अपने ही सरकार के फैसले के खिलाफ उतरे बीजेपी पदाधिकारी, मदन राठौड़ को भेजा इस्तीफा
इस्तीफों की झड़ी और विरोध का माहौल
भजनलाल सरकार द्वारा 9 नए जिलों और 3 संभागों को रद्द करने के फैसले के बाद राजस्थान की राजनीति में तूफान आ गया है। अनूपगढ़ जिले के निरस्तीकरण के खिलाफ भाजपा नेताओं के इस्तीफे ने सत्ता के भीतर और बाहर हलचल मचा दी है। अनूपगढ़ के बीजेपी पदाधिकारियों ने इस फैसले को अन्याय बताते हुए पार्टी नेतृत्व से इस्तीफे भेजे हैं। इससे प्रदेश में सियासी तनाव और विरोध बढ़ गया है। अब, इन इस्तीफों के बाद भाजपा के भीतर आगामी रणनीति को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
गहलोत सरकार के फैसले पर भाजपा में गुस्सा
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के कार्यकाल में घोषित किए गए 17 जिलों के विवादास्पद निर्णय पर भजनलाल सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। 9 जिलों और 3 संभागों को रद्द करके सरकार ने अपनी राजनीति में रणनीतिक बदलाव किया है। राजस्थान के भाजपा नेताओं ने इस फैसले को "अचानक और अलोकतांत्रिक" बताया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश की स्थिरता और विकास के लिए जरूरी था। इस बीच, विपक्ष ने इस निर्णय को सरकार के खिलाफ असंतोष और विरोध का परिणाम करार दिया है।
भाजपा नेता सवालों के घेरे में
राज्य में 41 जिलों और 7 संभागों का गठन करने के बाद भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के फैसले को पलटकर राजनीतिक विरोध को जन्म दिया है। इस फैसले के बाद प्रदेशभर में भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। बीजेपी के अंदर से भी विरोध की आवाज़ें आ रही हैं। अनूपगढ़ जैसे बड़े जिले का निरस्तीकरण होने के बाद क्षेत्रीय नेताओं में आक्रोश व्याप्त है। अब देखना यह होगा कि पार्टी नेतृत्व इस विवाद को कैसे सुलझाता है और क्या आगामी विधानसभा चुनावों में इसका असर पड़ेगा।
प्रदेशभर में राजनीतिक असंतोष
आने वाले दिनों में प्रदेश भर में राजनीतिक असंतोष को लेकर अधिक हलचल हो सकती है। भाजपा पदाधिकारियों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है और इस फैसले का विरोध जारी रखने की योजना बनाई है। अनूपगढ़ जिले में जिला निरस्तीकरण के विरोध में विभिन्न संगठनों की बैठकें हो रही हैं, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। इन इस्तीफों और विरोध के बाद भाजपा नेतृत्व के सामने चुनौती है कि वह पार्टी के भीतर और बाहर के आक्रोश को कैसे शांत करता है।