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पुलिस बर्बरता से सहमा समरावता गांव! कोर्ट में पेश कैदियों की हालत देख परिजनों का फूटा गुस्सा

Samravata Village Police Action: राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के मतदान खत्म होने के बाद पुलिस की कथित बर्बर कार्रवाई ने गांववालों को दहला कर रख दिया है। (Samravata Village Police Action) हर घर में...
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Samravata Village Police Action: राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के मतदान खत्म होने के बाद पुलिस की कथित बर्बर कार्रवाई ने गांववालों को दहला कर रख दिया है। (Samravata Village Police Action) हर घर में आंसुओं और दर्द की कहानियां सुनाई दे रही हैं। जब भी कोई नेता या अधिकारी गांव में पहुंचता है, तो लोग उनकी मौजूदगी में फूट-फूटकर रोने लगते हैं।

परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने बेकसूर लोगों को गिरफ्तार कर उनकी बेरहमी से पिटाई की है। किसी का भाई, किसी का पति और किसी का बेटा अब तक घर नहीं लौटा। जिन लोगों को कोर्ट में पेश किया गया, उनकी हालत इतनी खराब थी कि वे ढंग से चल भी नहीं पा रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस हिरासत में उनके प्रियजनों को खाना तक नहीं दिया जा रहा और उन्हें अमानवीय तरीके से पीटा गया है।

यह घटना इलाके में तनाव और आक्रोश का माहौल पैदा कर चुकी है। सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी बर्बरता की जरूरत क्यों पड़ी और क्या इसे टाला नहीं जा सकता था?

पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

देवली-उनियारा के पूर्व प्रत्याशी विजय सिंह बैंसला के सामने एक हृदयविदारक दृश्य देखने को मिला। पूजा बारेठ नामक युवती, जिनके भाई को पुलिस ने 13 नवंबर की हिंसात्मक घटना के बाद गिरफ्तार किया था, विजय बैंसला से लिपटकर फूट-फूट कर रो पड़ी।

पूजा ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके भाई को बुरी तरह पीट रही है और भोजन तक नहीं दे रही। उसने बैंसला से गिड़गिड़ाते हुए कहा, "सर, मेरे भाई को बचा लो, पुलिस उसे मार देगी।" इस पर बैंसला ने बच्ची को गले लगाकर आश्वासन दिया कि वे इस मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाएंगे और दोषियों को सजा दिलाने की कोशिश करेंगे।

मतदान बहिष्कार के पीछे की कहानी

समरावता गांव के लोगों ने अपने गांव को उपखंड मुख्यालय और तहसील बनाने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार कर रखा था। मतदान केंद्र से कुछ दूरी पर धरने पर बैठे ग्रामीणों के बीच निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी पहुंचे और उनकी मांग को जायज़ ठहराते हुए उनका समर्थन किया।

एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना

धरने के बीच खबर आई कि सेक्टर मजिस्ट्रेट अमित चौधरी ने तीन सरकारी कर्मचारियों को धमकाकर जबरन वोट डलवाए। यह सुनकर नरेश मीणा भड़क गए और मतदान केंद्र पहुंचकर एसडीएम से बहस करते हुए उन्हें थप्पड़ मार दिया। इसके बाद दोपहर 3:30 बजे ग्रामीणों ने मतदान शुरू किया, जो रात 8 बजे तक चला।

रात के हंगामे की शुरुआत

धरने पर मौजूद लोगों के लिए खाना लाने की कोशिश में पिकअप को पुलिस ने रोक दिया। इस पर नरेश मीणा अकेले ही पुलिस अधिकारियों से बात करने गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। मीणा के समर्थकों ने इसका विरोध किया, जिससे माहौल गरमा गया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिससे गांव में अफरा-तफरी मच गई।

पुलिस का कहर और दहशत

पुलिस ने लाठीचार्ज, हवाई फायरिंग, आंसू गैस, और तोड़फोड़ कर गांव में कहर बरपाया। बच्चों, महिलाओं और गर्भवती महिलाओं तक को नहीं बख्शा गया। लोग अपनी जान बचाने के लिए तालाबों और खेतों में भाग गए। कई घरों में घुसकर पुलिस ने बर्बरता की।

गांव में पसरा सन्नाटा

पुलिस की इस कार्रवाई के बाद गांव में दहशत का माहौल है। कई लोग अब भी पुलिस की गिरफ्त में हैं। विजय सिंह बैंसला के दौरे के दौरान लोग डर और दर्द से भरे हुए अपनी पीड़ा व्यक्त करते नजर आए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें झूठे मामलों में फंसा रही है और न्याय के लिए गुहार लगाई।

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