जिले समाप्त करने पर BJP में बगावत, नीमकाथाना में ट्रेन रोकी जाएगी, सांचौर में महापड़ाव!
Rajasthan politics: राजस्थान की राजनीति में एक नया बवंडर मच गया है। गहलोत सरकार द्वारा स्थापित 17 नए जिलों को अब भजनलाल सरकार ने समाप्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस निर्णय के खिलाफ विरोध की लहर उठ चुकी है, और सड़कों पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिन जिलों को खत्म किया गया है, वहां की जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। (Rajasthan politics)क्या यह कदम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए राजनीतिक संकट बनेगा, या फिर यह कदम उनकी सत्ता को मजबूत करेगा? जानिए इस फैसले की गूढ़ राजनीति!
राजस्थान में जिला बंदी पर बढ़ा राजनीतिक विरोध
राजस्थान सरकार द्वारा 19 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के बाद पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचल मच गई है। खासकर उन जिलों में, जिन्हें समाप्त किया गया है, वहां के लोग और संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। विरोध का नेतृत्व विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और स्थानीय नेता कर रहे हैं। इस विरोध का मुख्य कारण यह है कि स्थानीय लोग और नेता इसे एक राजनैतिक कदम मान रहे हैं, जिसे उनकी आवाज दबाने के लिए लिया गया है।
सरकार के खिलाफ तीव्र विरोध
जिले को खत्म करने के बाद भाजपा के स्थानीय नेताओं ने अपने इस्तीफे सीएम को सौंपे हैं। अनूपगढ़ और नीमकाथाना में प्रदर्शन तेज हो गया है। भाजपा के नेता इसे सरकार की नकारात्मक कार्यशैली और राज्य के विकास में विघ्न के रूप में देख रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनके जिलों को फिर से बहाल नहीं किया तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।
शाहपुरा और सांचौर में भी आंदोलन तेज
शाहपुरा और सांचौर में स्थानीय विधायक और संगठनों ने एकजुट होकर राज्य सरकार से जिलों को बहाल करने की मांग की है। शाहपुरा में बाजार बंद करवाए गए, जबकि सांचौर में महापड़ाव का आयोजन किया जाएगा। यहां के स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह कदम उनके चुनावी कॅरियर और इलाके के विकास को प्रभावित करेगा। वे इसे गहलोत सरकार के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध मानते हैं।
नीमकाथाना में उग्र आंदोलन की चेतावनी
नीमकाथाना में विरोध और उग्र हो गया है। स्थानीय नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जिले को बहाल नहीं किया तो वे ट्रेनें रोकने और और अन्य उग्र कदम उठाने के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक प्रमुख राजनीतिक मोर्चा बन गया है, जिसमें कई संगठन और विधायक भी शामिल हैं।
केकड़ी और बीकानेर में भी गुस्सा
केकड़ी और बीकानेर में भी भाजपा के नेता और स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार के इस फैसले के पीछे राजनीतिक विद्वेष है, जिससे जनता को नुकसान हो रहा है। भाजपा के सांसदों और नेताओं ने सरकार के इस कदम को लोकतंत्र की अवहेलना करार दिया है।
कांग्रेस ने भी राज्य सरकार के फैसले पर उठाए सवाल
कांग्रेस पार्टी के नेता भी इस मामले में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं और गहलोत सरकार द्वारा किए गए जिलों के निर्माण को सफल करार दिया है। उनके अनुसार, भाजपा सरकार का यह कदम केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है और इससे जनता का विश्वास सरकार से उठ सकता है। कांग्रेस नेताओं ने सीएम भजनलाल शर्मा पर दबाव डाला है कि वे इस फैसले पर पुनर्विचार करें।
प्रदेश भर में जिलों को लेकर असंतोष
कुल मिलाकर, राजस्थान में जिलों को खत्म करने के मुद्दे ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इससे न केवल जनता में आक्रोश है, बल्कि राजनीति में भी उठापटक तेज हो गई है। यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है, जिसमें राज्य सरकार को अपनी कार्यशैली और फैसलों पर पुनर्विचार करने का दबाव हो सकता है।
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