वागड़ की बेटी काव्या भट्ट: टेबल टेनिस का उभरता हुआ सितारा, 15 साल में नाम किए 43 गोल्ड, 37 सिल्वर और 44 ब्रॉन्ज मेडल
Table Tennis Star Kavya Bhatt: किसी ने सच ही कहा है कि अगर दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से किसी मंजिल का सफर तय किया जाए तो रास्ता भी आपसे साथ चलता है. हर मुश्किल और बाधाएं दूर होती चली जाती है. हमारे समाज में सालों से बेटी और बेटे दोनों के लिए चुनौतियां और मौके दोनों के पैमाने अलग-अलग हैं. ऐसे में अगर कोई बेटी इन बंदिशों की दीवारों को लांघकर मंजिल की तरफ चार कदम बढ़ाए तो हर किसी का उसको सलाम करने का मन करता है. आज हम आपको एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने जुनून, आत्मविश्वास और इच्छा-शक्ति इन सभी मानकों के लिए एक अलग लाइन खींची है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं महज 15 साल की उभरती हुई टेनिस स्टार काव्या भट्ट की जिन्होंने 8 साल में टेबल टेनिस में वो कीर्तिमान स्थापित किया है जो शायद हर किसी को नसीब ना हो. काव्या ने जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक खेलों में 124 पदक अपने नाम किए हैं जिनमें 43 स्वर्ण पदक, 37 रजत पदक और 44 कांस्य पदक शामिल हैं. वहीं काव्या अंडर-17 और अंडर-19 वर्ग में भारत के लिए खेल चुकी है.
वागड़ की बेटी काव्या भट्ट: टेबल टेनिस का उभरता हुआ सितारा, 15 साल में नाम किए 43 गोल्ड, 37 सिल्वर और 44 ब्रॉन्ज मेडल
15 साल की उभरती हुई टेनिस स्टार काव्या भट्ट ने 8 साल में टेबल टेनिस में वो कीर्तिमान स्थापित किया है जो शायद हर किसी को नसीब ना हो.
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— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) February 18, 2025
काव्या को कुदरत ने छोटी सी उम्र में ही कई कठिनाइयां दी लेकिन हर मुश्किल का डटकर सामना करते हुए इस वॉरियर लड़की ने हर चुनौती का पूरे दमखम से सामना किया. बता दें कि काव्या ने 7 साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरू किया था जहां खेल प्रेम के बीज उसको घर से ही मिले. दरअसल काव्या के पिता प्रवीण भट्ट और मां हीना दोनों ही टेनिस खिलाड़ी हैं जहां हीना दो बार राज्य स्तर पर खेल चुकी हैं. अपनी मां से प्रेरणा लेकर ही काव्या की भी इस खेल के प्रति रुचि पैदा हुआ और महज वह 6 महीने में पहली बार राज्य स्तर पर खेली जिसके बाद ये सफर कहीं नहीं रूका और धीरे-धीरे तर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम बनाया.
रोज 8 घंटे प्रैक्टिस...अटेकिंग शॉट्स से हर कोई हैरान
बता दें कि काव्या ने 7 साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था. काव्या के माता-पिता 2004 में मुंबई शिफ्ट हो गए थे और वहीं से उन्होंने अपने टेनिस करियर की शुरूआत की. काव्या हर दिन 8 घंटे प्रेक्टिस करती है और वर्तमान में वह द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कोच एस. रमन से ट्रेनिंग ले रही है. फिलहाल काव्या 2028 ओलंपिक खेलों की तैयारियां कर रही है और अब उनका सपना ओलंपिक में भारत के लिए पदक लाना है.
बताते हैं कि जब भी काव्या मैदान में उतरती है तो उनके अटेकिंग शॉट्स देखकर कई बड़े प्लेयर चौंक जाते हैं. काव्या के पिता प्रवीण भट्ट और मां हिना ठाणे के कोलबाड में रहते हैं. उनकी दो बेटियां हैं जहां दूसरी बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. वहीं प्रवीण एक प्राइवेट नौकरी में है. बता दें कि काव्या को इंडियन टीम से हर महीने 10,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है.
15 साल में जीते 124 मेडल
वहीं काव्या ने अपने जुनून के बलबूते 15 साल की उम्र में 124 मेडल अपने नाम किए हैं जिनमें 10 इंटरनेशल मेडल भी शामिल है. इसके साथ ही इस साल 6 जनवरी को वडोदरा में हुई नेशनल टीटी जूनियर एंड यूथ चैंपियनशिप में अंडर-19 सिंगल परफार्मेस में काव्या ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. वहीं पिछले साल जॉर्डन में अंडर-15 सिंगल और डबल्स दोनों ही ग्रुप में गोल्ड मेडल जीते. इसके अलावा सऊदी अरेबिया के दमाम में अंडर-19 में मिक्स डबल में गोल्ड, अंडर-17 सिंगल में ब्रॉन्ज मेडल, श्रीलंका के साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल पर अपना नाम लिखवाया.
पैर की 3 अंगुलियों में आया फैक्चर...14 दिन बाद ही दिखाया दमखम
वहीं काव्या का टेनिस के प्रति जुनून किस कद्र है इसका पता चलता है 2018 की एक घटना से जब प्रैक्टिस के दौरान 40 किलो का टेबल टूटकर उनके पैर पर गिर गया जिसमें काव्या के पैर की अंगुलियों में 3 फैक्चर आए. वहीं डॉक्टर ने उनको 28 दिनों के लिए प्लास्टर लगाकर बेड रेस्ट के लिए कहा लेकिन काव्या ने 14 दिन बाद ही प्लास्टर निकाला और उसी जोश और जुनून के साथ मैदान में उतरी. इसके बाद काव्या ने कंपीटिशन में अपना पहला राज्य स्तरीय ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.
2022 में किया अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस में डेब्यू
गौरतलब है कि राज्य और नेशनल लेवल पर खेलने के बाद काव्या ने साल 2022 में जॉर्डन के ओमान में हुई अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महिला (अंडर-15) में शानदार प्रदर्शन किया और अपने खेल से इजिप्ट की खिलाड़ी मल्लिका ईलमल्लाह और थाईलैंड की चैंपियन प्लेयर कुलाप्पार विजितविरियागुल को करारी शिकस्त देकर सेमीफाइनल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. बता दें कि ये इवेंट काव्या का पहला अंतरराष्ट्रीय टीटी कंपीटिशन था.
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