Rajasthan By-Election: कहीं दुल्हन तो कहीं नाव से वोट देने पहुंचे लोग, 7 सीटों पर मनाया जा रहा लोकतंत्र का उत्सव
Rajasthan by-election 2024: लोकतंत्र का उत्सव हर चुनाव में अपने विविध रूपों में नजर आता है। चुनावी प्रक्रिया केवल एक राजनीतिक गतिविधि नहीं होती, बल्कि यह समाज की जटिलताओं, उम्मीदों, और संघर्षों का चित्रण करती है।(Rajasthan by-election 2024) राजस्थान के उपचुनावों में इस बार चुनावी रंग कुछ खास हैं,जहां एक ओर मतदाता लोकतांत्रिक अधिकारों का पालन करते हुए मतदान केंद्रों तक पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ स्थानों पर मतदान का बहिष्कार और विरोध भी देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ, जयसमंद झील के टापुओं में लोग अपनी नावों पर सवार होकर मतदान करने पहुंचे, यह बताता है कि चुनावों में हर वर्ग और हर हिस्से की भागीदारी अहम है। ये सभी घटनाएं चुनावों के अलग-अलग रंगों को उजागर करती हैं, जो राज्य और देश की राजनीति में विविधता और गहराई को दर्शाती हैं।
विदाई से पहले लिया चुनावी अधिकार का सम्मान!
रामगढ़ विधानसभा के नौगांवा क्षेत्र में एक अनोखा और दिलचस्प दृश्य देखने को मिला, जब दुल्हन मोनिका सोनी अपनी विदाई से पहले दूल्हे पुनीत सोनी के साथ मतदान केंद्र पहुंची और लोकतंत्र के इस अहम पर्व में भाग लिया। दोनों ने साथ मिलकर वोट डाला, इसके बाद ही मोनिका की विदाई की प्रक्रिया शुरू हुई।
इस अनूठे चुनावी उत्सव ने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव में चर्चा का विषय बना दिया, क्योंकि यह संदेश भी दिया कि चुनाव में भागीदारी हर नागरिक का कर्तव्य है, चाहे वह किसी भी खुशी के मौके पर क्यों न हो। यह घटना इस बात का प्रतीक बन गई कि चुनावी प्रक्रिया में सबकी सहभागिता जरूरी है, चाहे वह किसी खास अवसर पर हो या सामान्य दिन पर।
नाव से मतदान केंद्र तक पहुंचे 405 मतदाता!
सलूम्बर की जयसमंद झील के बीच बसे टापुओं के लोग मतदान के लिए नाव का सहारा लेकर मतदान केंद्र पहुंचे। झील में कुल आठ टापू हैं, जिनमें भटवाड़ा, बाबा मंगरा, बीड़ा, मिंदोड़ा मंगरा, भागल मंगरी, मुडिया खेत टापू, गामड़ी ग्राम पंचायत और पायरी व भैंसों का नामला टापू मैथूड़ी ग्राम पंचायत में स्थित हैं।
इन टापुओं पर कुल 405 मतदाता हैं, जिनमें 220 पुरुष और 185 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से भटवाड़ा टापू पर एक ही परिवार का वास है, जिसमें 2 महिला और 2 पुरुष मतदाता हैं।
टापुओं तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है, और इन नावों के जरिए मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र तक पहुंचे। यह दृश्य दिखाता है कि चुनावी प्रक्रिया में दूरदराज इलाकों तक लोकतांत्रिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कितनी मेहनत और प्रयासों की आवश्यकता होती है।
समरावता गांव का मतदान बहिष्कार
देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में समरावता गांव के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेंगे। उनकी मुख्य मांग है कि समरावता गांव को देवली उपखंड के बजाय उनियारा उपखंड से जोड़ा जाए, क्योंकि उनका गांव उनियारा से महज तेरह किलोमीटर दूर है, जबकि देवली उपखंड का मुख्यालय 80 किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे उन्हें काफी असुविधा होती है।
इस मांग के समर्थन में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी उनके साथ धरने पर बैठे हैं। समरावता के निवासियों ने अपनी बातों को लेकर स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी यह मांग पूरी नहीं होती, वे मतदान में भाग नहीं लेंगे। इस आंदोलन ने चुनावी प्रक्रिया और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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