अलवर में नगर परिषद का गजब खेल! तीये से पहले ही श्मसान से मृतक की अस्थियां गायब...अब भटक रहे परिजन
Alwar News: हम जानते हैं कि हिंदू धर्म की परम्पराओं में किसी मृत शख्श के दाह संस्कार के बाद मृत आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अस्थियों को हरिद्वार या किसी अन्य पवित्र सरोवर में प्रवाहित करना जरूरी माना गया है लेकिन राजस्थान के अलवर में प्रताप बांध श्मसान घाट में नगर परिषद के कर्मचारी की घोर लापरवाही सामने आई है जहां कर्मचारी ने मृत शख्स के परिजनों की भावना के साथ गहरा खिलवाड़ किया है. मिली जानकारी के मुताबिक नगर निगम के सफाईकर्मियों ने मृत शख्श के तीये की बैठक से पहले ही श्मसान घाट की कुंडियों से दाह संस्कार की राख हटा दी और जब मृतक के परिजन अस्थियां लेने पहुंचे तो उन्हें वहां अस्थियां भी नहीं मिली.
वहीं मृतक के परिजनों का कहना है कि तीये के लिए जब वह अस्थ्यिां चुनने श्मशान पहुंचे तो उन्हें वहां कुंडी में अपने परिजन के दाह संस्कार की राख व अस्थियां नहीं मिली. परिजनों ने बताया कि दाह संस्कार के 2 दिन बाद श्मसान घाट पहुंचे थे लेकिन उन्हें अस्थियां नहीं मिली.
बता दें कि यह पूरा मामला नवाबपुरा अशोका टॉकीज के रहने वाले नवीन अग्रवाल के परिवार का है जिनकी मां का देहांत होने के बाद उन्होंने प्रताप बांध श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया था लेकिन महज 2 दिन बाद ही वहां से उनकी अस्थियां गायब हो गई. इसके बाद परिवार के लोगों ने अधिकारियों को शिकायत की लेकिन किसी से संतोषजनक जवाब नहीं मिला. वहीं परिजनों का कहना है कि एक साथ पड़े राख के ढेर में वह अपनों की अस्थियों को कैसे पहचाने.
2 साल पहले भी हुई ऐसी घटना
पीड़ित नवीन अग्रवाल का कहना है कि उनकी मां का 26 जून को देहांत हो गया था जहां 28 जून को तीये के लिए फूल चुनने श्मसान घाट पहुंचे लेकिन जिस कुंडी में दाह संस्कार किया वह साफ थी और वह ढाई घंटे तक श्मसान में अपनी मां की अस्थियों को ढूंढते रहे।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन के अधिकारियों को कॉल किया जिसके बाद नगर परिषद से आए एक इंस्पेक्टर ने घटना के लिए सफाई कर्मचारी को जिम्मेदार बताया। अग्रवाल ने आगे कहा कि दो साल पहले भी उनके साथ ऐसी घटना हुई जहां भतीजे के दाह संस्कार के बाद उन्हें अस्थियां नहीं मिली। अग्रवाल का कहना है कि श्मसान घाटों पर ऐसी लापरवाही रोकने के लिए प्रशासन को कदम उठाने चाहिए.
कचरे में फेंक दी अस्थियां!
राजेश अग्रवाल ने आगे कहा कि उन्होंने मौके पर मौजूद सफाई कर्मचारी से बात की तो उसने तीया होने की बात कही और जब उससे फार्म मंगवा कर देखा तो 18 और 24 जून की तारीख लिखी मिली. इसके अलावा वहां साइड में एक साथ ढ़े में कुछ अस्थियों के बीच फूल पड़े थे। उन्होंने कहा कि दाह संस्कार के बाद विजर्सन के लिए फूल को कोई छो़कर नहीं जाता लेकिन समस्या यह है कि यहां कोई बताने को तैयार नहीं कि उनके परिजनों की अस्थियां कहां ढूंढी जाए.