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राजस्थान में सियासी हलचल! राजकुमार रोत ने अमित शाह से की मुलाकात, जानें क्या था खास मुद्दा

Rajasthan politics: इस समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, और इस दौरान बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करते हुए नजर आए हैं। BAP (भारतीय आदिवासी पार्टी) द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म...
08:05 PM Dec 15, 2024 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan politics: इस समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, और इस दौरान बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करते हुए नजर आए हैं। BAP (भारतीय आदिवासी पार्टी) द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की गई इस तस्वीर ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। (Rajasthan politics)इस मुलाकात को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है, और कई सवाल उठ रहे हैं कि इस मुलाकात के पीछे क्या सियासी रणनीतियां काम कर रही हैं। क्या यह मुलाकात राज्य की राजनीति में कुछ बड़ा बदलाव लाएगी? आइए जानते हैं इस मुलाकात के मायने और इसके राजनीतिक प्रभाव को लेकर कुछ अहम पहलुओं को।

दिल्ली में गृहमंत्री से मुलाकात

बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इनमें भील प्रदेश की मांग, पांचवीं और छठी अनुसूची के प्रावधानों को वास्तविकता में लागू करना, और आदिवासी समुदाय से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण सवाल थे। इस मुलाकात से पहले, शुक्रवार को लोकसभा में राजकुमार रोत ने सरकार को आदिवासी समाज के अधिकारों को लेकर घेरा था, जिससे सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।

 उठाया आदिवासी समाज का मामला

राजकुमार रोत ने लोकसभा में आदिवासी समाज के मुद्दे पर बोलते हुए कहा था कि चाहे वर्तमान सरकार हो या पिछली सरकार, समय आने पर यह साबित होगा कि वे आदिवासी समाज के प्रति कितने संवेदनशील हैं। उन्होंने जल, जंगल, और जमीन को आदिवासी जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया और इसे खत्म करने की कोशिशों पर चिंता जताई। रोत ने आदिवासी समाज के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो बिरसा मुंडा और जयपाल सिंह मुंडा के सिद्धांतों के तहत था।

भील प्रदेश की पुरानी मांग

लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद, राजकुमार रोत ने शपथ लेते हुए भील प्रदेश की मांग को फिर से उठाया था। इसके बाद राजस्थान के उपचुनाव में चौरासी से विधायक बने अनिल कटारा ने भी इस मुद्दे को सशक्त रूप से उठाया। कटारा ने कहा कि भील प्रदेश की मांग हमारे पुरखों की है और इसे कभी खत्म नहीं होने दिया जाएगा। यह मुद्दा अब एक राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है, जो बीएपी के लिए प्रमुख राजनीतिक एजेंडा बन चुका है।

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