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Rajasthan: नगर निगम ने राइजिंग राजस्थान समिट में छुपाई जयपुर की गंदगी! निवेशकों को दिखाया सिर्फ चमकदार चेहरा!

Rising Rajasthan Summit : जयपुर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक धारा के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। 9 से 11 दिसंबर तक आयोजित हो रही राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान,...
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Rising Rajasthan Summit : जयपुर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक धारा के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। 9 से 11 दिसंबर तक आयोजित हो रही राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान, (Rising Rajasthan Summit) जहां दुनिया भर के निवेशक इस शहर में निवेश के अवसरों का जायजा लेने के लिए आ रहे हैं, वहीं सरकार और प्रशासन की पूरी कोशिश है कि शहर का चेहरा केवल स्वच्छ और सुंदर नजर आए।

लेकिन इस चमचमाती तस्वीर के पीछे छुपी असलियत को पर्दे में डाला जा रहा है। शहर की गंदगी, कच्ची बस्तियां और अधूरे निर्माण को छुपाने के लिए प्रशासन ने एक रणनीति अपनाई है, ताकि विदेशों से आने वाले मेहमानों को जयपुर की बदहाली का सामना न करना पड़े। यह सवाल उठता है कि क्या ये प्रयास जयपुर के वास्तविक विकास को दबा कर एक आभासी छवि पेश करने के बराबर है?

राइजिंग राजस्थान समिट में पर्दे के पीछे की असलियत

राइजिंग राजस्थान समिट, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का ड्रीम प्रोजेक्ट, अब शहर की असल सच्चाई छुपाने के लिए एक खेल बन चुका है। समिट के दौरान जयपुर को स्वच्छ और सुंदर दिखाने के लिए नगर निगम प्रशासन ने एक साजिश के तहत शहर की गंदगी, कच्ची बस्तियों और निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स पर पर्दा डालने की कोशिश की है। यह पर्दा डालने का तात्कालिक उपाय सिर्फ एक फरेब से ज्यादा कुछ नहीं।

गंदगी- अव्यवस्था को छुपाने के लिए नगर निगम की घिनौनी चाल

मुख्य मार्गों पर सफेद और हरे रंग के कपड़े लटकाकर नगर निगम ने अपनी पूरी कोशिश की है कि समिट में आने वाले निवेशकों और पर्यटकों को जयपुर की असल बदहाली का सामना न करना पड़े। लेकिन क्या यही असल जयपुर है, जिसे छुपाया जा रहा है? सड़कों के दोनों ओर कचरे के ढेर और खुले डंपिंग साइट्स सिर्फ एक झूठे आवरण में बदल दिए गए हैं, ताकि मेहमानों को छलने का मौका मिल सके।

शहर की असल सूरत को छुपाने का प्रयास

जयपुर के महत्वपूर्ण इलाकों जैसे आमेर रोड, सीतापुरा, जनपथ, सिविल लाइंस और अन्य प्रमुख स्थानों पर सफेद पर्दे लगाकर नगर निगम प्रशासन ने शहर की गंदगी को छुपाने की नाकाम कोशिश की है। क्या यह सिर्फ एक क्षणिक छलावा नहीं है? क्या शहर की सच्चाई को इस तरह छुपाना न्यायपूर्ण है, या सिर्फ निवेशकों को दिखाने के लिए एक नाटक?

आखिरी वक्त में पर्दे से ढक दी गई बदहाली

नगर निगम की यह छलावा रणनीति, जहां शहर के हर गंदे और टूटे हिस्से को पर्दे से ढका जा रहा है, यह सवाल उठाता है कि क्या समिट के नाम पर पूरे शहर को छलने की योजना बनाई जा रही है। इन पर्दों के पीछे, जहां कचरा और अव्यवस्थाएं छुपाई जा रही हैं, असल जयपुर की सूरत क्या है? यह एक बड़ा धोखा नहीं तो और क्या है?

 समिट में सच्चाई को दफन करने की साजिश

दुनिया भर के प्रमुख उद्योगपति समिट में आएंगे, लेकिन क्या उन्हें दिखाने के लिए जयपुर की असल स्थिति पर पर्दा डालना सही है? क्या यह धोखा नहीं, जो केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नतीजे के बजाय सिर्फ एक छद्म रूप पेश कर रहा है? सुरक्षा के नाम पर 4,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती और पर्दे से ढकी शहर की असल सच्चाई, क्या यह समिट का असली उद्देश्य है?

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