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Adhai Din Ka Jhonpra Ajmer : जैन संत ने देखा अढ़ाई दिन का झोपड़ा, बोले- मंदिर को वापस मंदिर के रूप में लाया जाए

Adhai Din Ka Jhonpra Ajmer : अजमेर। जैन संत सुनील सागर महाराज के अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचने के साथ ही विवाद खड़ा हो गया है। अजमेर दौरे पर पहुंचे जैन संत सुनील सागर ने कहा था, "बिना उपद्रव के...
10:34 PM May 07, 2024 IST | Vivek Chaturvedi

Adhai Din Ka Jhonpra Ajmer : अजमेर। जैन संत सुनील सागर महाराज के अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचने के साथ ही विवाद खड़ा हो गया है। अजमेर दौरे पर पहुंचे जैन संत सुनील सागर ने कहा था, "बिना उपद्रव के आपसी सहमति से जहां पहले मंदिर डिस्टर्व करके मस्जिदें बनाई गई है वहां फिर से मंदिर का निर्माण किया जाए।" जैन संत सुनील सागर महाराज के अढ़ाई दिन के झोपड़े पर दिए गए बयान पर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है।

मंदिर को वापस मंदिर के रुप में लाया जाए

जैन संत सुनील सागर महाराज मंगलवार को राजस्थान के अजमेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचे। यहां जैन मुनि ने कहा कि सभी की भावना है कि बिना उपद्रव के आपसी  समझदारी से ऐसे मसलों पर चर्चा की जाए। जो चीजें जैसी रहीं हैं पहले, उनको वापस वैसा किया जाए। जहां स्वतंत्र भूमि पर मस्जिद हैं, वहां कोई दिक्कत की बात नहीं। अगर मंदिर डिस्टर्ब कर निर्माण किया गया है तो वहां मंदिर को वापस मंदिर के रुप में लाना चाहिए।

प्रतिमा होने की संभावना तो हो खुदाई

जैन संत सुनील सागर महाराज ने कहा कि अगर वहां प्रतिमाएं होने की संभावना है तो खुदाई हो। वहां अगर मंदिर बने तो सबसे अच्छी बात है। अगर नहीं बन पाए तो जिनकी प्रतिमाएं हैं, उन लोगों तक पहुंचाई जाएं ताकि जो देवता, तीर्थंकर, महापुरुषों की भक्ति करने वाले लोग हैं, उनके मन ना दुखें । साथ ही प्रतिमाएं भी सम्मान से पूजी जा सकें। इन विषयों पर मिल बैठकर चर्चा हो और रास्ते निकाले जाएं।

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संस्कृत विद्यालय को तोड़कर बनाया झोपड़ा !

अजमेर में जिस जगह अढ़ाई दिन का झोपड़ा बना हुआ है। उसे लेकर इतिहासविद् कहते हैं कि यहां पहले संस्कृत विद्यालय था। लेकिन मोहम्मद गौरी के आदेश पर संस्कृत विद्यालय को तोड़कर इसे मस्जिद में तब्दील किया गया। मोहम्मद गौरी के शासन में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे बनवाया था। बताया जाता है इसे बनाने के लिए मजदूरों को सिर्फ ढाई दिन का समय दिया गया। मजदूरों ने लगातार काम कर तय समय में इसका निर्माण पूरा किया, इसीलिए इसे अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है।

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