Ajmer Dargah: "अजमेर दरगाह को घोषित करें संकटमोचन महादेव मंदिर..." हिंदू सेना पहुंच गई कोर्ट
Ajmer Dargah: (किशोर सोलंकी) अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह एक बार फिर सुर्खियों में है जहां दरगाह परिसर को ‘भगवान संकट मोचन महादेव विराजमान मंदिर’ घोषित कराने और परिसर में पूजा-पाठ कराने की अनुमति देने के साथ ही दरगाह कमेटी के अनाधिकृत कब्जे हटाने की मांग को लेकर स्थानीय अदालत में एक वाद पेश किया गया है. मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी. इसके साथ ही दरगाह के संपूर्ण भवन के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग को लेकर अजमेर की एक अदालत में दीवानी दावा पेश किया गया है.
बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर जिला न्यायालय में यह केस फाइल किया है जिनका कहना है कि अजमेर दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए और दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाने के साथ ही पूरे परिसर का एएसआई सर्वे करवाया जाए.
Ajmer Dargah: "अजमेर दरगाह को घोषित करें संकटमोचन महादेव मंदिर..." हिंदू सेना ने कोर्ट में दायर किया वाद
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर जिला न्यायालय में यह केस फाइल किया है जिनका कहना है कि अजमेर दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित… pic.twitter.com/C3DsrK2DEd
— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) September 25, 2024
दरगाह कमेटी ASI प्रतिवादी
हिंदू सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरिता विहार निवासी विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के वकील शशि रंजन कुमार सिंह के जरिए अजमेर की मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर कर कहा है कि वादीगण संकट मोचन महादेव मंदिर विराजमान व इसके संरक्षक मित्र विष्णु गुप्ता है और दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 75ई के तहत दायर में दरगाह कमेटी में अल्पसंख्यक मंत्रालय एवं भारतीय तो पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को प्रतिवादी बनाया गया है.
मंदिर के मलबे से बना है बुलंद दरवाजा
वकील शशि रंजन के अनुसार घोषणात्मक डिक्री का बाद पेश किया गया मौजूदा दरगाह परिसर प्राचीन समय से शिव मंदिर रहा है यहां पूजा अर्चना व जलाभिषेक भी किया जाता रहा है परिसर में एक जैन मंदिर होना भी बताया गया है बाद में अजमेर निवासी हरविलास शारदा की वर्ष 1911 में लिखित पुस्तक " हिस्टॉरिकल एंड स्क्रेटिव " में मंदिर होने के प्रमाणों का उल्लेख किया गया किताब में उल्लेखित तत्वों का हवाला देते हुए बताया कि मौजूदा 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश है यह तहखाना या गर्भ ग्रह है जिसमें शिवलिंग था जिसमें ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करता था बाद में दरगाह कमेटी द्वारा क्षेत्र में बनाए गए अवैध कब्जे हटाने में मंदिर में पूजा अर्चना का अधिकार दिलाने की भी मांग की गई है !
नहीं है कोई भी मस्जिद बनाने का प्रमाण!
वकील सिंह के अनुसार बताया जाता है की शाहजहां के समय की पुस्तके व अकबरनामा में आदि में अजमेर में कोई भी मस्जिद बनाने आदि के प्रमाण नहीं है ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं है कि ख्वाजा साहब की दरगाह खाली भूमि पर बनाई गई थी हाल ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धार जिले के एक भोजनशाला के सर्वे के आदेश देने का हवाला भी वकील सिंह ने दिया प्रकरण बुधवार को सुनवाई के लिए नियत है !
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़े थे शारदा
शारदा तब रॉयल एशियाटिक ब्रिटेन और आयरलैंड के सदस्य में रॉयल मेडिकल सोसायटी अब सदस्य थे ! किताब में अंकित तथ्यों के आधार पर दावे में बताया गया कि अजमेर मेरवाड़ा स्टेट के समय से शारदा 1892 से 1925 तक चीफ जज जोधपुर रहे शारदा अजमेर में एडिशनल एक्स्ट्रा कमिश्नर भी रहे ,वही अजमेर दरगाह के मामले में इसे भगवान श्री संकट मोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित करने और दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे की हटाने और " एएसआई " द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए अजमेर जिला न्यायालय के समक्ष श्री विष्णु गुप्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू सेवा द्वारा एक नागरिक मुकदमा दायर किया गया है !
.