"क्या मैं सिर्फ एक मोहर?" सरकार में बेनीवाल का दखल बढ़ा, बीजेपी विधायक डांगा की नाराजगी खुलकर आई!
Rewant Ram Danga: राजस्थान की राजनीति में सत्ता और प्रभाव को लेकर खींचतान तेज हो गई है। खींवसर से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डांगा का कहना है कि प्रदेश में भाजपा सरकार होते हुए भी हनुमान बेनीवाल दोनों पार्टियों (भाजपा और आरएलपी) के बीच सांठगांठ कर अपने लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं। ( Rewant Ram Danga डांगा ने कहा कि यह न केवल उनके राजनीतिक अस्तित्व को कमजोर करने की साजिश है, बल्कि खींवसर के भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय भी है। उनका आरोप है कि सरकार उनके किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दे रही, जबकि बेनीवाल समर्थकों को प्रशासनिक लाभ मिल रहा है।
"मुझे राजनीतिक रूप से कमजोर करने का षड्यंत्र हो रहा"
डांगा ने आरोप लगाया कि उनके क्षेत्र में प्रशासनिक नियुक्तियों और तबादलों में पक्षपात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खींवसर और मूंडवा के कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति की अनुशंसा की थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
इसके विपरीत, आरएलपी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमुख पदों पर तैनात कर दिया गया, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। डांगा का कहना है कि अगर यह स्थिति जारी रही तो आगामी पंचायत समिति और निकाय चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
डांगा ने यह भी दावा किया कि उनकी पत्नी गीता देवी, जो मूंडवा पंचायत समिति की प्रधान हैं, उनके कार्यों में भी बाधा डाली जा रही है। उन्होंने सहायक लेखाधिकारी के ट्रांसफर की अनुशंसा की थी, जो अब तक लंबित है। उन्होंने इसे हनुमान बेनीवाल के इशारे पर किया गया षड्यंत्र बताया, जिसका मकसद उन्हें और उनके समर्थकों को कमजोर करना है।
बेनीवाल परिवार का वर्चस्व तोड़ने में सफल रहे डांगा
रेवंतराम डांगा और हनुमान बेनीवाल के बीच की राजनीतिक खींचतान 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही चर्चा का विषय बनी हुई है। जब हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद बने, तो खींवसर विधानसभा सीट खाली हो गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में बेनीवाल ने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया, लेकिन भाजपा ने रेवंतराम डांगा पर भरोसा जताया।
डांगा ने इस चुनाव में बेनीवाल परिवार को करारी शिकस्त दी और कनिका बेनीवाल को 13,901 वोटों से हराया। यह 16 सालों में पहली बार था जब बेनीवाल परिवार को खींवसर में हार का सामना करना पड़ा।
रेवंतराम डांगा को – 1,08,628 वोट मिले...कनिका बेनीवाल को – 94,727 वोट मिले...कांग्रेस के रतन चौधरी को... 5,454 वोट मिले
कांग्रेस ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन उसे भारी हार मिली। बेनीवाल परिवार, जो 2008 से इस सीट पर लगातार जीत दर्ज करता आया था, पहली बार सत्ता से बाहर हुआ।
राजनीतिक टकराव और भाजपा के लिए चुनौती
रेवंतराम डांगा की यह नाराजगी भाजपा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। भाजपा के अंदरूनी समीकरण बिगड़ने से कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष बढ़ सकता है। अगर भाजपा अपने ही विधायकों की उपेक्षा करती रही, तो यह आगामी पंचायत, निकाय और विधानसभा चुनावों में पार्टी को महंगा पड़ सकता है। वहीं, हनुमान बेनीवाल की भाजपा पर बढ़ती पकड़ यह संकेत देती है कि वह अपनी राजनीतिक स्थिति को और मजबूत करने में लगे हुए हैं।
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेते हैं। क्या वह अपने ही विधायक की बात सुनेंगे या फिर हनुमान बेनीवाल का प्रभाव भाजपा सरकार में यूं ही चलता रहेगा?
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