Udaipur : आदिवासी हिंदू समाज के अंग, धर्म बदलने वालों की डी-लिस्टिंग का बने कानून- उदयपुर सांसद
Udaipur MP Mannalal On Scheduled Tribes : उदयपुर। देश में आदिवासी समाज की ओर से भील प्रदेश बनाने की मांग के बीच उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि आदिवासी समाज हिंदू समाज का अभिन्न अंग हैं। अपनी विशिष्ट संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए ही जनजाति समाज को आरक्षण मिला, धर्मांतरण करने वाला जनजाति में रहने का हकदार नहीं है।
अनुसूचित जाति के साथ 1950 में हुआ खेला
उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि- संविधान में अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति दो श्रेणियां हैं। 1950 में राष्ट्रपति का नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिसमें अनुसूचित जातियों की परिभाषा को लेकर कहा गया कि जो हिंदू समाज का व्यक्ति है वहीं अनुसूचित जाति कहलाएगा। मगर अनुसूचित जनजाति का नोटिफिकेशन जारी हुआ, तब यह बात गायब थी। तत्कालीन सरकार ने अनुसूचित जनजाति के साथ खेला किया।
अपात्र लोग भी ST में रख लिए गए- सांसद
उदयपुर सांसद ने कहा कि तत्कालीन सरकार की वजह से जो लोग धर्मांतरित हो गए। जो आदिवासियत छोड़कर ईसाई और इस्लाम में चले गए। वह अनुसूचित जनजाति के पात्र नहीं होने चाहिए थे, मगर रख लिए। इसको लेकर 1960 के दशक में आंदोलन किया गया। यह संस्कृति के आधार पर डी-लिस्टिंग के लिए आंदोलन था।
आदिवासी संस्कृति छोड़ने वाला आदिवासी नहीं- सांसद
उदयपुर सांसद ने कहा कि 1960 के दशक में शुरू हुए इस आंदोलन का मकसद था कि जिसने आदिवासी संस्कृति को अपना रखा है, तो ही वो आदिवासी है। जिसने परंपरा छोड़ दी वो आदिवासी नहीं रहेगा, इस कारण वो अनुसूचित जनजाति भी नहीं रहेगा। इस बात को लेकर देश के 22 राज्यों में जनजाति समाज आज भी आंदोलनरत है और केंद्र से यह अपेक्षा करता है कि डी लिस्टिंग का कानून लागू हो।
‘धर्मांतरित लोगों का संगठन कर रहा राजनीति’
उदयपुर सांसद रावत ने कहा कि डी लिस्टिंग के कानून का विरोध करने वाला एक विचार दक्षिण राजस्थान में बढ़ चला है। यह धर्मांतरित लोगों की राजनीति करने वाले लोगों का संगठन है।(Udaipur MP Mannalal On Scheduled Tribes)
आदिवासी समाज चाहता है डी-लिस्टिंग
आदिवासी समाज आज भी संविधान, देश में विश्वास रखता है। आदिवासी समाज चाहता है कि डी लिस्टिंग हो, मगर कुछ लोग राजनीति का मुखौटा पहनकर आते हैं आदिवासी परिवार का नाम लेकर। यह भ्रमजाल है, इससे आदिवासी समाज भ्रमित होने वाला नहीं है। कुछ भोलेभाले युवा इनके भ्रमजाल में फंसे हैं, मगर वो भी जल्द इससे बाहर निकलेंगे।
जनजाति समाज सनातन का अभिन्न अंग- रावत
उदयपुर सांसद मन्नालाल ने बांसवाड़ा के मानगढ़ में आदिवासी महारैली को लेकर कहा कि कुछ लोग अंग्रेजों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। जनजाति समाज सनातन धर्म का अभिन्न अंग है मगर कुछ लोग भ्रम जाल फैलाकर राजनीति कर रहे हैं। ये लोग लोकसभा और राज्यसभा को नहीं मानते हैं। न ही आदिवासी को मानते हैं। अगर आदिवासी को मानते तो राष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ते वक्त द्रोपती मुर्मू को वोट देते लेकिन नहीं दिया था।
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