Naresh Meena Slapped SDM: थप्पड़कांड हिंसा में शामिल 58 लोगों को भेजा गया जेल, वकील बोले- पुलिस व अधिकारियों पर भी दर्ज करवाएंगे मुकदमें
Naresh Meena Slapped SDM: राजनीतिक क्षेत्र में कभी-कभी घटनाएं एक बड़ी बहस का कारण बन जाती हैं। लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव, चुनाव प्रक्रिया, के दौरान उत्पन्न विवाद और टकराव न केवल समाज में तनाव बढ़ाते हैं (Naresh Meena Slapped SDM) बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित करते हैं। समरावता थप्पड़ कांड और उसके बाद की घटनाएं,जैसे आगजनी, जाम, और उपद्रव—इस बात का प्रतीक हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किस प्रकार भावनाओं और प्रतिक्रियाओं का खेल चलता है।
इस प्रकरण में मुख्य आरोपी नरेश मीणा सहित 58 लोगों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया। आरोपियों को निवाई कोर्ट में वर्चुअल माध्यम से पेश किया गया और पूरे मामले में 15 वकीलों ने आरोपियों की पैरवी की। इस विवाद ने पुलिस और प्रशासन की भूमिका को भी सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया, जहां वकीलों ने पुलिस व अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही।
मतदान बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन
समरावता गांव, जो पहले उनियारा उपखंड का हिस्सा था, को देवली में जोड़े जाने के निर्णय के कारण ग्रामीणों में रोष था। प्रशासन को पूर्व में अपनी मांगों से अवगत कराने के बावजूद कोई समाधान न मिलने पर ग्रामीणों ने 13 नवंबर को मतदान का बहिष्कार किया और धरने पर बैठ गए।
निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की भूमिका
निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों से समर्थन मांगने पहुंचे। विवाद तब गहराया जब नरेश ने मतदान केंद्र में प्रवेश किया और ईवीएम मशीन की खराबी का आरोप लगाते हुए वीडियो बनाया। बाहर निकलते ही उन्होंने एसडीएम अमित कुमार चौधरी को थप्पड़ मारा। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की, जिससे तनाव बढ़ा।
उपद्रव और हिंसा की घटनाएं
नरेश मीणा की गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थकों और ग्रामीणों ने उपद्रव किया। आगजनी, तोड़फोड़, और हिंसा की घटनाएं हुईं। पुलिस ने हालात संभालने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें कई ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हुए।
मुख्य आरोपी और न्यायिक कार्रवाई
मुख्य आरोपी नरेश मीणा सहित कुल 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें निवाई कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। हाईकोर्ट जयपुर के वकील लाखन सिंह मीणा और अन्य ने पुलिस पर अत्यधिक बल प्रयोग और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
वकीलों की टीम और कानूनी कार्रवाई
नरेश मीणा और अन्य आरोपियों की पैरवी के लिए 15 वकीलों की टीम निवाई कोर्ट पहुंची। उन्होंने पुलिस और अधिकारियों पर मारपीट और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स की अवहेलना के आरोप लगाए। वकीलों ने न्यायालय में पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की बात कही।
ग्रामीणों और पुलिस के घाव
हिंसा में जहां 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए, वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस के डर से उन्होंने अस्पताल में उपचार तक नहीं करवाया।
समरावता विवाद का राजनीतिक- सामाजिक प्रभाव
घटना ने चुनावी प्रक्रिया और प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए। यह स्पष्ट हुआ कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में संवाद और समाधान की कमी किस प्रकार बड़े विवादों का कारण बन सकती है।
भविष्य की राह और निष्पक्ष जांच की मांग
वकीलों और ग्रामीणों ने मांग की कि सभी आरोपियों की मेडिकल जांच और निष्पक्ष जांच करवाई जाए। साथ ही, इस प्रकरण में पुलिस और प्रशासन की भूमिका की भी समीक्षा की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं रोकी जा सकें।
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