Banswara News: विकास के नाम पर करोड़ों खर्च, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए गांवों में श्मशान तक नहीं, डीजल और टायर से जल रही चिताएं
Banswara News: भारत गांवों का देश है। केंद्र और राज्य सरकारें गांवों के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को लागू कर वर्षों से करोड़ों रुपए खर्च करके इन्हें विकास की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही हैं, किंतु राजस्थान के दक्षिणी अंचल के बांसवाड़ा (Banswara News) से विकास अभी कोसों दूर है। हालात यह है कि कई गांवों में अंतिम संस्कार के लिए श्मसान घाट तक नहीं हैं। इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है ऐसे में शव के अंतिम संस्कार करने में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बरसात के दौरान किसी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के समय उपजे विकट हालात लगातार सामने आ रहे हैं। जिले में पिछले चार दिनों से लगातार बारिश हो रही है। इससे पाटन क्षेत्र के बोरदा गांव में रात्रि ढाई बजे कच्चा मकान धराशायी हो गया। इससे बरामदे में सोये एक बुजुर्ग ऊंकार निनामा (63) पुत्र लालिया निनामा पर मकान का छज्जा आ गिर गया। गंभीर रूप से घायल होने पर उन्हें समीपवर्ती चिकित्सालय ले जाया गया। हालत में सुधार नहीं होने पर जिला मुख्यालय पर महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय के लिए रैफर किया गया, किंतु रास्ते में ही बुजुर्ग ऊंकार ने दम तोड़ दिया।
अंतिमसंस्कार के लिए डीजल, तिरपाल और टायर का किया इस्तेमाल
ऊंकार की मौत होने पर शव घर लाया गया। सामाजिक रस्में पूरी करने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव में नदी के किनारे ले जाया गया, लेकिन खुले आसमान तले बरसात के बीच अंतिम संस्कार में काफी दिक्कतें आईं। मृतक के रिश्तेदार राजू निनामा के अनुसार घर से लकडियां ले जानी पड़ी। शव को लकडियों के सहारे तिरपाल से ढंका। बारिश होने से आग नहीं लग पाई। इस पर बाजार से 20 लीटर डीजल और 2 हजार रुपए में 17 टायर खरीद कर लाए और जैसे-तैसे शव का अंतिम संस्कार किया। राजू के अनुसार गांव में श्मशान घाट नहीं है। जीएसएस के समीप एक बीघा जमीन भी आवंटित है। कई बार रात्रि चौपाल में कलेक्टर, सरपंच व जन प्रतिनिधियों को अवगत कराया, किंतु किसी ने सुध नहीं ली है। बजट का बहाना बनाकर ग्रामीणों की मांग को टाला जा रहा है।
बार-बार बुझ जाती चिता की आग
ऐसा ही एक और वाकया पांच साल पहले ग्राम पंचायत के रूप में ईसरवाला गांव में भी सामने आया। घाटोल उपखंड की ग्राम पंचायत ईसरवाला में भी श्मशान घाट नहीं है। गांव की वृद्धा गंगा चरपोटा की मौत होने पर शव को अंतिम संस्कार के लिए नदी किनारे ले गए तो तेज बारिश शुरू हो गई। इस दौरान कुछ लोग तिरपाल व प्लास्टिक ढंककर खड़े रहे। टायर, डीजल आदि डालकर शव का अंतिम संस्कार किया गया, जबकि धार्मिक रीति के अनुसार शव के अंतिम संस्कार में घी का उपयोग होता है, किंतु विकट हालात में ग्रामीण बेबस हैं और प्रशासन भी सुध नहीं ले रही है।
यह भी पढ़ें: राजस्थान में विधानसभा उप चुनाव की तैयारी, कांग्रेस ने चुनावी रणनीति पर किया मंथन
.