Banswara : बजट में बांसवाड़ा रेल प्रोजेक्ट को मिले 150 करोड़, अभी रेल के लिए करना पड़ेगा इंतजार
Banswara- Dungarpur Rail Project : बांसवाड़ा। राजस्थान का बांसवाड़ा जिला आजादी के 77 साल बाद भी रेल सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। 2011 में यहां रेल प्रोजेक्ट मंजूर हुआ, मगर अभी तक यह प्रोजेक्ट कागजों से निकल धरातल पर नहीं आ पाया है। इस बार बजट में बांसवाड़ा रेल प्रोजेक्ट के लिए 150 करोड़ रुपए मिले हैं, मगर इसके बावजूद बांसवाड़ा जिले के लोगों को रेल के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा।
2011 में मंजूर हुआ था रेल प्रोजेक्ट
मध्यप्रदेश और गुजरात से सटा राजस्थान का बांसवाड़ा जिला सालों से रेल लाइन से जुड़ने का इंतजार कर रहा है। साल 2011 के बजट में 176.47 किलोमीटर डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी। रेलवे बोर्ड और राजस्थान सरकार के बीच भूमि की लागत को छोडकर 50-50 प्रतिशत की भागीदारी पर काम शुरु करने का समझौता हुआ। यह देश की पहली साझा परियोजना थी, जिसमें राज्य सरकार और रेलवे का समान योगदान था।
राज्य और रेलवे की थी संयुक्त परियोजना
UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 3 जून 2011 को डूंगरपुर में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। इसके बाद राज्य सरकार ने पहले चरण में अपने हिस्से के 200 करोड़ दे दिए। बांसवाड़ा, डूंगरपुर और रतलाम में उप मुख्य अभियंता (निर्माण) रेलवे के कार्यालय खुले। भूमि अधिग्रहण सहित अर्थवर्क के काम शुरू हुए। जमीन अधिग्रहण का अधिकांश मुआवजा भी बंट गया, मगर बाद में राज्य में सरकार बदल गई और बाकी रही सवा सौ करोड़ से ज्यादा की राशि देने से इनकार कर दिया गया। तब से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
भूमि अधिग्रहण पूरा नहीं होने से देरी
पिछले 13 सालों से बांसवाड़ा रेल प्रोजेक्ट कागजों में चल रहा है। इस साल बजट में इस परियोजना के लिए 150 करोड़ मिले हैं। जबकि पिछले साल 5 करोड़ रुपए मिले थे। मगर यह राशि फिलहाल पूरी खर्च नहीं हो पाएगी। क्योंकि अब तक मध्यप्रदेश और राजस्थान क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण का कार्य ही पूरा नहीं हो पाया है।
2100 से बढ़कर 5000 करोड़ हुई लागत
डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल प्रोजेक्ट में लगातार हो रही देरी से लागत भी बढ़ रही है। शिलान्यास के समय इसकी लागत 2100 करोड़ रुपए थी, जो अब करीब 5 हजार करोड़ रुपए हो चुकी है। 2011 से 2019 तक इस प्रोजेक्ट के अर्थ वर्क पर 176.83 करोड़ और अवाप्त भूमि पर करीब 320 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मगर भूमि अधिग्रहण की वजह से अब यह प्रोजेक्ट फिर से धीमा पड़ गया है। ट्राइबल एरिया विकास समिति के अध्यक्ष गोपीराम अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में बाकी भूमि अधिग्रहण के कार्य को पूरा किया जाना चाहिए।
रेल मार्ग से आदिवासी अंचल को फायदा
बांसवाड़ा के रेल से जुडऩे पर आदिवासी अंचल दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग के रतलाम जंक्शन से जुड़ सकेगा। वहीं हिम्मतनगर-अहमदाबाद के माध्यम से मुम्बई और दक्षिण भारत से भी जुड़ जाएगा। इससे पर्यटन, व्यापार, उद्योग-धंधों का भी लाभ मिल सकेगा।(Banswara- Dungarpur Rail Project)
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