Ajmer Adhai Din Ka Jhonpra Controversy : अजमेर अंजुमन सचिव को जैन मुनि का जवाब, बताया आंखों देखा हाल ?
Ajmer Adhai Din Ka Jhonpra Controversy : अजमेर। जैन मुनि सुनील सागर महाराज के अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचने पर अंजुमन सचिव की ओर से दिए गए बयान का जैन मुनि ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें सैयद सरवर चिश्ती के शब्द अच्छे नहीं लगे। इसके साथ ही जैन मुनि ने ढाई दिन का झोपड़ा की यात्रा का अनुभव भी साझा किया है। जैन मुनि का कहना है उन्होंने वहां पर मूर्तियां खंडित हालत में देखीं।
क्या आपको पता नहीं इस देश में नागा बाबा होते हैं ?
जैन मुनि सुनील सागर महाराज ने अंजुमन कमेटी के सचिव के बयान का जवाब देते हुए कहा, "वो इस तरह के शब्द प्रयोग करते हैं कि बिना कपड़ों के यहां लोग कैसे आ गए? क्या उन्हें यह पता नहीं कि हम जिस देश में रहते हैं, उस देश में ऐसे मुनि और नागा बाबा होते हैं? श्रमण संस्कृति और वैदिक संस्कृति में ऐसे साधु पाए जाते हैं ? जिन लोगों को यही खबर नहीं, हम उन्हें भारतीय कैसे कहें? अगर वो दिगम्बर मुनियों को ऐसा बोलेंगे तो पूरा सनातन नाराज होगा। आप साधुओं पर ऐसे कमेंट कैसे कर सकते हैं ? मुझे उनके शब्द अच्छे नहीं लगे।"
जर, जोरू, जमीन झगड़े का कारण
जैन मुनि सुनील सागर महाराज ने कहा, "भूतकाल में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जो हमारे और हमारे देश के लिए अच्छा नहीं हुआ। अब जो जहां चीजें रहीं हैं, उनका पुनर्व्यवस्थापन होना चाहिए। मुनि-तपस्वी शांत होते हैं, मार्गदर्शन करते हैं बखेड़े में नहीं पड़ते। जैन मुनि ने कहा कि जर, जोरू, जमीन हमेशा से झगड़े का कारण रहा है। जिन लोगों का वहां बरसों से कब्जा है, मान्यता है। आसानी से कुछ होना कठिन है।"
‘पुरातत्व का गौरव लौटना चाहिए’
इतना ही जैन मुनि ने कहा, "इतिहास जिसकी लाठी उसकी भैंस की तरह बदलता रहा है। मगर पुरातत्व का गौरव वापस लौटना चाहिए। अगर एक दूसरे की चीजें किसी के पास हैं, तो प्रेमपूर्वक सामंजस्यपूर्वक आदान-प्रदान करें। अगर आप चाहते हैं कि आपको भी उसमें हिस्सा मिले, तो इस पर भी चर्चा हो।"
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जैन मुनि ने आंखों से देखीं मूर्तियां
जैन मुनि ने ढाई दिन का झोपड़ा की अपनी यात्रा का अनुभव बताते हुए कहा कि जितना कुछ जाली में से दिखा, उनमें तीर्थंकर की मूर्ति थी। जिसका सिर्फ धड़ है सिर नहीं है, कहीं देवी की मूर्ति है। पुराने लोगों ने बताया कि ढाई दिन के झोपड़े की खुदाई में मिली मूर्तियां वहां से निकाल दी गईं थीं, उन्हें बुजुर्ग उठा लाए थे।
तोड़कर फटाफट बनाया इसलिए यह नाम !
जैन मुनि का कहना है कि यहां जो पुरातत्व के अवशेष हैं वो सारी भगवान की मूर्तियां ढाई दिन के झोपड़े और आसपास से मिली हैं। यक्ष जैसी मूर्तियां है, कोई मंदिर के शिखर जैसा है। उन्होंने पुराने वास्तु को उधेड़कर फटाफट नया रूप दिया, इसीलिए इसे संभवत: ढाई दिन का झोपड़ा नाम दिया। जमीन के नीचे भी प्रतिमाएं दबे होने की आशंका है।
ढाई दिन के झोपड़े पर दो दिन से विवाद
जैन मुनि सुनील सागर महाराज मंगलवार को अजमेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचे थे। इसके बाद बुधवार को इस मामले में अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती की ओर से पुलिस को आपत्ति दर्ज कराई गई। कथित तौर पर सैयद चिश्ती ने कहा कि इस तरह के लोग बिना कपड़े पहने ढाई दिन के झोपड़े में गए, अंदर मस्जिद थी। यह गलत बात है। यह लोग आज तक तो यहां आए नहीं। अब यह आकर कहते हैं कि यहां तो संस्कृत महाविद्यालय था। मैंने सीआई साहब को यह बात नोटिफाई करा दी। ढाई दिन का झोपड़ा और गरीब नवाज की दरगाह को-रिलेटेड है। इन दोनों चीजों को आइसोलेशन में कभी नहीं देखना। मैंने साइलेंट प्रोटेस्ट दर्ज करा दिया है। अंजुमन सचिव के इस बयान पर अब जैन मुनि ने सैयद सरवर चिश्ती को जवाब दिया है।
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