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900 साल पुराना किराड़ू मंदिर शाम ढलते ही क्यों हो जाता है वीरान ? बाड़मेर के इस मंदिर को कहते हैं राजस्थान का खजुराहो

Rajasthan News: बाड़मेर। खजुराहो की शिल्पकला देश-दुनिया के पर्यटकों को लुभाती है। मगर क्या आप जानते हैं राजस्थान के बाड़मेर में भी 900 साल पुराना एक ऐसा मंदिर है, जिसकी शिल्पकला बिल्कुल खजुराहो जैसी है। इसीलिए इस मंदिर को राजस्थान...
11:36 AM Sep 08, 2024 IST | DURAG SINGH

Rajasthan News: बाड़मेर। खजुराहो की शिल्पकला देश-दुनिया के पर्यटकों को लुभाती है। मगर क्या आप जानते हैं राजस्थान के बाड़मेर में भी 900 साल पुराना एक ऐसा मंदिर है, जिसकी शिल्पकला बिल्कुल खजुराहो जैसी है। इसीलिए इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। मगर शाम ढलने के बाद यह मंदिर बिल्कुल सुनसान हो जाता है।

किराड़ू के सभी मंदिरों पर खजुराहो जैसी शिल्पकारी

किराड़ू मंदिर बाड़मेर के हाथमा गांव में बना हुआ है। यहां भगवान शिव और विष्णु के पांच मंदिर हैं, जिसमें से अधिकांश खंडहर में तब्दील हो चुके है। हालांकि दो मंदिर ठीक हालत में हैं। इन मंदिरों की दीवार और स्तंभों पर खजुराहो की तरह ही वात्सायन की कामसूत्र पर आधारित मैथुन क्रिया करती मूर्तियां हैं। (Rajasthan News)

मोहम्मद गजनी ने क्षतिग्रस्त किया था किराड़ू मंदिर

बाड़मेर के प्राचीन किराड़ू मंदिर को मोहम्मद गजनी ने आक्रमण कर तहसनहस कर दिया था। मोहम्मद गजनी सोमनाथ में आक्रमण के बाद रास्ते में बने किराड़ू मंदिर पहुंचा और खजाना लूटने के बाद भवन को खंडित किया। पिछले कुछ सालों में इस प्राचीन मंदिर के संरक्षण के प्रयास शुरू हुए हैं। विदेशी शोधकर्ता भी यहां शोध के लिए आते हैं। (Rajasthan News)

शाम ढलते ही वीरान क्यों हो जाता किराड़ू मंदिर ?

बाड़मेर के हाथमा गांव में बना किराड़ू मंदिर भले ही राजस्थान का खजुराहो कहलाता है और इसे देखने के लिए विदेशी शोधकर्ता तक पहुंच रहे हैं। मगर आज भी शाम ढलते ही यह मंदिर पूरी तरह वीरान हो जाता है। (Rajasthan News)

इसकी वजह मंदिर से जुड़ी कुछ किवदंतिया हैं। सबसे प्रचलित किवदंति के मुताबिक लोगों का मानना है कि 900 साल पहले एक साधु ने श्राप दिया था, जिसकी वजह से यहां शाम ढलने के बाद जाने पर आदमी पत्थर का बुत बन जाता है।

परमार वंश के राजाओं ने बनवाया था मंदिर

इतिहास के जानकारों का कहना है कि बाड़मेर के किराडू मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। इस भव्य मंदिर को परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने बनवाया था। इस भव्य मंदिर में पांच मंदिर बनाए गए हैं। यहां विक्रम शताब्दी 12 के तीन शिलालेख भी लगे हुए हैं।

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