• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

अरविंद सिंह मेवाड़ ने उदयपुर को बनाया शाही शादियों का हॉटस्पॉट, लग्जरी होटलों और पर्यटन में दिलाई नई पहचान

अरविंद सिंह मेवाड़ का मानना था कि 'परिवर्तन अतीत को अमान्य नहीं करता, बल्कि उसमें निहित मूल्यों को संरक्षित करना आवश्यक होता है।'
featured-img

Arvind Singh Mewar: मेवाड़ की शाही विरासत का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सम्मानित सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। वे न केवल अपने पूर्वजों की समृद्ध परंपरा के संवाहक थे, बल्कि उन्होंने उदयपुर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक अनोखी पहचान भी दिलाई।

अरविंद सिंह मेवाड़ का मानना था कि "परिवर्तन अतीत को अमान्य नहीं करता, बल्कि उसमें निहित मूल्यों को संरक्षित करना आवश्यक होता है।" उन्होंने इसी सोच के साथ मेवाड़ की विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए इसे नए आयाम दिए। (Arvind Singh Mewar) अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के साथ-साथ उन्होंने सिटी पैलेस, महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन और कई सामाजिक कार्यों को भी मजबूती से आगे बढ़ाया।

उदयपुर को पर्यटन और लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने में उनका योगदान अतुलनीय रहा। उनके प्रयासों के कारण उदयपुर के शाही महल और होटलों को दुनियाभर में ख्याति प्राप्त हुई और वे रॉयल वेडिंग्स व ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का केंद्र बन गए। आज, जब वे हमारे बीच नहीं हैं, उनकी दूरदर्शी सोच और समर्पण की विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

 उदयपुर को बनाया शाही वेडिंग डेस्टिनेशन

अरविंद सिंह मेवाड़ को पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का अग्रदूत माना जाता है। उन्होंने उदयपुर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में सिटी पैलेस, जगमंदिर और अन्य ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार किया गया।

एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने शाही महलों को हेरिटेज होटल में तब्दील कर पर्यटन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। यही वजह रही कि उदयपुर देश-विदेश के अमीर परिवारों के लिए डेस्टिनेशन वेडिंग का पसंदीदा शहर बन गया।

उनका मानना था कि परिवर्तन का मतलब अतीत को अस्वीकार करना नहीं होता, बल्कि उसे सहेजते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उनके इसी विचार ने उदयपुर को एक ऐतिहासिक और आधुनिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद की।

अरविंद सिंह मेवाड़ को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2021 में उन्हें होटलियर इंडिया के लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और 2015 में कोंडे नास्ट ट्रैवलर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। इसके अलावा, भारतीय पर्यटन के क्षेत्र में उनके योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।

Arvind Singh Mewar Passes Away

मेवाड़ राजपरिवार की संपत्ति पर विवाद फिर गरमाया

मेवाड़ राजवंश की संपत्ति का विवाद दशकों से चला आ रहा है। 1984 में, जब महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अपने पिता भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ संपत्ति को लेकर मुकदमा किया, तभी से यह कानूनी लड़ाई शुरू हो गई थी। इस विवाद के चलते भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को संपत्ति का एग्जीक्यूटर बना दिया, जिससे मामला और उलझ गया।

2020 में जिला अदालत ने फैसला दिया कि केवल तीन संपत्तियां...शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर....का ही बंटवारा किया जाएगा। कोर्ट ने संपत्ति को चार बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। हालांकि, 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी और अंतिम निर्णय तक संपत्तियों पर अरविंद सिंह मेवाड़ के अधिकार को बरकरार रखा।

अब उनके निधन के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह मेवाड़ और अन्य परिजन इस संपत्ति पर दावा कर सकते हैं। इससे कानूनी लड़ाई और लंबी खिंच सकती है।

Arvind Singh Mewar passes away - उदयपुर: महाराणा प्रताप के वंशज और पूर्व  राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन, सामने आई ये वजह - Udaipur  Maharana Pratap s ...

क्या होगा मेवाड़ की विरासत का भविष्य?

अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अब मेवाड़ की संपत्ति और विरासत का भविष्य क्या होगा। क्या यह विवाद और बढ़ेगा, या कोई समझौता होगा? क्या मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहरों को संजोया जा सकेगा, या पारिवारिक झगड़ों में यह धरोहरें बंट जाएंगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। लेकिन एक बात साफ है कि मेवाड़ की विरासत को लेकर उठी यह कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

यह भी पढ़ें: राजपरिवार में शोक, लेकिन क्या संपत्ति विवाद की लड़ाई होगी और तीखी? मेवाड़ की विरासत पर मंडराए बादल

यह भी पढ़ें: अरविंद सिंह मेवाड़ नहीं रहे! अब 50000 करोड़ की शाही विरासत का वारिस कौन बनेगा?

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो