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Rajasthan By-Election: राजस्थान में 7 सीटों पर कई दिग्गज की परीक्षा...नागौर सीट पर सबसे ज्यादा रोचक मामला

Rajasthan By-Election: राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है, क्योंकि 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है। दौसा, झुंझुनूं, चौरासी, खींवसर, सलूंबर, रामगढ़ और देवली-उनियारा में 13 नवंबर को वोटिंग होगी, और परिणाम 23...
03:37 PM Oct 16, 2024 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan By-Election: राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है, क्योंकि 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है। दौसा, झुंझुनूं, चौरासी, खींवसर, सलूंबर, रामगढ़ और देवली-उनियारा में 13 नवंबर को वोटिंग होगी, और परिणाम 23 नवंबर को आएंगे। भाजपा को पिछले चुनाव में 6 सीटें गंवानी पड़ी थीं, इसलिए अब वे भजनलाल सरकार की उपलब्धियों को जनमानस में भुनाने की कोशिश करेंगी। दूसरी ओर, कांग्रेस सरकार विरोधी मुद्दों को उभारकर वोट जुटाने की रणनीति बना रही है। चौरासी और खींवसर सीटें भी महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि यहां कांग्रेस और उसके सहयोगी दल आमने-सामने होंगे। अब देखना होगा कि जनता किसे समर्थन देती है।

दौसा की विधानसभा सीट पर मच रहा है घमासान

राजस्थान की दौसा सीट अब एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गई है, जहां मुरारीलाल मीणा और किरोड़ीलाल मीणा के बीच प्रतिस्पर्धा की संभावना है। मुरारीलाल मीणा के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई है, जिससे उनकी पत्नी सविता मीणा और बेटी निहारिका की दावेदारी की चर्चा तेज हो गई है। इसके साथ ही, अन्य दावेदारों में जीआर खटाणा, नरेश मीणा और संदीप शर्मा का नाम भी शामिल है।

शंकरलाल शर्मा की वापसी?

बीजेपी की ओर से शंकरलाल शर्मा का नाम एक बार फिर से चर्चा में है, जो पिछली बार चुनाव हार चुके थे। इसके अलावा, मुरारीलाल मीणा के परिवार से किसी सदस्य को टिकट मिलने की स्थिति में यह मुकाबला और रोचक हो जाएगा।

सलूंबर: कांग्रेस और बीएपी के बीच तगड़ा मुकाबला

साल 2024 के उपचुनाव में सलूंबर सीट पर बीएपी और कांग्रेस के बीच समीकरण महत्वपूर्ण बन गया है। बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर कांग्रेस ने पिछले चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने वाली बीएपी की चुनौती का सामना करना होगा। रघुवीर सिंह मीणा की दावेदारी को लेकर पार्टी में कई नामों की चर्चा हो रही है।

कांग्रेस के लिए जीत की चुनौती: कांग्रेस की जीत की संभावना को देखते हुए, रघुवीर मीणा के नाम के साथ-साथ उनकी पत्नी बसंती मीणा और अन्य संभावित उम्मीदवारों पर भी चर्चा चल रही है।

झुंझुनू: ओला परिवार का राजनीतिक वर्चस्व

झुंझुनू सीट पर ओला परिवार का प्रभाव बना हुआ है, जहां बृजेंद्र ओला के लोकसभा सांसद बनने के बाद फिर से उपचुनाव होगा। उनके परिवार के सदस्यों की दावेदारी को लेकर चर्चाएं तेज हैं, जबकि बीजेपी ने भी अपनी तैयारी कर ली है।

राजेंद्र गुढा की वापसी?

बीजेपी के दावेदारों में राजेंद्र गुढा का नाम भी शामिल है, जो पहले से ही राजनीतिक हलचलों में शामिल रहे हैं। उनके हालिया कार्यक्रमों ने उनकी चुनावी संभावनाओं को बढ़ा दिया है।

चौरासी: बीएपी का बढ़ता प्रभाव

चौरासी विधानसभा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के बढ़ते प्रभाव ने बीजेपी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीएपी ने अपनी ताकत दिखाई थी, और अब इस सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।

कांग्रेस का प्रबंधन: उम्मीदवार कौन होगा?

कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों को लेकर चर्चा शुरू कर दी है, जिसमें संभावित नामों की सूची में पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा शामिल हैं।

रामगढ़: कांग्रेस की गढ़ पर बीजेपी की नजर

रामगढ़ सीट पर कांग्रेस अपनी विरासत को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी भी यहां अपनी जमीन तलाश रही है। जुबैर खान के निधन के बाद उनकी पत्नी को टिकट मिलने की संभावना है।

बीजेपी की नयी रणनीति

कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के पास ज्ञानदेव आहूजा को फिर से उतारने की संभावना है, जो चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।

देवली-उनियारा: गुर्जर और मीणा मतदाता

देवली-उनियारा सीट पर गुर्जर और मीणा मतदाताओं की संख्या में अहम भूमिका है। यहां की राजनीति को देखते हुए, कांग्रेस और बीजेपी दोनों समुदायों के नेताओं की उम्मीदवारी पर विचार कर रही हैं।

बीजेपी का दावेदार कौन?

बीजेपी के दावेदारों में विजय बैंसला और अन्य गुर्जर नेताओं के नाम शामिल हैं, जिससे सीट पर चुनावी समीकरण बदल सकता है।

खींवसर: ज्योति मिर्धा का आखिरी दांव?

खींवसर सीट पर ज्योति मिर्धा के नाम की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। उनके लिए यह चुनाव बेहद अहम है, क्योंकि उन्हें लगातार चार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है।

कांग्रेस और आरएलपी के समीकरण

कांग्रेस की संभावित दावेदारी पर चर्चा चल रही है कि क्या वे अपनी सहयोगी आरएलपी को समर्थन देंगी या नहीं, जिससे चुनावी समीकरण और भी जटिल हो सकते हैं

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