदीवारी निर्माण के विरोध, पुलिस पर पथराव और जवाब में लाठीचार्ज और आंसू गैस गोले छोड़े जाने की शुक्रवार को बड़ी घटना हुई। इस परमाणु बिजलीघर का शुरुआत से ही विवादों से नाता रहा है।
पिछले 12 सालों में समय-समय पर इस बिजलीघर को लेकर आंदोलन, धरना-प्रदर्शन हुए हैं। हालात यहां तक भी बने कि एक बार विधायक को बंदी बनाया गया तो पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी भी हुई। वहीं विस्थापितों ने अपनी मांगों को लेकर कई दिनों तक धरना भी दिया। वहीं कार्य नहीं करने देने और रिश्वत मांगने पर सरपंच को जेल की हवा भी खानी पड़ी। चूंकि आगामी दिनों में परियोजना के मुख्य निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारियां की जा रही हैं। ऐसे में विरोध फिर बढ़ गया है।
बांसवाड़ा के बारी ग्राम पंचायत क्षेत्र में बनने वाला माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र राजस्थान सहित देश की बिजली आपूर्ति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यहां 700 मेगावाट की चार यूनिट स्थापित होनी है, जिससे कुछ 2800 मेगावाट बिजली बनेगी। इस परमाणु बिजलीघर के निर्माण को लेकर विस्थापितों से लेकर राजनीतिक दलों के पदाधिकरियों ने भी विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जिससे लगभग 40 से 50 हजार करोड़ रुपए का बड़ा प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ है।
संघर्ष समिति का गठन
2010 में भूमि अधिग्रहण के बाद 2011 में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण का अवार्ड घोषित किया गया, तो प्रभावित होने वाले लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था। पुलिस-प्रशासन को क्षेत्र में नहीं घुसने दिया। आदिवासी किसान संघर्ष समिति का गठन किया। समिति में आसपास की 18 पंचायतों के लोग भी जुड़ गए। समिति के बैनर तले धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन सहित अन्य गतिविधियों को अंजाम दिया।
जब विधायक को बनाया बंधक
परमाणु बिजलीघर का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने जुलाई 2012 को बांसवाड़ा विधायक अर्जुनसिंह बामनिया को कटुम्बी में बंधक बना लिया। विधायक ने बैठकर बात करने को कहा, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। बारी सरपंच कांतिलाल मईड़ा विधायक को अपने साथ ले गए और अपने पिता व पूर्व राज्यमंत्री दलीचंद मईड़ा के घर ले जाकर बैठा दिया। ग्रामीणों की भीड़ वहां भी पहुंच गई। मईड़ा के घर को चारों ओर से घेर कर विधायक को बंधक बना लिया। प्रशासन की मौजूदगी में विधायक ने पॉवर प्लांट नहीं लगने देने के आश्वासन दिया, पर रात में छोड़ा। बाद में पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज हुआ तो पूर्व राज्यमंत्री दलीचंद मईड़ा को गिरफ्तार भी किया गया।
सात दिन तक अनशन
आदिवासी किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में 12 मई 2013 से लोग दलीचंद मईड़ा के नेतृत्व में 21 सूत्री मांगों को लेकर बेमियादी अनशन पर बैठ गए। यह अनशन सात दिन तक चला। इसके बाद मुख्यमंत्री स्तर पर इस मुद्दे को लेकर बातचीत के आश्वासन पर अनशन खत्म हुआ। इसके बाद सितबंर 2014 में तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया बारी गांव आए और आश्वस्त किया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। इसके बाद आंदोलन खत्म हुआ।
यह थी प्रमुख मांगें
प्रति बीघा जमीन का 50 लाख रु. मिले। किसान को जमीन के बदले जमीन दी जाए। हर गांव के प्रभावित किसानों को एक ही जगह पर कृषि योग्य भूमि दी जाए। प्रत्येक परिवार के 18 वर्ष से उपर के सदस्यों को कम्पनी नौकरी दे। भूमिहीन किसानों को नौकरी, जमीन व सभी सुविधाएं दी जाएं। कक्षा दसवी से कम पढे लिखे युवा बेरोगारों को कम्पनी तकनीकी शिक्षा का प्रशिक्षण करवाकर कम्पनी में रोजगार दे। 12वीं उत्तीर्ण बेरोजगार युवाओं को कम्प्यूटर प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया जाए।
सरपंच ने मिट्टी जांच नहीं होने दी, मांगी घूस
बारी पंचायत में न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण में जमीन परीक्षण का काम 6 महीने तक सरपंच बहादुर मईड़ा ने नहीं होने दिया। मिट्टी जांच का टेंडर साढ़े 3 करोड़ रुपए का था। काम शुरू होने देने की एवज में उसने संबंधित ठेकेदार से 10 प्रतिशत यानी 35 लाख रुपए रिश्वत मांगी। बाद में सौदा 8 प्रतिशत पर तय हुआ। चार साल पहले के इस घटनाक्रम में एसीबी उदयपुर की टीम ने सरपंच और उसके भाई मुकेश को 1 लाख 11 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा था।
कई बार धरना-प्रदर्शन
विस्थापितों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन किया। इस वर्ष की शुरुआत में ही जब एनपीसीआईएल की ओर से हरियापाड़ा गांव में बनाई गई आवासीय कॉलोनी में मकान आवंटन की प्रक्रिया शुरू की, तो ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और पहले मांगें पूरी करने पर जोर दिया। जैसे-तैसे कर कुछ लोगों को मकान आवंटन के लिए राजी किया, वहीं कई लोगों ने अब तक मकान नहीं लिए हैं।
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