बांसवाड़ा में शिक्षा तंत्र की खामी, छह महीने तक दबा रहे एपीओ आदेश
Banswara Education Crisis: (मृदुल पुरोहित) बांसवाड़ा। शहर में शिक्षा विभाग पूरी तरह से अराजकता का शिकार हो गया है। माध्यमिक शिक्षा के मुखिया का पद महीनों से खाली है और प्रारंभिक शिक्षा विभाग में केवल एक अधिकारी ही कार्यरत है। इस कमी का असर व्यवस्थाओं पर साफ देखा जा रहा है—प्रारंभिक शिक्षा विभाग में एक कार्मिक का एपीओ (अलग स्थान पर पदस्थापन) का आदेश छह महीने तक फाइलों में दबा रहा, जिससे विभागीय कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ।(Banswara Education Department Accountability)
लंबित एपीओ आदेश: शिक्षा विभाग की नाकामी पर सवाल
संस्थापना अधिकारी विजय व्यास के खिलाफ महिला से अभद्रता और अश्लीलता की शिकायत के बाद, निदेशक आशीष मोदी ने मार्च 2024 में तत्काल प्रभाव से एपीओ के आदेश जारी किए थे। लेकिन, यह आदेश छह महीने तक फाइलों में दबा रहा। 12 सितंबर 2024 को अंततः व्यास को रिलीव किया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि इतनी देरी क्यों हुई और इस मुद्दे पर विभाग की जिम्मेदारी पर प्रकाश डालता है।
विद्यालय में शिक्षक का हंगामा: प्रबंधन की लचर प्रतिक्रिया
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणगढ़ झरी में एक शिक्षक ने विद्यालय समय के दौरान हंगामा किया, प्लास्टिक की कुर्सी तोड़ी और स्टाफ को धमकाया। इसके बाद, विद्यालय प्रबंधन ने बैठक बुलाकर शिक्षक से माफीनामा प्राप्त किया। इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि विद्यालय प्रबंधन और शिक्षा विभाग में समस्याओं के समाधान की दिशा में गंभीर कमी है।
प्राइवेट स्कूल में प्रिंसिपल की बदनीयती: अभिभावकों का गुस्सा फूटा
संतपॉल प्राइवेट स्कूल में प्रिंसिपल ने एक शिक्षिका से बदनीयती से चैट की, जिसका शिक्षिका ने विरोध किया। मामले के खुलासे के बाद, अभिभावकों ने स्कूल पहुंचकर अपने गुस्से का इज़हार किया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रिंसिपल को पद से हटा दिया गया है। यह घटना निजी स्कूलों में प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है।(Administrative Chaos in Banswara Education)