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राजस्थान में भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची रुकी, जानें क्या है असली वजह और किसे मिलेगा फायदा!

Rajasthan Politics : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ द्वारा पांच दिन पहले किए गए इस दावे के बावजूद कि 9 जनवरी तक जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी, अब तक कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है। इस देरी...
02:55 PM Jan 10, 2025 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan Politics : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ द्वारा पांच दिन पहले किए गए इस दावे के बावजूद कि 9 जनवरी तक जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी, अब तक कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है। इस देरी के पीछे पार्टी के भीतर की गुटबाजी को कारण माना जा रहा है। भाजपा के भीतर चल रही शक्ति संघर्ष और विभिन्न गुटों की आपसी खींचतान ने स्थिति को जटिल बना दिया है, (Rajasthan Politics ) जिसके चलते अब घोषणा में और वक्त लग सकता है। पार्टी नेतृत्व को इन अंदरूनी मुद्दों को सुलझाने में समय लग सकता है, जिससे कार्यकर्ताओं और नेताओं में उत्सुकता और असंतोष दोनों बढ़े हुए हैं।

 गुटबाजी की वजह से जिलाध्यक्षों की नियुक्ति टली

राजस्थान में भाजपा जिलाध्यक्षों की घोषणा में अब और देरी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कई अहम जिलों में गुटबाजी के चलते निर्णय में विलंब हो रहा है। जयपुर शहर, अजमेर, जयपुर ग्रामीण और सिरोही जैसे जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर अंदरूनी संघर्ष तेज हो गया है, जिसके कारण आलाकमान ने अब यह निर्णय लेने का जिम्मा खुद उठाया है। इस गुटीय दबाव और विवादों के बीच पार्टी नेतृत्व को आंतरिक असंतोष और विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

आलाकमान ने अपनाया चयन का नया तरीका

सूत्रों के अनुसार, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी. एल. संतोष ने इस प्रक्रिया को खुद से नियंत्रित करने का फैसला लिया है। उन्होंने जिला अध्यक्षों के चयन के लिए संभावित चार-चार नामों की सूची मंगवाई है, जिनमें वर्तमान जिला अध्यक्ष, पूर्व जिला अध्यक्ष, और दो अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी आलाकमान गुटों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान दे रहा है।

बी. एल. संतोष का अंतिम निर्णय

भा.ज.पा. के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी. एल. संतोष इस चयन प्रक्रिया में अंतिम निर्णय लेंगे। उनके द्वारा मंजूरी मिलने के बाद ही भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा करेगी। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, कुछ जिलों में वर्तमान जिला अध्यक्षों को बरकरार भी रखा जा सकता है, जो आलाकमान के साथ गठबंधन और क्षेत्रीय नेताओं के दबाव को ध्यान में रखते हुए होगा।

राजनीतिक समीकरणों का प्रभाव

राजस्थान भाजपा के अंदरूनी समीकरणों का असर न केवल जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति पर भी पड़ेगा। यह फैसला पार्टी के भीतर के गुटों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, यह पार्टी नेतृत्व की शक्ति और कार्यकुशलता को भी परखने का एक अवसर है, क्योंकि यह निर्णय आगामी चुनावों की दिशा तय कर सकता है।

वसुंधरा राजे के समर्थकों को मिल सकता है मौका

सूत्रों के अनुसार, राजस्थान भाजपा में गुटबाजी के बीच वसुंधरा राजे के समर्थकों को भी जिला अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया में जगह मिल सकती है। आलाकमान इस बार राजे के समर्थकों को प्रमुख जिलों में अध्यक्ष पद देने पर विचार कर रहा है, जिससे पार्टी में गुटबाजी को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह वसुंधरा राजे के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत साबित हो सकती है।

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