कौन हैं राजेंद्र गुर्जर? जिन्होंने नरेश मीणा की बगावत का फायदा उठाकर कांग्रेस को हराया
Rajasthan By-Election Result 2024: राजस्थान के देवली-उनियारा उपचुनाव ने राजनीति में हलचल मचाते हुए एक नया समीकरण पेश किया। यह सीट, जो पिछले 10 सालों से कांग्रेस के कब्जे में थी, (Rajasthan By-Election Result 2024) अब भाजपा के राजेंद्र गुर्जर के खाते में आ गई है। यह जीत न केवल भाजपा की मजबूत रणनीति की मिसाल है, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह और नरेश मीणा की बगावत का नतीजा भी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह उपचुनाव राजस्थान में पार्टी की मजबूती के लिए अहम साबित हुआ है। भाजपा ने इस जीत से न केवल कांग्रेस को बड़ा झटका दिया, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक नया जोश भी भर दिया। राजेंद्र गुर्जर की जीत ने यह साबित कर दिया कि जनता का रुझान अब सशक्त नेतृत्व और बेहतर विकास की दिशा में बढ़ रहा है।
देवली-उनियारा की यह जीत भाजपा के लिए एक संदेश है कि जमीनी कार्य और नेतृत्व के प्रति विश्वास चुनावी समीकरण बदल सकता है। कांग्रेस को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत है, क्योंकि यह हार न केवल उनकी कमजोर संगठनात्मक शक्ति को उजागर करती है, बल्कि पार्टी के भीतर गहराते संकट को भी रेखांकित करती है
राजेंद्र गुर्जर: बीजेपी के नए सियासी योद्धा
राजेंद्र गुर्जर का नाम राजस्थान की राजनीति में नया नहीं है। भाजपा के मजबूत नेता और अनुभवी राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। उनकी जमीनी पकड़ और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें इस उपचुनाव में पार्टी का चेहरा बनाया। यह जीत उनकी राजनीतिक सूझबूझ और पार्टी की दूरदर्शी रणनीति का परिणाम है।
नरेश मीणा की बगावत ने तोड़ा कांग्रेस का वोट बैंक
देवली-उनियारा उपचुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका था नरेश मीणा की बगावत। निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले नरेश ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर दी, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। कांग्रेस के समर्थकों के बीच असमंजस की स्थिति ने राजेंद्र गुर्जर की राह आसान कर दी।
10 साल बाद आई जीत ने लिखी नई कहानी
यह जीत भाजपा के लिए केवल सीट पर कब्जा करने का मौका नहीं थी, बल्कि यह कांग्रेस के किले को ढहाने का प्रतीक भी बन गई। राजेंद्र गुर्जर ने न केवल पार्टी को जीत दिलाई बल्कि अपने राजनीतिक कद को भी मजबूत किया। उनकी इस जीत ने राजस्थान में भाजपा के लिए नई उम्मीदों का द्वार खोल दिया है। बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर ने 100,259 वोटों से जीत दर्ज की। नरेश मीणा ने 59,345 वोटों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि कांग्रेस के कस्तूर चंद मीणा 31,138 वोटों पर ही सीमित रहे।
बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर की जीत के पांच कारण:
स्थानीयता का फायदा: राजेंद्र गुर्जर का टोंक जिले का निवासी होना, जिससे उन्हें स्थानीय वोटरों में सहानुभूति मिली।
लो प्रोफाइल छवि: उनकी सादा और मेहनती छवि ने उन्हें स्थानीय लोगों में काफी लोकप्रिय बना दिया।
नरेश मीणा का बगावत: निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नरेश मीणा का चुनाव लड़ना, जिसके कारण मीणा के समर्थकों के बीच वोटों का बटवारा हुआ, और इसने गुर्जर की जीत में सहारा दिया।
विकास के प्रति प्रतिबद्धता: क्षेत्र के लोगों ने विकास के नाम पर वोट दिया, और बीजेपी को कड़ी जोड़ी बनाने के लिए समर्थन दिया।
बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट: भाजपा की सटीक रणनीति और चुनावी प्रबंधन ने राजेंद्र गुर्जर की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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