राजस्थान में अफसरों का राजनीतिक खेल! क्या नेताओं से भी ताकतवर हो गए हैं अफसर?
Rajasthan Politics: राजस्थान में सत्ता के समीकरण अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुके हैं, जहां अफसरशाही और राजनीति के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया है। राज्य में कुछ अफसरों ने अब राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया है, (Rajasthan Politics) और सत्ता के गलियारों में इनकी भूमिका तेजी से बढ़ी है। पिछले दो दिनों से राजस्थान की अफसरशाही एक बार फिर सुर्खियों में है, और इसका कारण बने हैं कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, जिनके राजनीतिक फैसलों ने इस चर्चा को और तूल दिया है।
नेताओं और अफसरों के बीच बढ़ती तनातनी
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर अफसरशाही का मुद्दा चर्चा में है। हाल ही में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने अफसरों पर आरोप लगाया कि वे मुख्यमंत्री और उनके बीच गलतफहमी और समस्याएं पैदा कर रहे हैं। मीणा ने यह सवाल उठाया कि आखिर वे कौन से अधिकारी हैं, जो सत्ता के इस समीकरण में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे यह जानने की कोशिश करें कि कौन अधिकारी उनके और मुख्यमंत्री के रिश्तों में खटास उत्पन्न कर रहे हैं।
मंत्री-अफसर की लड़ाई
राजस्थान में यह पहली बार नहीं है कि अफसरशाही और नेताओं के बीच तनाव सामने आया है। गहलोत सरकार में भी कई मंत्रियों ने अफसरशाही से नाराजगी जताई थी। खेल मंत्री अशोक चांदना ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय के कुलदीप रांका से खुलेआम नाराजगी व्यक्त की थी और यहां तक कि ट्विटर पर लिखकर अपने विभागों की जिम्मेदारी उन्हें सौंपने की बात कही थी। इस पर बीजेपी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और इसे कांग्रेस के डूबते जहाज की निशानी करार दिया।
अफसरों - नेताओं के बीच विवादों का सिलसिला
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने सत्ता में रहते हुए अफसरशाही के खिलाफ आरोप लगाए हैं। बीजेपी ने गहलोत सरकार में अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे, जबकि अब कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए वर्तमान सरकार की अफसरशाही के रवैये पर सवाल उठा रही है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने उठाए अफसरशाही के मुद्दे
पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा पर तीखा हमला किया। उन्होंने सवाल किया कि जिस अफसर पर बड़े आरोप लगाए गए थे, उसे सरकार ने कैसे खजाने की चाबी सौंप दी। इस बयान ने राज्य की अफसरशाही पर और सवाल खड़े कर दिए हैं।
अफसरशाही के खिलाफ उठे सवाल
बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए पेंडिंग अभियोजन स्वीकृतियों पर हंगामा मचाया था, लेकिन अब सत्ता में आने पर इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। कांग्रेस ने अब इसी मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरने का प्रयास किया है, खासकर डीओआईटी के भ्रष्टाचार और अभियोजन स्वीकृति पर लंबित मामलों के संदर्भ में।
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