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अरविंद सिंह मेवाड़ नहीं रहे! अब 50000 करोड़ की शाही विरासत का वारिस कौन बनेगा?

अरविंद सिंह मेवाड़, जिनका नाम शाही परंपरा, ऐतिहासिक धरोहर और अनमोल विरासत से जुड़ा था, अब हमारे बीच नहीं रहे।
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Arvind Singh Mewar: मेवाड़ राजवंश की एक गौरवशाली गाथा का अंत हो गया। अरविंद सिंह मेवाड़, जिनका नाम शाही परंपरा, ऐतिहासिक धरोहर और अनमोल विरासत से जुड़ा था, अब हमारे बीच नहीं रहे। उदयपुर के सिटी पैलेस में अंतिम सांस लेने वाले इस शाही व्यक्तित्व का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके जाने से न सिर्फ मेवाड़, बल्कि पूरे राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई है।

लेकिन क्या यह सिर्फ एक अंत है, या एक नई शुरुआत? 50000 करोड़ की संपत्ति को लेकर पहले से ही राजपरिवार के भीतर तनाव था, और अब अरविंद सिंह मेवाड़ के जाने के बाद यह विवाद और गहरा सकता है।(Arvind Singh Mewar) शाही गद्दी और ऐतिहासिक संपत्तियों की विरासत किसके हाथों में जाएगी, यह सवाल अब सभी के मन में उठने लगा है। क्या यह शाही परिवार एकजुट रहेगा, या अब यह लड़ाई अदालत के दरवाजे तक पहुंचेगी?

राजसी परंपराओं के संरक्षक थे अरविंद सिंह मेवाड़

13 दिसंबर 1944 को सिटी पैलेस, उदयपुर में जन्मे अरविंद सिंह मेवाड़, महाराणा प्रताप के वंशज थे। वे अपने पूर्वजों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। उन्होंने न केवल सिटी पैलेस के संरक्षण और विस्तार में योगदान दिया, बल्कि मेवाड़ की संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखा।

अरविंद सिंह मेवाड़ के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन 17 मार्च को सुबह 7 बजे से शंभू निवास में किए जा सकेंगे। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा शंभू निवास से बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट होते हुए महासतिया के लिए प्रस्थान करेगी।

mewar royal family

प्रॉपर्टी विवाद से सुर्खियों में आया था उदयपुर का राजपरिवार

बीते वर्ष 10 नवंबर 2024 को उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन हुआ था। इसके बाद राजपरिवार के अंदर प्रॉपर्टी विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया। राजतिलक की रस्म के दौरान, जब महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस पहुंचे, तो गेट बंद कर दिए गए, जिससे विवाद और बढ़ गया।

पूर्व महाराणा भगवंत सिंह मेवाड़ ने 1963 से 1983 के बीच राजपरिवार की कई संपत्तियां लीज पर दे दी थीं। इस फैसले से नाराज होकर बड़े बेटे महेंद्र सिंह ने कोर्ट में केस दर्ज कर संपत्तियों का बराबर बंटवारा करने की मांग की। हालांकि, भगवंत सिंह ने अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को संपत्तियों का एग्जीक्यूटर घोषित किया, जिससे यह मामला और जटिल हो गया।

अब कौन होगा 50000 करोड़ की संपत्ति का मालिक?

अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि मेवाड़ की विरासत और संपत्तियों का भविष्य क्या होगा? राजपरिवार के भीतर वर्षों से चला आ रहा विवाद अब किस दिशा में जाएगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं। करीब 50000 करोड़ की संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई और विरासत की जंग तेज होने की संभावना है।

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