सियासी भूचाल! फोन टैपिंग से बड़ा खुलासा, कौन कर रहा था जासूसी, किस नेता की कुर्सी हिलने वाली है?
Rajasthan Phone Tapping Controversy: राजस्थान की राजनीति में इन दिनों फोन टैपिंग का मुद्दा गरमाया हुआ है। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के फोन टैपिंग के आरोपों ने विधानसभा में भूचाल ला दिया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेर लिया, जिससे सदन में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस को अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा मिल गया है, जिसका असर पूरे बजट सत्र में देखने को मिलेगा।
लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब फोन टैपिंग का मुद्दा सियासी गलियारों में हलचल मचा रहा हो। इतिहास गवाह है कि जब-जब फोन टैपिंग के आरोप लगे हैं, ( Rajasthan Phone Tapping Controversy)सत्ता में बैठे लोगों पर सवाल उठे हैं, हंगामा हुआ है, लेकिन ज्यादातर मामलों में ठोस सबूत नहीं मिल पाए। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस, जो पहले इस तरह के आरोपों की शिकार रही है, अब भाजपा को इन्हीं आरोपों में घेरने में लगी है।
इस पूरे घटनाक्रम ने फोन टैपिंग को लेकर देशभर में पहले उठे राजनीतिक विवादों की याद ताजा कर दी है। आखिर कैसे फोन टैपिंग सत्ता के खेल में सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया? कब-कब इस मुद्दे ने देश की राजनीति में तूफान खड़ा किया? और क्या इस बार कोई नतीजा निकलेगा, या यह सिर्फ एक और आरोप बनकर रह जाएगा? जानिए इस रिपोर्ट में…
किरोड़ी लाल मीणा के आरोप...सरकार पर बढ़ता दबाव
राजस्थान में फोन टैपिंग को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी ही भाजपा सरकार पर उनकी जासूसी कराने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बातें सुनने के बजाय उन पर नजर रख रही है। इस खुलासे के बाद राजस्थान विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ, और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस्तीफे की मांग कर दी।
कांग्रेस की पुरानी रणनीति, अब भाजपा भी घिरी
राजस्थान की राजनीति में फोन टैपिंग कोई नया मामला नहीं है। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान भाजपा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अवैध रूप से फोन टैपिंग कराने के आरोप लगाए थे। जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे के विधायकों के फोन टैप किए जाने की बात सामने आई थी, जिसके बाद जमकर बवाल मचा। तब भाजपा ने गहलोत सरकार को तानाशाही और असंवैधानिक करार देते हुए फोन टैपिंग की सीबीआई जांच की मांग की थी। अब सत्ता में आने के बाद भाजपा खुद इस आरोप के घेरे में है, जिससे कांग्रेस को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है।
भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ा सियासी हथियार
राजस्थान में यह पहला मौका नहीं है जब फोन टैपिंग को लेकर राजनीति गरमाई हो। 2021 में जब गहलोत सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे, तब भाजपा ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था। अब कांग्रेस उसी भाषा में भाजपा पर हमलावर है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों दलों ने विपक्ष में रहते हुए एक-दूसरे पर यही आरोप लगाए, लेकिन सत्ता में आते ही चुप्पी साध ली।
क्या भाजपा पर भारी पड़ेगा यह मुद्दा?
भाजपा सरकार इस विवाद से कैसे निकलेगी, यह बड़ा सवाल है। पार्टी पहले ही किसान आंदोलनों, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों पर बैकफुट पर दिख रही है। अब फोन टैपिंग का मामला उसकी छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है। कांग्रेस इस विवाद को पूरे बजट सत्र तक जिंदा रखने की कोशिश करेगी ताकि सरकार पर दबाव बढ़ता रहे।
राजस्थान से दिल्ली तक फोन टैपिंग के बड़े राजनीतिक धमाके
रामकृष्ण हेगड़े को देना पड़ा था इस्तीफा
1988 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े की सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे। जैसे ही यह मामला मीडिया में उछला, हेगड़े को इस्तीफा देना पड़ा।
चंद्रशेखर सरकार गिर गई थी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी फोन टैपिंग के आरोपों के चलते पद छोड़ना पड़ा था। उन पर राजीव गांधी की जासूसी कराने का आरोप था, जिसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।
भाजपा बनाम कांग्रेस..कौन सही, कौन गलत?
राजस्थान की राजनीति में फोन टैपिंग का मामला महज आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रहेगा, या इसमें कोई कानूनी कार्रवाई होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन एक बात साफ है—यह मुद्दा सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दिल्ली तक इसकी गूंज सुनाई देगी। सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस इस मुद्दे को 2024 के लोकसभा चुनावों तक खींच पाएगी, या फिर यह भी बीते विवादों की तरह समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा?
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