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प्रियंका बिश्नोई की कहानी: लाल बत्ती की एक झलक से मिली प्रेरणा, 8वीं कक्षा में आया अफसर बनने का टर्निंग पॉइंट

RAS Priyanka Bishnoi Death: राजस्थान ने अपनी प्रतिभाशाली महिला अधिकारी प्रियंका बिश्नोई को खो दिया, जिनका निधन बुधवार रात अहमदाबाद के निजी अस्पताल में हुआ। 5 सितंबर को जोधपुर में भर्ती होने के बाद उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी,...
04:02 PM Sep 19, 2024 IST | Rajesh Singhal

RAS Priyanka Bishnoi Death: राजस्थान ने अपनी प्रतिभाशाली महिला अधिकारी प्रियंका बिश्नोई को खो दिया, जिनका निधन बुधवार रात अहमदाबाद के निजी अस्पताल में हुआ। 5 सितंबर को जोधपुर में भर्ती होने के बाद उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी, और उन्हें अहमदाबाद रेफर किया गया। प्रियंका का असामयिक निधन उनके परिवार के लिए एक बड़ा सदमा है, वहीं पूरे बिश्नोई समाज और जोधपुर में शोक की लहर दौड़ गई है।

प्रियंका की यात्रा: एक साधारण छात्रा से अफसर बनने तक

प्रियंका की कहानी उस साधारण लड़की से शुरू होती है, जिसने अपने गांव के सरकारी स्कूल से शिक्षा ली। बचपन से ही पढ़ाई में अव्‍वल रहने वाली प्रियंका ने 8वीं कक्षा में एक प्रतियोगिता में सम्मान प्राप्त किया। "जब मैंने उपखंड अधिकारी की लाल बत्ती वाली गाड़ी देखी, तब से मेरा सपना पनपने लगा," प्रियंका ने एक बार कहा था। यह सपना उनके जीवन के सफर में एक नई दिशा लेकर आया।

संघर्ष और प्रेरणा: पिता का मार्गदर्शन

ग्रेजुएशन के बाद प्रियंका ने बैंकिंग की तैयारी की, लेकिन जाति प्रमाण-पत्र में अड़चनों ने उनके कदम रोक दिए। उस समय उनके पिता ने उन्हें एसडीएम बनने के लिए प्रेरित किया, और प्रियंका ने ठान लिया। 2016 में RAS परीक्षा में सफलता हासिल कर वे जोधपुर प्रशासन में सहायक कलेक्टर बनीं।

एक प्रेरणा: सम्मानित कार्यों की पहचान

15 अगस्त को प्रियंका को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक था, जिसने उन्हें औरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया। उनके निधन की खबर ने बिश्नोई समाज को गहरे शोक में डाल दिया है।

प्रियंका का सपना: समाज के प्रति जिम्मेदारी

प्रियंका का सपना समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना और उनके अधिकारों के लिए लड़ना था। उन्होंने हमेशा कहा, "एक अफसर का सबसे बड़ा कर्तव्य समाज के उत्थान में योगदान देना है।" उनकी यह सोच सभी के दिलों में बसी रहेगी।

स्वास्थ्य संकट: प्रियंका की अंतिम लड़ाई

हाल ही में प्रियंका का तबादला नगर निगम में उपायुक्त के पद पर हुआ था, लेकिन लंबी बीमारी ने उनके कार्यभार ग्रहण करने की संभावनाओं को खत्म कर दिया। पेट दर्द की शिकायत पर उन्हें वसुंधरा अस्पताल में ऑपरेशन करवाना पड़ा, जिसके बाद उनकी स्थिति और बिगड़ गई।

प्रियंका बिश्नोई का निधन एक अद्वितीय प्रतिभा का क्षय है। उनका संघर्ष, उनकी लगन, और उनके सपने हमेशा लोगों को प्रेरित करेंगे। जोधपुर ने अपनी एक होनहार बेटी को खो दिया है, लेकिन उनकी यादें और उपलब्धियां हमेशा जीवित रहेंगी। प्रियंका का सफर भले ही समाप्त हो गया, लेकिन उनकी कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।

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